समृवत शेष
जुटा लिए और कांग्ेस सरकार ने पांच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया ।
पी . वी . नरसिंह राव ने देश की कमान काफी मुकशकि समय में संभाली थी । उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक सतर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था । उनहोंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डा . मनमोहन सिंह को लवत्मंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला ।
पेशे से कृषि विशेषज्ञ एवं वकील सवगथीय राव राजनीति में आए एवं कुछ महतवपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला । वह आंध्र प्िेश सरकार में 1962 से 64 तक कानून एवं सूचना मंत्री , 1964 से 67 तक कानून एवं विधि मंत्री , 1967 में सवासथय एवं चिकितसा मंत्री एवं 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे । वह 1971 से 73 तक आंध्र प्िेश के मुखयमंत्री रहे । वह 1975 से 76 तक अखिल भारतीय कांग्ेस समिति के महासचिव , 1968 से 74 तक आंध्र प्िेश के तेलुगू अकादमी के अधयक्ष एवं 1972 से मद्रास के दक्षिण भारत हिंदी प्चार सभा के उपाधयक्ष रहे । वह 1957 से 1977 तक आंध्र प्िेश विधान सभा के सदसय , 1977 से 84 तक लोकसभा के सदसय रहे और दिसंबर 1984 में रामटेक से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए । लोक लेखा समिति के अधयक्ष के तौर पर 1978-79 में उनहोंने लंदन विशवलवद्ािय के एशियाई एवं अफ्ीकी अधययन स्कूल द्ारा आयोजित दक्षिण एशिया पर हुए एक सममेिन में भाग लिया । सवगथीय राव भारतीय विद्ा भवन के आंध्र केंद्र के भी अधयक्ष रहे । वह 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक विदेश मंत्री , 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री एवं 31 दिसंबर 1984 से 25 सितमबर 1985 तक रक्षा मंत्री रहे । उनहोंने 5 नवंबर 1984 से योजना मंत्रालय का अतिरिकत प्भार भी संभाला था । 25 सितमबर 1985 से उनहोंने मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में पदभार संभाला ।
सवगथीय राव संगीत , सिनेमा एवं नाटकशाला में रुचि रखते थे । भारतीय दर्शन एवं संसकृलत , कथा साहितय एवं राजनीतिक टिपपणी लिखने ,
भाषाएं सीखने , तेलुगू एवं हिंदी में कविताएं लिखने एवं साहितय में उनकी विशेष रुचि थी । उनहोंने सवगथीय विशवनाथ सतयनारायण के प्लसद्ध तेलुगु उपनयास ‘ वेई पदागालू ’ के हिंदी अनुवाद ‘ सहस्रफन ’ एवं केनद्रीय साहितय अकादमी द्ारा प्काशित सवगथीय हरि नारायण आपटे के प्लसद्ध मराठी उपनयास ' पान लक्षत कोन घेटो ' के तेलुगू अनुवाद ‘ अंबाला जीवितम ’ को सफलतापूर्वक प्काशित किया । उनहोंने कई प्मुख पुसतकों का मराठी से तेलुगू एवं तेलुगु से हिंदी में अनुवाद
किया एवं विभिन्न पत्रिकाओं में कई लेख एक उपनाम के अनिर प्काशित किया । उनहोंने राजनीतिक मामलों एवं संबद्ध विषयों पर संयुकत राजय अमेरिका और पकशचम जर्मनी के विशवलवद्ाियों में वयाखयान दिया । विदेश मंत्री के रूप में उनहोंने 1974 में लरिटेन , पकशचम जर्मनी , कसवटजरलैंड , इटली और मिस्र इतयालि देशों की यात्रा की ।
विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सवगथीय राव ने अंतरराषट्रीय ककूटनीति के क्षेत्र में अपनी शैक्षिक पृषिभूमि एवं राजनीतिक
तथा प्शासनिक अनुभव का सफलतापूर्वक इसतेमाल किया । प्भार सँभालने के कुछ ही दिनों बाद उनहोंने जनवरी 1980 में नई दिलिी में संयुकत राषट्र औद्ोलगक विकास संगठन के तृतीय सममेिन की अधयक्षता की । उनहोंने मार्च 1980 में नयूयलॉक्क में जी-77 की बैठक की भी अधयक्षता की । फरवरी 1981 में गुट निरपेक्ष देशों के विदेश मंत्रियों के सममेिन में उनकी भूमिका के लिए उनकी बहुत प्शंसा की गई थी । उनहोंने अंतरराषट्रीय आर्थिक मुद्ों में वयककतगत रूप से गहरी रुचि दिखाई थी । वयककतगत रूप से मई 1981 में कराकास में ईसीडीसी पर जी-77 के सममेिन में भारतीय प्लतलनलधमंडल का नेतृतव किया ।
1982 और 1983 भारत और इसकी विदेश नीति के लिए अति महत्वपूर्ण था । खाड़ी युद्ध के दौरान गुट निरपेक्ष आंदोलन का सातवां सममेिन भारत में हुआ जिसकी अधयक्षता सवगथीयमती इंदिरा गांधी ने की । 1982 में जब भारत को इसकी मेजबानी करने के लिए कहा गया और उसके अगले वर्ष जब विभिन्न देशों के राजय और शासनाधयक्षों के बीच आंदोलन से समबंलधत अनौपचारिक विचार के लिए नयूयलॉक्क में बैठक की गई , तब उनहोंने गुटनिरपेक्ष राषट्रों के विदेश मंत्रियों के साथ नई दिलिी और संयुकत राषट्र संघ में होने वाली बैठकों की अधयक्षता की थी । विदेश मंत्री के रूप में उनहोंने अमेरिका , यू . एस . एस . आर , पाकिसतान , बांगिािेश , ईरान , वियतनाम , तंजानिया एवं गुयाना जैसे देशों के साथ हुए विभिन्न संयुकत आयोगों की भारत की ओर से अधयक्षता की । लमबी बीमारी के बाद उनका निधन 23 दिसमबर 2004 को दिलिी में हुआ I दुखद यह रहा कि उनके पार्थिव शरीर को कांग्ेस नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के अंतिम दर्शन के लिए कांग्ेस मुखयािय में अंदर नहीं ले जाने दिया गया I उस दिन कांग्ेस मुखयािय के मुखय द्ार पर ताला लगा दिया गया था I बाद में उनका अंतिम संसकार हैदराबाद में हुआ I 2024 में मोदी सरकार ने उनके योगदान के लिए उनहें भारत रत्न से सममालनत किया I �
8 tuojh 2025