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कर्नाटक

दलितों को जबरन मांस खिलाने की प्रर्ा पर रोक की मांग fo

कास के पथ पर दौड़ लगा रहरे भारत में आज भी ऐसरे कद्रत रीद्त-रिवाज का चलन है , द्जसके कारण पूिरे समाज को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है । समाज की शर्मिंदगी का एक उदाहरण कना्थ्टक में भी दरेखा जा सकता है , जहां दद्लतदों को भैस का मांस खानरे के द्लए बाधय द्कया जाता है । इस कुप्रथा को रोकनरे के द्लए राजय दद्लत संघर्ष सद्मद्त नरे प्रशासन सरे अपनी द्शकायत दर्ज कराकर ह्तक्षेप करनरे की मांग की है ।
कना्थ्टक में यादद्गि नामक एक द्जला है , जो भीमा नदी के द्कनािरे बसा हुआ है । राजय के उत्िी भाग में स्रत यह ज़िला भौगोद्लक , ऐद्तहाद्सक , धाद्म्थक , और सांस्कृद्तक रूप सरे समृद्ध है । इस द्जलरे को अप्रैल 2010 को कना्थ्टक के 30वें द्जलरे के रूप में कलबुगमी द्जलरे सरे अलग द्कया गया था । यादगीर द्जला सांस्कृद्तक परंपराओं में बहुत समृद्ध है । द्जलरे की उपजाऊ काली द्मट्टी का द्वशाल विस्तार लाल चनरे और जवाि की भरपूर फसलदों के द्लए जाना जाता है । इस द्जलरे को राजय का दाल का क्टोरा भी कहा जाता है ।
21वीं सदी के भारत का यह ऐसा द्जला है , जहां एक ऐसी कुप्रथा चली आ रही है , द्जसमें दद्लतदों को दरेवी-दरेवताओं को बद्ल द्दए गए भैंसदों का मांस खानरे के द्लए मजबूर द्कया जाता है । यह ककृतय सुरपुरा तालुक के दरेवीकेरा गांव में लगनरे वालरे धाद्म्थक मरेलरे के दौरान होता है । मरेलरे के दौरान यहां पर दरेवी दयम्मा और पालक्मा के द्लए भैंसदों की बद्ल दी जाती है । दरेवीकेरा धाद्म्थक मरेलरे का आयोजन गत 18 द्दसंबर सरे हुआ था , जो दो द्दनदों के द्लए था । मरेलरे के
समाज दरेवी दयम्मा और पालक्मा के द्लए भैंसदों का बद्ल दी गई । दरेवीराकेरा सद्हत आसपास के गांवदों में भैंस की बद्ल वयापक रूप सरे प्रचद्लत है और भैंस की बद्ल के बािरे में सार्वजद्नक घोषणा करके गांव में रहनरे वालरे लोगदों सरे धन एकत्र द्कया जाता है । बद्ल के बाद भैंसरे के मांस को ्रानीय दद्लत परिवािदों को खानरे के द्लए द्दया जाता है । हैरत की बात यह है द्क अगर दद्लत समाज के लोग दस सरे अद्धक बद्ल दी गई भैंसदों का मांस खानरे सरे मना कर दरेतरे हैं , तो उनहें गांव में प्रवरेश करनरे सरे रोक द्दया जाता है ।
गत वर्ष इस कुप्रथा के द्विोध में राजय दद्लत संघर्ष सद्मद्त सामनरे आई और उसनरे प्रशासन सरे इस कुप्रथा को रोकनरे की मांग की । दद्लत संघर्ष सद्मद्त के राजय महासद्चव मसललकार्जुन क्रांति नरे द्जला आयुकत और पुद्लस अधीक्क
सरे द्मलकर इस कुप्रथा की द्शकायत दर्ज कराई है । उन्होंनरे मीद्डया को बताया द्क बद्ल के बाद जानविदों के मांस खानरे के द्लए दद्लतदों को मजबूर द्कया जाता है और ऐसा ना करनरे पर उनको पूिरे गांव के बद्हष्काि का सामना करना पढ़ता हैं । सद्मद्त नरे ्रानीय द्जला प्रशासन सरे इस परंपरा को रोक लगानरे की मांग करतरे हुए प्रशासन सरे ह्तक्षेप कर इस अंधद्वशवास को खतम करनरे का आग्ह द्कया है ।
ऐसा ही एक अनय मामला राजय के द्शवमोगा द्जलरे सरे भी सामनरे आया है । द्जलरे के कुमारनहलली क्षेत्र में लगनरे वालरे प्रत्येक वर्ष लगनरे वालरे मरिखंबा मरेलरे के दौरान भी दद्लतदों को बद्ल दरेनरे और मांस खानरे के द्लए बाधय द्कया है । इसी वर्ष जनवरी माह में आयोद्जत मरेलरे के दौरान हुई घ्टना के बाद द्शकायत द्मलनरे पर कना्थ्टक एससी- एस्टी आयोग नरे ्रानीय प्रशासन सरे मामलरे में ह्तक्षेप करनरे और कार्रवाई करनरे के जब निर्देश द्दए तो ्रानीय प्रशासन नरे मरिखंबा मंद्दि के पास सरे भैसदों को जबत कर द्लया । पुद्लस कार्रवाई के द्विोध में ग्ामीणदों नरे धरना-प्रदर्शन करके जबत द्कए गए भैसदों को छोड़नरे की मांग की । बाद में पुद्लस नरे मामला दर्ज कर द्लया । वैसरे गौर करनरे लायक तथय यह भी है द्क प्रशासन की सखती और कार्रवाई के बावजूद राजय के द्वद्भन्न द्ह्सदों सरे इस तरह के मामलरे लगातार सामनरे आ रहरे हैं । इसके बावजूद राजय की कांग्रेस सरकार मूक दर्शक बन कर बैठी हुई है , जो द्चंता और हैरत का द्वषय है । �
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