अपनी रणनीति के लिए डा . भीम राव आंबेडकर और संविधान का प्योग करके सत्ा हासिल करना चाहती हैं । आशचय्ष यह भी है कि हिनिू जनता को जातिगत आधार पर विभाजित करने के लिए कांग्ेस सहित अनय भाजपा विरोधी दल उसी भगवा रंग का प्योग कर रहे हैं , जिस भगवा रंग के विरुद्ध के वरषों से देश की जनता के बीच मुहिम चलाते आ रहे थे । ऐसा लगता है कि प्धानमंत्री मोदी के विकासवाद को रोकने के लिए कांग्ेस , वामपंथी और कट्टर मुकसिम विचारधारा से जुड़े लोग अब हिंदुतव के नाम पर देश की जनता को फिर से बरगला कर सत्ा को पुनः प्ापत करने के लिए एकत्रित होकर काम पर जुट गए हैं ।
भारत अपने गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे कर रहा है । गत वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में एक लनकशचत रणनीति के अंतर्गत कांग्ेस सहित अनय भाजपा विरोधी दलों ने कथित रूप से संविधान एवं
आरक्षण बचाने के नाम पर ऐसा दुषप्चार किया , जिसका असर कई लोकसभा सीट पर पड़ा । परिणामसवरूप भाजपा को 240 लोकसभा सीट ही मिली । चुनाव अभियान के समय देश की 90 प्लतशत हिनिू जनसंखया को एक बार फिर से जातियों में बांटा गया और हिंदुतव के नाम पर जनता को भाजपा सरकार के विरुद्ध भड़काने की पूरी कोशिश की गई । चुनाव में सुनियोजित रूप से जहां हिनिू जनता को दलित , आदिवासी , अगड़े-पिछड़े में विभकत कर दिया गया , वहीं हिंदुतव के भगवा चोले का उस कांग्ेस ने पूरी सफाई से भरपूर उपयोग भी किया , जिस हिंदुतव को देश और जनता के लिए अतयंत अहितकर बताने का वरषों से अभियान चलाया जा रहा हैI 2014 में भाजपा और नरेंद्र मोदी की विकासवादी राजनीति से पिटने के बाद कांग्ेस और उसका परोक्ष और अपरोक्ष रूप से साथ देने वाले वामपंथी , मुकसिम और अनय राजनीतिक दल , फिर से सत्ा प्ापत करने के लिए हिनिू और हिंदुतव के एजेंडे को हथियाने के अभियान में दिन-रात एक करने में लग चुके हैं । सभी का लक्य केवल और केवल यही था कि लोकसभा चुनाव में किसी भी तरह भाजपा की केंद्र सरकार को हटाकर सत्ा फिर से कबजा किया जाए ।
पिछले लोकसभा चुनाव में हर प्कार के कुप्चार के बाद भी सत्ा न मिलने से कांग्ेस बौखलाई हुई है । उसकी बौखलाहट 2014 के बाद कई राजयों में लगातार मिलती हार से बढ़ती ही जा रही है । कुछ ऐसा ही हाल सवतंत्रता के बाद से कांग्ेस का परोक्ष और अपरोक्ष रूप से साथ देते आ रहे वामपंथी और मुकसिम दलों का भी है । सभी के लिए आघात का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि सवतंत्रता के बाद से देश की हिनिू जनता को जिस तरह उनहोंने जाति-धर्म के नाम पर बांट कर सत्ा चलाई थी , वहीं हिनिू जनता भाजपा राज में जाति-धर्म के बंधनों से सवयं को मुकत करके , देश और समाज के विकास के लिए एकजुट हो रही है ।
भाजपा राज में साकार होती ' रामराज ' की अवधारणा से निपटना भाजपा विरोधी शककतयों को भारी पड़ रहा है । चुनाव के दौरान कांग्ेस
tuojh 2025 17