Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 401

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
अनुभव बहुत अच्छा है । मैंने पूरी मनष्ठा से अपना काया संपन्न मकया है । अपने कताव्यों का पालन करते हुए अपनी जवाबदेही को बड़ी ही ईमानदारी के साथ मनष्ठापूवाक मनभाया है । इस कारि तमाम छात्र-छात्राएं , सहयोगी और महंदी के मवद्वान मुझे अपना स्नेह और सम्मान देते हैं ।
डॉ . करुणािंकर उपाध्याय : अभी तक मुझे राष्ट्रीय और अंतरााष्ट्रीय स्तर पर 12 पुरस्कार ममले हैं । इसके अमतररक्त राज्य स्तर पर और स्थानीय स्तर पर जो पुरस्कार और सम्मान ममले हैं , उनकी संख्या दजानों में है । मुझे मु ंबई मवश्वमवद्यालय का सवोत्तम मशक्षक का भी पुरस्कार ममला है ।
१५- डॉ . प्रमोद पाण्डेय : आपके मागादशान में अभी
तक मकतनी पी-एच . डी . व एम . मफल . हुई है ? डॉ . करुणािंकर उपाध्याय : अब तक मेरे मागादशान
में 25 पी-एच . डी . और 50 छात्र एम . मफल . की उपामध प्राप्त कर चुके हैं । यह अपने आप में एक मवमशसे उपलमब्ध है ।
१६- डॉ . प्रमोद पाण्डेय : आप मु ंबई मवश्वमवद्यालय के महंदी मवभागाध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं , आपका अनुभव कै सा रहा ? डॉ . करुणािंकर उपाध्याय : मैंने महंदी
मवभागाध्यक्ष के पद पर रहते हुए दो बड़े काया मकए हैं । पहला काया यह मक हमारे मवभाग में वर्षों से कई पद ररक्त थे , तो मैंने पाँच अध्यापकों की मनयुमक्त करवाई । दूसरा बड़ा काया यह मक मैंने महाराष्ट्र शासन के मजलामधकारी से मु ंबई मवश्वमवद्यालय के कालीना पररसर में महंदी भार्षा भवन मनमााि हेतु 5 करोड़ रुपए की रामश स्वीकृ त कराई । इन दोनों चीजों को मैं अपनी उपलमब्ध मानता हूँ । इसके अलावा मेरे कायाकाल के दौरान 27 संगोमष्ठयां हुई । मजनमें एक अंतरराष्ट्रीय और 10 राष्ट्रीय संगोमष्ठयां शाममल हैं । मैंने अपने कायाकाल के दौरान महंदी मशक्षि और मशक्षा के स्तर को यथासंभव ऊपर उठाने का प्रयत्न मकया और उस दौरान जो भी सामहमत्यक अनुष्ठान संपन्न हुए हैं वे सब इस बात के गवाह हैं मक सामहमत्यक स्तर मकतना ऊपर रहा है ।
१७- डॉ . प्रमोद पाण्डेय : आपको अभी तक प्राप्त पुरस्कार एवं सम्मान के संदभा में बताएं ।
१८- डॉ . प्रमोद पाण्डेय : आप मेरे मलए प्रेरिा स्रोत हैं । अतः आप आने वाले मवद्यामथायों के मलए प्रोत्साहन स्वरूप क्या कहना चाहेंगे ? डॉ . करुणािंकर उपाध्याय : आपने स्वयं यह
स्वीकार मकया है मक मैं आपके मलए प्रेरिास्रोत हूँ । मैं दूसरे या आने वाले छात्रों के मलए भी यही कहना चाहूंगा मक जीवन में कमठन पररश्रम का कोई मवकल्प नहीं है । हम अपने अध्ययन-अध्यापन , लेखन और पररश्रम के द्वारा उपलमब्धयों के तमाम बड़े मशखर पार कर सकते हैं । इसके मलए जरूरी है मक हम अपने व्यमक्तत्व को संघमटत रखें और अपने समय और ऊजाा का सही मदशा में साथाक उपयोग करें ।
१९- डॉ . प्रमोद पाण्डेय : महंदी को राष्ट्रभार्षा का दजाा मदलाने हेतु आपने काफी प्रयास मकया । इस संदभा में आप क्या कहना चाहते हैं ? डॉ . करुणािंकर उपाध्याय : हम न के वल महंदी को
राष्ट्रभार्षा का दज ा मदलाने के मलए प्रयास कर रहे हैं अमपतु हम लगातार भारत सरकार से यह आग्रह कर रहे हैं मक महंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आमधकाररक भार्षा बनाई जाए । वह इसमलए क्योंमक आज पूरे मवश्व में महंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भार्षा है । मजसके प्रयोक्ताओं की संख्या एक अरब तीस करोड़ है । मवश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भार्षा होने के बावजूद भी यमद महंदी संयुक्त राष्ट्र संघ की आमधकाररक भार्षा नहीं बन पाई है तो यह मवश्व के हर छठे व्यमक्त के मानवामधकार का उल्लंघन है । अतः मैं भारत सरकार से यह आग्रह करता हूँ मक वह न के वल महंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आमधकाररक
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017