समृवत शेष
आर्थिक उदारीकरण के जनक डा . मनमोहन सि ंह
1991
के आर्थिक उदारीकरण को वयापक रूप से भारत में सवतंत्रता के बाद सबसे महतवपूर्ण सुधारों के रूप में देखा जाता है I जिन कारणों से उदारीकरण आरमभ हुआ था , वह बहुत गंभीर थे I 1990 में भारत पर कर्ज और भारी खर्च के कारण भुगतान संतुलन संकट का सामना कर रहा था I ततकािीन प्धानमंत्री पी . वी . नरसिंह राव ने जब सत्ा
संभाली तो उनहें विरासत में गंभीर समसयाएं भी मिली I ऐसे में नरसिंह राव सरकार के लवत् मंत्री डा . मनमोहन सिंह सामने आए और देश में आर्थिक उदारीकरण के माधयम से आर्थिक समसयाओं का सुलझाने में सफल हुए I
भारत के 14वें प्धानमंत्री डा . मनमोहन सिंह ने एक दशक से अधिक समय तक अभूतपूर्व वृद्धि और विकास का नेतृतव किया । डा . सिंह के नेतृतव में भारत ने अपने इतिहास में सबसे
अधिक वृद्धि दर देखी , जो औसतन 7.7 प्लतशत रही और लगभग दो ट्रिलियन डलॉिर की अर्थवयवसरा बन गई । डा . सिंह के सत्ा में आने के बाद भारत दसवें सरान से उछलकर 2014 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थवयवसरा बन गया , जिससे लाखों लोगों का जीवन सतर ऊपर उठा ।
डा . सिंह के भारत के विचार के मूल में सिर्फ़ उच्च विकास ही नहीं बकलक समावेशी विकास
tuojh 2025 5