Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 343

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
पर बैठकर परमधाम पधारे । शाहपुरा शाखा के मद्वतीय आचाया रामजन वीतराग हुए इसके पिात् गद्दी आचाया का चुनाव जनतंत्र पद्धमत से होने लगा । राजस्थान के अमतररक्त उत्तर प्रदेश , इलाहाबाद बरेली , मेरठ , बम्बई , मदल्ली तक इस सम्प्रदाय का क्षेत्र मवस्तृत है । 25 दररयादासी सम्प्रदाय :
दररया नाम से दो संत हुए हैं । एक दररया साहब मबहार में उत्पन्न हुए अतः मबहार वाले कहलाये और दूसरे दररया साहब मारवाड़ में उत्पन्न हुए इसमलए मारवाड़ वाले कहलाये । ‘ दररयादासी ‘ सम्प्रदाय स्वतंत्र रूप से दररयासाहब ( मबहार वाले ) द्वारा प्रवृत्त मकया गया था । इनका जन्म कामताक सुदी 15 सं० 1691 में हुआ तथा उन्होंने सं० 1837 में अपना शरीर त्याग मदया । 26 संत दररया को पंद्रहवें वर्षा में वैरानय उत्पन्न हुआ तथा तीस वर्षा की आयु में इन्होंने उपदेशों का काया करना आरम्भ कर मदया । इनके कई मशष्ट्य हुए मजनमें दलदास सबसे अमधक प्रमसद्ध हुए । संत दररया ने पंथ प्रचार हेतु काशी मगहर बाईसी मज़ला गाजीपुर , हरदी तथा लहठान् मज़ला शाहाबाद जाकर उपदेश मदये , परन्तु इनकी प्रधान गद्दी धरकन्धे में है । इसके अमतररक्त तेलपा ( सारन ) ममजाापुर ( सारन ) तथा मनुआं ( मुजफ्फरपुर ) में इनकी अन्य गद्दी स्थामपत होना कहा जाता है । 27 दररयागद्दी दो शाखाओं में मवभक्त हैं 1- मबन्दु 2- नाद । प्रथम में दररया जी के पररवारी तथा मद्वतीय में उनके मशष्ट्य आते हैं । इस पंथ को मानने वालों के दो भेर्ष हैं-1-साधु 2-गृहस्थ । इस पंथ के लोग प्रायः तंबाकू मपया करते हैं । गृहस्थ टोपी पहनते हैं । इनका मूल मंत्र ‘ वेबाहा ‘ कहलाता है । 28
इस पंथ के प्रवताक सन्त गरीबदास कहे जाते हैं । इनका जन्म रोहतक मज़ले के छु ड़ानी गाँव में सं०1774 में एक जाट पररवार में हुआ । 29 इस पंथ का प्रचार मदल्ली , अलवार , नारनोल , मबजेसर तथा रोहतक क्षेत्र तक हुआ है । गरीबदास आजीवन गृहस्थ रहे , अपने जीवनकाल में गरीबदास ने एक मेला लगाया था जो छु ड़ानी गाँव में आज तक लगता है , इस अवसर पर इस पंथ के अनुयायी एकमत्रत होकर गरीबदास के प्रमत श्रद्धा प्रकट करते हैं । इनके देहावसान के उपरांत इनके गुरुमुख चेले सलोत जी गद्दी पर बैठे , रोहतक मजले में एक गाँव के साहूकार सन्तोर्षदास और उनकी पत्नी , गरीब दास के पहले अनुयायी थे । इनकी छठी पीढ़ी में संत दयालुदास हुए मजन्होंने पंथ का पुनगाठन मकया । 30 इस पंथ की परम्परा में जैतराम , तुरतीराम , दानीराम , शीलवन्त राम , मशवदयाल , रामकृ ष्ट्िदास , गंगा सागर आमद के नाम मवशेर्ष रूप से उल्लेखनीय है । इस पंथ के कई डेरे हैं - रोहतक मजले में करोधा , कािौंदा , छारा , घरावर , असौदा , सांपला , माड़ौठी गाँव में तथा अलवर में गंगा ममन्दर नाम से भगवानदास पू ािदास का डेरा तथा रामपुर में गरीबदासी आश्रम है । 31
धरनीश्वरी सम्प्रदाय :
बाबा धरनीदास के नाम पर धरनीश्वरी सम्प्रदाय प्रवता हुआ , इनके अनुयामययों ने पंथ प्रचार हेतु कोई प्रयास नहीं मकया । इसी कारि इस सम्प्रदाय को अमधक प्रमसमद्ध प्राप्त नहीं हुई । धरनीदास के आमवभ ाव काल को लेकर मवद्वानों में मतभेद हैं , कहीं सं० 1713 इनका जन्मकाल माना जाता है और कहीं इनके मपता के देहावसान का काल कहा जाता है । इस अन्य मतानसार इनका आमवभााव सं० 1632 में हुआ ।
गरीबदासी पंथ :
इतना अवश्य है मक इनका आमवभ ाव काल इन्हीं प्रस्तुत कालों में ही रहा होगा । 32 धरनीदास के मशष्ट्य
, एवं प्रमशष्ट्यों में अमरदास , मायादास , रत्नदास , Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017