Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725
दादी अमीना – कै पैसे में? हाममद – तीन पैसे में ।
अमीना( छाती पीट लेती है । और मन ही मन) – कै सा बेसमझ लड़का है । मक दो पहर हुआ । कु छ खाया न मपया । लाया क्या? यह मचमटा!
हाममद( अपराधी भाव से बोलता है ।) – तुम्हारी अंगुमलयाँ तवे से जल जाती थी । इसमलए मैंने इसे ले मलया ।
बूढी दादी अमीना का क्रोध तुरंत गुस्से से स्नेह में बदल जाता है । यह स्नेह मूक स्नहे है । मजसमें खूब ठोस, रस और स्वाद भरा हुआ है ।
( िारा प्रकाश हासमद और अमीना पर आकर ठहर जाता है ।)
तभी एक मवमचत्र बात होती है । जहां हाममद बूढ़े हाममद का पात्र बन जाता है । और बुमढ़या अमीना बामलका अमीना । वह रो रही है । और दामन फै लाकर दुआएं देती जाती है । सारा गाँव हाममद को दुआएं दे रहा है ।
( पदाष सगरता है ।)
Vol. 3, issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017