Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
स्वयं बड़े डाकू ह
मजनकी गा व ं में प्रच्छन्न प्रधानी ह
और राजधानी स
सीधा सम्पक
कान न ू का सम्मान
और स व ं द े नशीलता
ईमानदारों में ह
लेमकन वे बड़े असहाय
मक कै से चोर को छुड़ाया जाय !
..................................
ISSN: 2454-2725
ये ह
हमारी ऋतु पावस!
_____________________
िम्पकक ः एि 2/564 सिकरौल
िाराणिी 221002
मो. 9415295137
....................................
मुहािरों में सज़ंदगी
_________________
जल में रहकर मगर से बैर नहीं करत
मबल्ली के गले में घ ट ं ी कौन बांधेगा
जैसे म ह ु ावरों से सामना हो रहा ह
मकसी ने सच ही कहा ह
और यह भी म ह ु ावरा हो गया ह
मक जो डर गया वह मर गया।
___________________
ऋतु पािि
______________
वह ध प ू
जो बाहर सब जला द
वह उमस
जो अ द ं र सब अकुला द
मफर वह बाररश
जो अ द ं र-बाहर
एक-सा लहरा द
जल-लय
कर दे सांन्द्र सरस
ये ह
ये ह
Vol. 3 , issue 27-29, July-September 2017.
वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017