Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725
होकर हम उनकी मवशालता से आिया चमकत होते हैं और वे अपने पर गवोमन्वत, अब उनके बौनेपन पर मुझे हंसी आ रही थी । अपनी धाराओं को मोड-तोड़ और सीमाओं का अमतक्रमि कर आम आदमी की बमस्तयों को क्रू रता से मनगल जानेवाली नमदयां यहाँ से मात्र एक मोरी { जल मनकास-नली } की भांमत मालूम हो रही थी । बड़ी-बड़ी सड़के जो अपने अमस्तत्व पर इतराती रहती है वे मात्र तख्ती पर मखची चंद आडी-मतरछी लकीरों से बड़ी नहीं थी । इस यात्रा ने मुझे गुलेरी की कथाएँ याद मदलाई मजनमें वे कभी मवशालकाय प्रािी के रूप में तो कभी इंच-भर के मानुर्ष- रूप में, मजसे हथेली पर रखा जा सके, मदखते थे । मै इस छोटे से सफर में इन दोनों भावों से भर रही थी । यहाँ से सीधे हम गेस्ट हाउस’ गए जो यूमनवमसाटी ने हमारे मलए बुक मकया हुआ था । अगले मदन रमववार था सो आसपास घूमने का कायाक्रम बना और हमने पूरे मदन अजंता एलोरा घूमा । इसी कस्बे में हमने पहली बार अंजीर का फल खाया मजसे अब तक मात्र‘ ड्रायफ्रू ट’ के रूप में ही खाया था । इसे फल रूप में खाकर न के वल मन तृप्त हुआ बमल्क नए अनुभव से भी दो-चार हुये । इसी तरह अगले दो मदन की अकादममक कायाक्रमों में सलननता के बाद, बहुत सारे लोगों से पररचय और मभन्न-मभन्न अनुभव ले हम पुनः उसी पक्षी { मवमान } के माध्यम से वामपस आ चुके थे मामचस की मडमब्बयों में कै द होने की मवडम्बना के साथ ।
डॉ अनीता यादव गागी कॉलेज मदल्ली यूमनवमसाटी 9873650465
Vol. 3, issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017