Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 72

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725
काया है और इसमें सुधार के मलए बू ँद भर मकया गया प्रयास भी अंतरााष्ट्रीय महत्व की ओर संके त करता है ।
पुनरािलोकन( View of Research and Development in the Subject)
शोध प्रमवमध पर अंग्रेजी, महंदी और अन्य भारतीय भार्षाओं में दजानों मकताबें मलखी गयी हैं । परंतु इस प्रमवमध का व्यावहाररक स्तर पर मकतना पालन होता है इस मवर्षय पर हमारी जानकारी में कोई शोध काया नहीं हुआ है । शोध-गंगा पर भी इस मवर्षय के बारे में जानकारी लेने का प्रयास मकया गया; परन्तु इस पद्धमत का एवं इस प्रकार के मवर्षय पर अभी तक कोई शोध काया नहीं हुआ है । इस मवर्षय की सबसे बड़ी मवशेर्षता यह है मक नमूने के तौर पर मवमवध भू – भागों से संबंमधत तथा मवमभन्न मवर्षयों से संबंमधत शोध मनदेशकों, मवद्यावाचास्पमतयों, शोधामथायों के प्राध्यापकों का ३१ लोगों का समूह ममलना दुलाभ बात है । इस प्रकार के नमूने का चयन कर शोध काया नहीं मकया गया है, ऐसा हमारा मानना है ।
मशमला में आयोमजत १२४वे उन्मुखी कायाक्रम के अंतगात प्रमतभामगयों को एक पररयोजना( Project) का काया पूरा करना होता है । यह काया सामूमहक शोध को बढ़ावा देनेवाला काया है । सामुमहक अनुसंधान में प्रवृत्त कराना भी समय का तकाज़ा है, जरुरत है । अत: सामूमहक रूप से यह सोचा गया मक क्यों न यू. जी. सी.- एच. आर. डी. सी. मशमला द्वारा आयोमजत १२४ वे उन्मुखी कायाक्रम में समम्ममलत ३१ प्रमतभामगयों के इस छोटे से समूह को नमूने के तौर पर चयन कर अध्ययन मकया जाएँ? यह एक सुअवसर है; क्योंमक प्रमतभामगयों का यह समूह देश के मवमभन्न भू- भागों से जुड़ा है तथा मवमभन्न मवर्षयों से संबमधत है । ये प्रमतभागी अनुसंधान प्रमवमध से पररमचत हैं क्या? इन प्रमतभामगयों ने अपने
शोधकाया में अनुसंधान प्रमवमध का पालन मकया है क्या? पररकल्पनाएँ( Hypothesis), शोधकाया का उद्देश्य( Objectives) और शोधकाया के मनष्ट्कर्षा( Findings) के बारे में वे जानते हैं क्या? अपने शोध प्रबंध में उन्होंने पररकल्पनाएँ( Hypothesis), शोधकाया का उद्देश्य( Objectives) और शोधकाया के मनष्ट्कर्षा( Findings) स्पसे रूप से मदए हैं क्या? आमद बातें जानने की ्टमसे से यह समूह इस काया में प्रवृत्त हुआ है ।
पररयोजना की पररकल्पनाएँ( Hypothesis)
१. अमधकतर शोधाथी अनुसंधान प्रामवमध से पररमचत नहीं होते हैं ।
२. अनुसंधान प्रामवमध से पररमचत होने के बावजूद पररकल्पनाएँ स्पसे रूप से मलख नहीं पाते हैं । सामहत्य के क्षेत्र में कायारत शोधामथायों में यह मस्थमत और भी मचंताजनक है ।
३. शोधकाया मकसमलए मकया जा रहा है इसका स्पसे मचत्र शोधाथी के मदमाग में नहीं होता । मभन्न संकायों के शोधामथायों में यह मस्थमत अलग-अलग हो सकती है ।
४. शोधकाया के अंत में शोधाथी बहुत स्पसे रूप में मनष्ट्कर्षा नहीं दे पाता । मभन्न संकायों के शोधामथायों में यह मस्थमत भी अलग-अलग हो सकती है । मवज्ञान और वािीज्य में मनष्ट्कर्षा स्पसे रूप से आने का औसत अमधक है । कला संकाय के शोधामथायों में और मवशेर्ष कर सामहत्य के क्षेत्र के शोधाथी मनष्ट्कर्षा दे नहीं पाते ।
पररयोजना के उद्देश्य( Objectives)
Vol. 3, issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017