Jan 2025_DA | Page 11

समृवत शेष

फल सबजी मंडी पहालड़या के वह निरंतर अधयक्ष पद पर आसीन रहे । अभी कुछ दिन पूर्व ही उनहें लोगों के भारी आग्ह पर मंडी के अधयक्ष का पद एक बार और सवीकार करना पड़ा ।
आपातकाल 1975 में ततकािीन केंद्र सरकार के तानाशाही के विरोध में किशन जी सक्रिय थे । आपातकाल के दौरान अंडरग्ाउंड रहकर काम करते रहे एवं उनहें अंततोगतवा गिरऱ्तार कर वाराणसी सेंट्रल जेल भेज दिया गया । राजनीतिक रूप से उनका सवगथीय जननेता राजनारायण जी और वाराणसी के पूर्व सांसद एवं काशी विद्ापीठ के पूर्व कुलपति प्ोर्ेसर राजाराम शासत्री के साथ निकटता थी । 1977 में सवगथीय राजनारायण और पूर्व प्धानमंत्री
सवगथीय इंदिरा गाँधी के रायबरेली चुनाव में भी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया था ।
दलित , वंचित , शोषित एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए उनके कलयाण हेतु हर समय कार्यरत रहने वाले सवगथीय किशन जी अपने बड़े भाई सवगथीय राजनाथ सोनकर शासत्री के नेतृतव में एक ऐतिहासिक संघर्ष कर के सैकड़ों लोगों के चुलहे की बुझती आग को पुनः प्जवलित करने का कार्य किया । वाराणसी के अनेकों छोटी-बड़ी मंडियों को प्शासन द्ारा बंद करने के निर्णय को चुनौती देकर प्चंड आनिोिन
tuojh 2025 11