Jan 2023_DA | Page 50

tkudkjh

से वंचित कर सकता है ।
विकासातमक गकतकवकध्याँ : सवतंत्ता प्ामपत के ्पशिात देश में आर्थिक एवं सामाजिक विकास में गति लाने के लिए प्शासन करी ओर से ्पंचवर्षीय ्योजनाओं के माध्यम से वृहत उद्ेश्य एवं सम्य ्परक कल्याणकाररी ्योजनाएँ लागू करी गई । इन ्पंचवर्षीय ्योजनाओं में आदिवासरी समुदा्यों के कल्याणार्थ समुचित धनराशि करी व्यवसथा करी गई । प्थम ्पंचवर्षीय ्योजना में स्पष्ट रू्प से ्यह सिद्धांत प्रतिपादित कक्या ग्या कि सामान्य विकास का्य्भक्रमों को तै्यार करते सम्य क्पछड़े वगगों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए । साथ हरी अनुसूचित जनजाकत्यों के लिए अतिरिकत और गहन विकास हेतु विशेष उ्पबंधों का प्रयोग कक्या जाना चाहिए । दूसररी ्पंचवर्षीय ्योजना में मुख्यतः अनुसूचित जनजाकत्यों करी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को समझते हुए नरीकत्याँ बनाई गई । वासतव में ्यह आ्योजन देश के प्थम प्धानमंत्री ्पं . जवाहर लाल नेहरू द्ारा प्रतिपादित ्पंचशरीि के सिद्धांतों करी दार्शनिक प्रािरी ्पर आधारित थरी । इस ्योजना के अंतर्गत देश में सव्भप्थम 43 बहुउद्ेशरी्य आदिवासरी विकास खणड स्थापित किए गए ।
कद्तरी्य ्पंचवर्षीय ्योजना के अंत में विशिष्ट बहुउद्ेशरी्य आदिवासरी विकास खणडों तथा आदिवासरी विकास के अन्य का्य्भक्रमों का मूल्यांकन राष्ट्री्य संदर्भ में वेरर्यर एमलवन एवं ढेबर आ्योग द्ारा कक्या ग्या । एमलवन समिति ने अ्पने अध्य्यन में इस बात को स्पष्ट रू्प से स्वीकारा कि 10 विगों में इतने ज्यादा बहुमुखरी का्य्भक्रम चलाए गए कि स्वयं अधिकाररी भ्रमित हो गए तथा ्यह कनमशित नहीं कर ्पाए कि कब क्या करे , कौन सा का्य्भक्रम ्पहले चलाए ? साथ हरी ्योजनाबद्ध बजट ्पद्धति " के कारण एक ्योजना का धन दूसररी ्योजना ्पर खर्च नहीं कर ्पाए , इस कारण ररी धन का अधिक अ्पव्य्य हुआ । एमलवन कमेटरी के साथ हरी ढेबर आ्योग ( 1960-1961 ) ने आदिवाकस्यों में व्यापत ऋणग्रसतता , निरषिरता , आदिवाकस्यों करी सुरषिा और विकास हेतु विशिष्ट सुझाव दिए तरीसररी ्पंचवर्षीय ्योजना के प्ारंभ में एमलवन तथा ढेबर
आ्योग के सुझाव को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने विशिष्ट बहुमुखरी आदिवासरी विकास खणड ्योजनाओं को बदलकर आदिवासरी विकास खणड नामक ्योजना प्ारंभ करी ।
चतुर्थ ्पंचविटी ्योजना के अंतर्गत लघु एवं सरीमांत ककृिकों के लिए ककृकि मंत्रालय भारत सरकार द्ारा जनजातरी्य विकास अभिकरण नामक छः ्परर्योजनाएं प्ारंभ करी गई , जिनमें दो का लाभ मध्य प्देश को मिला जनजातरी्य अभिकरण सामाजिक सेवा के साथ-साथ आर्थिक विकास को ररी गति प्दान करेगा । लेकिन वासतकवकता में ्यह केवल एक ककृकि ्योजना बनकर रह गई और अधोसंरचनातमक विकास में कोई विशेष सफलता प्ापत नहीं हुई ।
आदिवासरी उ्प्योजना ( 1974 ) चार ्पंचवर्षीय तथा तरीन वार्षिक ्योजनाओं , अर्थात 23 विगों के कन्योजन काल के बाद जनजातरी्य समुदा्य करी समग्र मसथकत का मूल्यांकन करने , ्पूर्व में कक्र्यामनवत आदिवासरी विकासातमक कार्यों तथा नरीकत्यों करी समीक्षा करने , एवं रकवष््य करी रणनरीकत्यों ्पर प्काश डालने के उद्ेश्य से ्योजना आ्योग भारत सरकार द्ारा श्यामाचरण दुबे एवं ललिता प्साद विद्ाथटी करी अध्यषिता में दो सकमकत्यों का गठन कक्या ग्या । इन दोनों
सकमकत्यों ने अ्पने अध्य्यन में आदिवासरी विकासातमक गकतकवकध्यों करी विफलता को स्वीकार करते हुए इसके मूल कारणों को स्पष्ट कक्या ।
आदिवासरी उ्प्योजना के अंतर्गत किसरी विशेष षिेत् में रहने वािरी आदिजाकत्यों के विकास के साथ साथ षिेत् विकास ्पर ररी विशेष बल कद्या ग्या । चूंकि सररी आदिवासरी समाज करी समस्याओं करी जड़ में ऋणग्रसतता , शोषण एवं अकशषिा हरी है , अतः उ्प्योजना में इन समस्याओं के निराकरण को प्ाथमिकता दरी गई ।
उ्प्योजना काल में आदिवासरी विकास : ्पाँचवरी ्पंचवर्षीय ्योजना का प्ारू्प तै्यार करते सम्य सम्पूर्ण आदिवासरी विकास के प्श्नों को मुख्यतः तरीन दृष्टिकोणों से देखा ग्या । प्थम , आदिवासरी केंद्ररीकरण वाले षिेत् , कद्तरी्य , बिखररी हुई आदिवासरी जाकत्यां और तृतरी्य , आदिम जनजातरी्य समूह । इस अकधकन्यम का कक्र्यान्वयन देश के 9 राज्यों आंध् प्देश , झारखणड , गुजरात , राजसथान , मध्य प्देश , छत्तरीसगढ़ , हिमांचल प्देश , उड़रीसा तथा महाराष्ट् में हो चुका है । इसके अतिरिकत हाल हरी में वन अकधकन्यम 2006 कक्र्यामनवत कक्या ग्या है , जिसके द्ारा अनुसूचित जनजाकत्यों को ्परं्परागत वन भूमि ्पर ्पुनः अधिकार कद्या ग्या है ।
संक्षेप में ्यह कहा जा सकता है कि राष्ट्री्य संदर्भ में इन ७० विगों में आदिवासरी विकास के लिए जो महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक कदम उठाए गए , उनमें 1956 में आदिवासरी विकास प्रक्रिया के ्पाँच मार्गदशटी सिद्धांत- ्पंचशरीि को अ्पनाना , 1958 में बहुउद्ेशरी्य जनजातरी्य विकास खणड , 1961 में आदिवासरी विकास खणड , 1969 में जनजातरी्य विकास अभिकरण , 1974 में आदिवासरी उ्प्योजना , 1987 में ट्रायफेड का गठन , 1993 में 73वाँ संविधान संशोधन , 1996 में ्पंचा्यत अकधकन्यम 1999 में ्पृथक आदिवासरी का्य्भ मंत्रालय का गठन 2001 राष्ट्री्य अनुसूचित जनजाति आ्योग करी स्थापना , 2004 में ्पृथक अनुसूचित जनजाति आ्योग करी स्थापना तथा वन अकधकन्यम 2006 प्मुख हैं । �
50 tuojh 2023