Grasshopper November, 2018 | Page 15

की काले पQथर* की आभूषण* एवं व * से सुसिWत है। इसी को वैकKXठ नाथ की मूित7 कहा जाता है। मंिदर म ही Zीदेवी, ितMपित नाथ, भूदेवी, ल[मी व नरिसंह की मूित7या भी थािपत ह5। इस वैकKXड मंिदर म दोन* ओर दीवार* पर आकष7क रंगीन िच बने ह5। इनम कई देवीदेवता3 की झांिकयां दिश7त की गई ह5। इस मंिदर म भगवान को 6 बार भोग लगाया जाता है, िजसे बाद म साद साम^ी क Eप म िवतOरत िकया जाता है। सािवी माता मंिदर पु'कर का वह थान जहां पूरे इलाक का खूबसूरत नजारा देखने को िमलता है। _`ा मंिदर क ठीक पीछF ऊची पहाड़ी पर Cथत सािव ी देवी क मंिदर पर बड़ी सं=या म Zaालु आते ह5। एक वUत ऐसा भी था जब इस मंिदर तक पहुंचना बेहद किठन माना जाता था लेिकन राजथान पय7टन ने रोप वे से लेकर सीिढ़य* को सुिवधाजनक बनाया तािक मंिदर तक आसानी से पहुंचा जा सक। यह मंिदर भगवान _`ा की पdी सािव ी क नाम पर बनाया गया है। कहते ह5 िक भगवान _`ा से Eठकर सािव ी देवी पहाड़ी की इLहe ऊचाइय* पर आ गई थe। इस मंिदर म पहले सािव ी माता क चरण थािपत थे। बाद म माता की ितमा थािपत की गई। इस मंिदर की ऊचाई !यादा होने की वजह से नीचे बने पु'कर सरोवर से लेकर बाकी मंिदर और रेत क टील* का िवहंगम दृ,य देखने को िमलता है। /े ीय लोग* का दावा है िक जोधपुर क राजा अजीत िसंह क पुरोिहत ने ितमा थािपत कर यहां छोटा सा मंिदर बनवाया था िजसका बाद म िवतार िकया। सािव ी माता बंगाली समाज की मिहला3 क िलए सुहाग की देवी ह5। सािव ी माता मंिदर म ितवष7 भा9पद माह की अमावस क बाद वाली अ'टमी को मेला लगता है। पुकर का मान, मान महल पु'कर म यूं तो आपको बड़ी सं=या म मंिदर देखने को िमलगे लेिकन इसक साथ आप खूबसूरत महल का भी नजारा ले सकते ह5। इसे आमेर (जयपुर) क राजा मानिसंह थम ने बनवाया था। यह महल, पिव पु'कर झील क पूवB भाग पर Cथत है। इसे राजा मान िसंह क गेट हाउस क Eप म सेवा करने क िलए बनाया गया था, यह पु'कर क बड़F महल* म से एक है। अब इस महल को एक होटल म बदल िदया गया है। इसे आरटीडीसी होटल सरोवर कहा जाता है। महल अभी भी अपनी पुरानी दुिनया का आकष7ण बरकरार रखे हुए है। महल से झील और आस-पास क /े * का शानदार दृ,य देखने को िमलता है। जहां 6 बार िबहारीजी को लगता है भोग वJलभ संदाय की पुC'टमागBय शाखा का यह एकमा िबहारी जी का मंिदर है। इसे बाईजी का मंिदर भी कहा जाता है। बताया जाता है िक जोधपुर की राजकKमारी रेख कवर का जब जयपुर क महाराजा जगतिसंह क साथ िववाह हुआ, तब उLह*ने यह मंिदर अपने गुM को दे िदया था। जोधपुर से आने वाले तीथ7 या ी इस कारण इस मंिदर को बाईजी का मंिदर भी कहते ह5। िबहारी जी का मंिदर टNOरट बंगले 'सरोवर' क पास बना है। मंिदर म मंगला आरती, िसंगार आरती, राजभोग आरती, उQथापन, संRया व शयन आरती पर छह बार भोग लगाने की परSपरा है। हर आरती क समय अलगअलग कार क Tयंजन युUत भोग लगाया जाता है। भोग क समय ही भगवान क दश7न क िलए मंिदर क पट खोले जाते ह5। जLमा'टमी एवं सावन म यहां खास तौर पर उQसव आयोिजत िकए जाते ह5। November, 2018 g 13