समृवत शेष
और ऐसी लहरों का विशवास था जो सभी नावों को ऊपर उठा सकें । यह विशवास उन विधेयकों के पारित होने में निहित था , जिनहोंने नागरिकों को भोजन का अधिकार , शिक्षा का अधिकार , काम का अधिकार और सूचना का अधिकार सुलनकशचत किया । डा . सिंह की अधिकार- आधारित क्रांति ने भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की ।
अभूतपूर्व विकास और समृद्धि की यह कहानी डा . सिंह के 2004-2014 के प्धानमंत्री कार्यकाल की कहानी है । लेकिन इसका आरमभ 1991-1996 के लवत् मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हुआ , जब पहली बार इसकी पटकथा आकार लेने लगी । जुलाई 1991 में , डा . मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण का समापन इन शबिों के साथ किया , ' दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है । मैं इस सममालनत सदन को सुझाव देता हूं कि दुनिया में एक प्मुख आर्थिक शककत के रूप में भारत का उदय एक ऐसा ही विचार है ।' यहीं से उनके भारत के विचार की शुरुआत हुई ।
यह वह दौर था जिसने भारत को आर्थिक महाशककत बनने की राह पर अग्सर किया और डा . सिंह की एक नवोनमेरी विचारक और प्शासक के रूप में साख को भी चमकाया । हालांकि , डा . सिंह के विशवासों और सार्वजनिक सेवा के प्लत उनके समर्पण की नींव उनके बीसवें दशक की शुरुआत और उनके करियर की शुरुआत में ही देखी जा सकती है । डा . सिंह ने 1991 से 1996 तक भारत के लवत् मंत्री के रूप में कार्य किया जो सवतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था । आर्थिक सुधारों के लिए वयापक नीति के निर्धारण में उनकी भूमिका को सभी ने सराहा है । भारत में इन वरषों को डा . सिंह के वयककततव के अभिन्न अंग के रूप में जाना जाता है । डा . सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को उपचार के रूप में प्सतुत किया और भारतीय अर्थवयवसरा को विशव बाजार के साथ जोड़ दिया । डा . सिंह ने आयात और निर्यात को भी सरल बनाया । लाइसेंस एवं
परमिट गुजरे जमाने की चीज हो गई । निजी पूंजी को उतसालहत करके रुगण एवं घाटे में चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों हेतु अलग से नीतियां विकसित कीं । नई अर्थवयवसरा जब घुटनों पर चल रही थी , तब प्धानमंत्री राव को कटु आलोचना का शिकार होना पड़ा । विपक्ष उनहें नए आर्थिक प्योग से सावधान कर रहा था । लेकिन प्धानमंत्रीराव ने मनमोहन सिंह पर पूरा यकीन रखा । मात्र दो वर्ष बाद ही आलोचकों के मुंह बंद हो गए Iउदारीकरण के बेहतरीन
परिणाम भारतीय अर्थवयवसरा में नजर आने लगे थे और इस प्कार एक गैर राजनीतिज्ञ वयककत जो अर्थशासत्र का प्ोर्ेसर था , का भारतीय राजनीति में प्वेश हुआ ताकि देश की बिगड़ी अर्थवयवसरा को पटरी पर लाया जा सके ।
डा . मनमोहन सिंह का जनम 26 सितंबर 1932 को पंजाब में हुआ था । उनहोंने 1952 और 1954 में क्रमशः पंजाब विशवलवद्ािय से अर्थशासत्र में स्ातक और परास्ातक की उपाधि प्ापत की । उनहोंने 1957 में कैकमरिज विशवलवद्ािय से अपना आर्थिक ट्रिपोस पूरा किया । इसके बाद उनहोंने 1962 में ऑकसिोर्ड
विशवलवद्ािय से अर्थशासत्र में डी . फिल . की उपाधि प्ापत की । डा . सिंह ने पंजाब विशवलवद्ािय और दिलिी स्कूल ऑफ इकोनलॉलमकस में अधयापन कार्य किया । वह 1971 में वाणिजय मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में केंद्र सरकार में शामिल हुए । उनहें जलि ही 1972 में लवत् मंत्रालय में मुखय आर्थिक सलाहकार के रूप में पदोन्नत किया गया । यूएनसीटीएडी सचिवालय में एक छोटे कार्यकाल के बाद , उनहें 1987-1990 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग का महासचिव नियुकत किया गया । डा . सिंह ने लवत् मंत्रालय में सचिव , योजना आयोग के उपाधयक्ष , भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर , प्धानमंत्री के सलाहकार और विशवलवद्ािय अनुदान आयोग के अधयक्ष के पदों पर भी कार्य किया ।
डा . सिंह 1991 से राजयसभा के सदसय बने और वह 1998-2004 तक विपक्ष के नेता रहे । 2004 और 2009 में कांग्ेस पाटथी की ऐतिहासिक जीत के बाद , उनहोंने 22 मई , 2004 और फिर 22 मई , 2009 को प्धानमंत्री का पद संभाला । विकास के प्लत डा . सिंह की प्लतबद्धता और उनकी अनेक उपिकबधयों को उन अनेक सममानों के माधयम से मानयता मिली है जो उनहें प्िान किए गए हैं । इनमें 1987 में पद्म विभूषण , 1993 में लवत् मंत्री के लिए यूरो मनी पुरसकार , 1993 और 1994 में लवत् मंत्री के लिए एशिया मनी पुरसकार और 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्ेस का जवाहरलाल नेहरू जनम शताबिी पुरसकार शामिल हैं ।
हालांकि , डा . मनमोहन सिंह को न केवल उनके विजन के लिए जाना जाता है , जिसने भारत को एक आर्थिक महाशककत बनाया , बकलक उनकी कड़ी मेहनत और उनके विनम्र , मृदुभाषी वयवहार के लिए भी जाना जाता है । गत 26 दिसमबर को 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया I वह एक ऐसे प्धानमंत्री रहे , जिनहें न केवल उन छलांगों और सीमाओं के लिए याद किया जाएगा , जिनसे उनहोंने भारत को आगे बढ़ाया , बकलक एक विचारशील और ईमानदार वयककत के रूप में भी याद किया जाएगा । �
6 tuojh 2025