�ीनगर क� पास अलकनंदा म� ड�म क� कारण बनी झील । |
पौड़ी इतना ठ�डा है िक यहां गिम�य� म� भी पंखे नह� चलते और लोग �वेटर पहने हुए नजर आ जाएं तो हैरानी नह� । जब यहां बसावट शु� हुई तो पहाड़ क� ऐसे िह�से को चुना गया जहां सबसे �यादा देर तक धूप िटकी रहती थी । |
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Road Trip |
पौड़ी जाते हुए ऋिषक�श क� पास गंगा घाटी ।
पौड़ी : िहमालय का शहर , िजसम� देवदार झूमते हुए हवा बहाते ह� ।
कीनाश पव�त पर बसा है पौड़ी शहर । सरकार ने इसे पय�टन नगरी का नाम िदया है ... जैसा िक सरकार� हर पहाड़ी शहर को देकर अहसान कर देती ह� , लेिकन यकीन मािनए इस शहर को पय�टन नगरी का दजा� सरकार से चािहए ही नह� । यह शहर सुक�न और शांित का शहर है , जहां मसूरी आरैर नैनीताल की तरह अभी भीड़ नह� है और ना ही शहर क� लोग कमिश�यल नजर से बाहर से आने वाले याि�य� को देखते ह� । चार� ओर बसावट वाली घािटय� से िघरे इस शहर म� �वेश करने से 15 िकलोमीटर पहले ही हवा बदलने लगती है । िहमालय से उठती ठ�ड़ी हवाएं आपका आिलंगन करने क� िलए बेस� सी लगती ह� ।
‘ िहमालयन गजेिटयर ’ म� एटिक�सन ने इस शहर क� बारे म� िलखा था- ‘ म�ने दुिनया क� कई िह�स� से बफ�ले पहाड़� को देखा है । भारत म� म�ने िहमासलय को देखा और िजतना शानदार �यू िहमालय का इस
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पौड़ी क� �ामीण �े�
शहर से नजर आता है , उतना भारत क� िकसी दूसरे िह�से से नजर नह� आता ।’ कारण साफ है । पौड़ी शहर क� िजस भी िह�से म� आप खड़� हो जाएंगे वहां से 180 िड�ी रेिडयस पर आपको अपनी आंख� क� सामने सफ�द धवल िहमालय गव� से खड़ा नजर आएगा और उसक� पार है भारत का पड़ोसी चीन ।
पौड़ी श�द ‘ पौड़ ’ का अप�ंश है । ‘ पौड़ ’ का अथ� होता है गम� जगह । दरअसल पौड़ी इतना ठ�डा है िक यहां गिम�य� म� भी पंखे नह� चलते और मई-जून म� भी आपको लोग �वेटर पहने हुए नजर आ जाएं तो हैरानी नह� । इसीिलए जब यहां बसावट शु� हुई तो पहाड़ क� ऐसे िह�से को चुना गया जहां सबसे �यादा देर तक धूप िटकी रहती थी । सिद�य� म� अभी भी दो बजे क� बाद शहर से धूप दूसरी ओर सरक जाती है । पहले यह क�वल एक गांव था । अभी भी पौड़ी शहर क� भीतर एक पौड़ी गांव है । िफर यहां ि�िटशश� क� कदम पड़� ओर यही पौड़ी गांव धीरे — धीरे पौड़ी शहर की श�ल लेने लगा । यूं समझ लीिजए िक आज का पौड़ी शहर ि�िटशश� का ही बसाया हुआ है । गढ़वाल म� उ� िश�ा क� शु�आती शहर� म� भी पौड़ी शािमल है ।
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अभी भी ि�िटश पी�रयड क� कई शानदार घर — चच� च� इस शहर म� अ�छी हालत म� मौजूद ह� । 400 से 2500 �पये तक क� होटल आपको इस शहर म� उपल�ध हो जाएंगे ।
म� पौड़ी पहुंच चुका था और रा�तेभर की थकान काफ�र थी । ये इस शहर की हवा� का जादू है । घर पर सामान पटककर सबसे पहले म� पहुंचा क�डोिलया ।
क�डोिलया : देवदार की छांव म� सूरज को ड�बते हुए देखना
पौड़ी शहर का सबसे फ�मस �पॉट है क�डोिलया । सिद�यां ह� तो लोग धूप स�कने क� िलए इस जगह का �ख करते ह� और गिम�य� म� टहलने । पौड़ी शहर क� ऊपरी िह�से म� बसा है क�डोिलया । इसक� दांई ओर गगवाड�यूं घाटी है िजसम� दिसय� गांव िबखरे हुए नजर आते ह� । देवदार और बांझ से िघरे इस इलाक� म� अंधेरा होने क� बाद अपको लेपड� यानी िक त�दुआ आसानी से सड़क� पर टहलता हुआ नजर आ जाता है । यह� पर एक मैदान भी है । आपकी िक�मत अ�छी रही और शहर म� िकसी फ�टबॉल मैच का आयोजन हो रहा हो तो
आपको फ�टबॉल क� दीवाने 12 साल की उ� से 80 साल तक क� �ट�िडयम म� बैठकर लु�फ लेते हुए नजर आ जाएंगे ।
गगवाड�यूं घाटी क� ऊपर �य�-�य� सूरज िछपने क� िलए आगे बढ़ता है , घाटी रोशनी से िटमिटमाने लगती है । यहां आपको क�छ अ�छ� रे�टोर��स िमल जाएंगे , जो आपको गम� थु�पा , नूड�स और एक अ�छी कॉफी उपल�ध करवा द�गे । इतना शायद �ंच क� िलए काफी हो । ये आपकी थकान भी िमटा देगा और आपको रात क� िलए तरोताजा भी रखेगा ।
बुवाखाल : अंधेरे क� बाद का �पॉट
पौड़ी से महज 5 िकलोमीटर दूर अब आप बुआखाल की ओर अपनी गाड़ी को मोड़ लीिजए । घने जंगल� क� बीच से गुजरने का रोमांच िलए जब आप यहां पहुंच�गे तो शहर आपको नए अंदाज म� �वागत करता हुआ नजर आएगा । 8 िकलोमीटर म� पहाड़ क� समानांतक िबखरे हुए पौड़ी शहर की खूबसूरती अब अपने शबाब पर होगी । हजार� लाइ�स क� बीच जगमगाते हुए िकसी पहाड़ी शहर का ऐसा दीदार आपने पहले नह� िकया होगा । ऐसा लगता है मान� पूरे शहर ने आपक� िलए बांह� फ�ला ली ह� ।
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