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प्रार्भ हुए । यह वह समय था , जबि भारतीय जनता पाटवी राजनीदत्क मैदान में उतर चु्की थी । अयोधया में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण ्को ले्कर भाजपा भी मैदान में उतर गई । जनमभदूदम ्के मसले पर रा्ट्रीय स्यं से््क संघ , विश् हिन्दू परिषद सहित तमाम हिन्दू संगठन ए्कजुट थे । 1984 में प्रार्भ हुए राममंदिर आंदोलन ्को देखते हुए 1986 में प्रधानमंत्ी राजीव गांधी ने विवादित स्ल ्का ताला खुलवा तो दिया , लेद्कन मुषसलम पक् अपने दावे ्को ले्कर अड़ा रहा , जिस्के ्कारण द्कसी भी तरह ्के समझौते ्की षस्दत नहीं बिन पाई I
1989 में रखी गई राम मंदिर की नींव
1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्ी राजीव गांधी ने विश् हिंिदू परिषद ्को विवादित जगह पर शिलानयास ्करने ्की अनुमति दे दी । लेद्कन विवाद तबि भी नहीं थमा । 1959 और 1961 में दनमणोही अखाडा और सुन्नी वकफ बिोर्ड ने जो यादच्काएं दाखिल ्की थी , उन यादच्काओं पर सुनवाई अबि इलाहाबिाद उच्च नयायालय त्क पहुंच चु्की थी । उधर मंदिर निर्माण ्को ले्कर भाजपा जनता ्के बिीच पहुंच चु्की थी और 1990 में भाजपा नेता लाल ्ककृ्ण आडवाणी ने गुजरात ्के सोमनाथ मंदिर से ले्कर अयोधया त्क रथ यात्ा दन्काली । देश ्का माहौल राममय हो चु्का था और मंदिर निर्माण ्को ले्कर हिनिुओं ्की ए्कजुटता बिढ़ती जा रही थी । इस्के बिावजदूि मुषसलम पक् द्कसी भी तरह ्के समझौते ्के लिए सामने नहीं आया और अपने दावे ्को ले्कर नयायालय में लड़ाई ्करता रहा ।
आस्ा के सैलाब ने ढहा दिया विवादित ढांचा
यह 6 दिसंबिर 1992 ्का दिन था । देश भर से पहुंचे लाखों ्कारसे््क अयोधया पहुंच चु्के थे । ्कारसेवा ्के लिए जिस स्ान ्का चयन द्कया गया था , वह विवादित ढांचे से लगभग 14 फिट नीचे विशाल समतल सतह पर बिना हुआ ्कंकीट ्का चबिदूतरा था । 6 दिसम्बर 1992
्को लगभग दस लाख लोग अयोधया पहुंचे थे , जिसमें से अससी प्रतिशत दलित समाज ्के भकतगण थे । लगभग दो लाख महिलाएं थी , जिनमें से अदध्कांश दलित एवं पिछड़े वर्ग ्की थी Iघोषित ्कायमाकम ्के अनुसार सुबिह ्करीबि गयारह बिजे त्क ्कारसे््कों ्की भीड़ जुट चु्की थी । विवादित ढांचे ्की सुरक्ा ्के लिए बिड़ी संखया में पुलिस बिल तैनात था । ्कारसे््कों ्की भीड़ ्कंकीट ्के चबिदूतरे ्को सरयदू जल से धोने में लगी हुई थी । इसी बिीच देखते ही देखते तमाम ्कारसे््क सुरक्ा वय्स्ा ्को दरद्कनार ्करते हुए विवादित ढांचे ्के ऊपर चढ़ने लगे और फिर देखते ही देखते विवादित ढांचे ्को न्ट ्करने ्का ्काम शुरू हो गया ।
हालांद्क ्कारसे््कों ्का नेतृत् ्करने वाले नेताओं ने भीड़ ्को रो्कने ्का प्रयास तो द्कया लेद्कन ्कारसे््कों ्की आस्ा नेतृत् पर भारी पड़ी । प्रशासन ्को भी समझ नहीं आ रहा था द्क ्कारसे््कों ्को ्कैसे रो्का जाए ? ्केंद्रीय सुरक्ा बिल तैयार थे , लेद्कन प्रशासन ने लिखित में ्कोई आदेश नहीं दिया । इसलिए सुरक्ा बिल भी शांत रहे । उधर ्कारसे््कों ने विवादित ढांचे में बिनाये गए गुम्बदों ्को तोड़ने ्के बिाद ही शांति ्का अनुभव द्कया । विवादित ढांचा टूटने ्के दस दिन बिाद तत्कालीन प्रधानमंत्ी पी . वी . नरसिंह राव उच्च नयायालय ्के सेवानिवृत्त नयायाधीश एम . एस . लिब्रहान ्को ले्कर ए्क जांच ्कमेटी ्का गठन ्कर दिया , जिसे विवादित ढांचा टूटने और उस्के बिाद हुए सांप्रदादय्क दंगों ्के सम्बनध में रिपोर्ट तैयार ्करनी थी । जनवरी 1993 आते- आते अयोधया षस्त 67.7 एकड़ भदूदम ्का अदधग्हण ्कर्के उसे ्केंद्र सर्कार ्की भदूदम घोषित ्कर दिया ।
उच्चतम न्ायालय ने सुनाया अभूतपूर्व निर्णय
1992 ्के बिाद विवादित स्ल पर भगवान श्रीरामलला ्की पदूजा-अर्चना प्रार्भ तो हो गई , लेद्कन क़ानदूनी रु्कावट जारी रही । तारीख पर तारीख मिलती गई और सुनवाई होती रही । 2010 में इलाहाबिाद उच्च नयायालय ने अपने
निर्णय में विवादित भदूदम ्को सुन्नी वकफ बिोर्ड , रामलला विराजमान और दनमणोही अखाड़ा ्के बिीच तीन बिराबिर हिससों में बिांटने ्का आदेश दिया , तो 2011 में उच्चतम नयायालय ने निर्णय पर रो्क लगा दी । क़ानदूनी लड़ाई जारी रहने ्के बिाद उच्चतम नयायालय ने 2017 में दोनों पक्ों ्के सामने समझौता ्करने ्का प्रसता् रखा , लेद्कन ्कोई निर्णय नहीं हो स्का । अंततः चालीस दिन ्के सुनवाई ्के बिाद 16 अगसत 2019 ्को उच्चतम नयायालय ने अपना निर्णय सुरदक्त रख लिया और फिर 9 नवम्बर 2019 ्को पांच नयायाधीशों ्की पीठ ने श्रीराम जनम भदूदम ्के पक् में निर्णय ्करते हुए 2.77 एकड़ विवादित भदूदम हिंिदू पक् ्को सौंप दी । लेद्कन उच्चतम नयायालय में होने वाली क़ानदूनी लड़ाई में ्कांग्ेस ने अपना मुषसलम प्रेम बिार-बिार प्रदर्शित द्कया ।
12 tuojh 2024