Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
करके मन ष् ु यों को मानवीय बनाने के शलए यथाथम क
प्रमाशणक रूपांिरण में संलग्न होना है.और शिक्षा म
हमें कुछ ऐसी य श ु ियों का शवकास करना होर्गा शजसस
हम इस शदिा में आर्गे बढ़ सके .”
कुल ममलाकर यह कहा जा सकता है मक पाओलो
फ्रेरे के मशक्षा दशान का म ल
आधार है, उत्पीमड़तों
और दमलतों का मववेकीकरि करना यामन उनम
यथाथा के प्रमत सजगता पैदा करना, उसे अपने पक्ष म
बदलने के मलए संघर्षा का मागा तलाशना. फ्रेरे यह
मानते हैं मक मबना मववेकीकरि के अक्षर ज्ञान (साक्षर
होना) अथाहीन है. व्यमक्त को साक्षर बनाकर पररवेश
और उसमें मक्रयाशील मवमभन्न सामामजक शमक्तओ
के प्रमत उसे जागरूक और समक्रय बनाना भी हमारी
मशक्षा का उद्देश्य होना चामहए. एक बच्चे म
मववेकीकरि की यह प्रमक्रया जो की उसके घर से ही
श रू
हो च क
ी होती है स्कूल को उसके मवकास म
सहायक बनना चामहए बजाय की उसको अवरोमधत
करने के .मववेकीकरि से चेतना का मवकास होता ह
और आलोचनात्मक समाज मनमााि की प्रमक्रया भी
श रू
होती है. कई तरह के अन स ु ध ं ान बटाते हैं मक इस
तरह की स्कूली प्रमक्रया से मनकले हुए लोगों में अक्षर
ज्ञान के साथ सामामजक वास्तमवकता को समझने का
एक मक्रमटकल एप्रोच भी होता है जो की सही मायन
में मशक्षा का लक्ष्य होना चाह
ISSN: 2454-2725
प्रोजेक्ि र्े लो ,भाषा
सिक्षा सिभाग
एन.िी.ई.आर.िी., नई सदल्ली
मोबाइल -
9999108490
प स् ु तक- उयपीसड़तों का सिक्षािास्त्र
लेखक- पाओलो फ्रेर
सह द ं ी अन ि ु ादक- रमेि उपाध्याय
प्रकािक- ग्रंथसिल्पी (इ स ं डया) प्राइिेि
सलसमिे ड ,सदल्ली.
डॉ. दीना नाथ मौय
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017