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भारतरत्न से सम्मानित किए जाएं गे कपदू ्मरी ठाकु र
पिछड़े , दलित , गरीब एवं वनवासरी समाज के लिए जरीवनभर कार्य करते रहे कर् पूरी ठाकु र
समञाज के पिछड़े , दलित , गरीब एवं वंचित िगषों को सशकत भञारतीय
बनञाने के आजीवन कञाय्य करने िञािे जननञायक कर्पूरी ठञाकुर को मरणोपरञांत सिगोच्च नञागरिक सम्मान भञारतरत् से सम्मानित कियञा गयञा है । प्रधञानमंत्ी नरेंद्र मोदी के नेतृति िञािी केंद्र सरकञार ने यह निर्णय उनकी 100वीं जयंती से ठीक एक दिन पहले लियञा । सिगटीय ठञाकुर दो बञार बिहञार के मुखयमंत्ी रहे । उनकञा निधन 1988 में हुआ थञा और अब 36 वर्ष बञाद उनहें भञारत कञा सिगोच्च नञागरिक सम्मान दियञा जञा रहञा है । समञाजिञादी नेतञा और पूर्व मुखयमंत्ी कर्पूरी ठञाकुर को भञारत रत् से सम्मानित किए जञाने के निर्णय पर सभी ने हर्ष वयकत कियञा है ।
कर्पूरी ठञाकुर कञा जनम वब्वटश शञासन कञाि में समसतीपुर जिले के पितौंझियञा गञांव , जिसे अब ' कर्पूरीग्राम ' कहञा जञातञा है , में नञाई जञावत के पररिञार में 24 जनवरी 1924 को हुआ थञा । उनके पितञाजी कञा नञाम गोकुल ठञाकुर तथञा मञातञा कञा नञाम श्रीमती रञामदुिञारी देवी थञा । 1940 में मैट्रिक की परीक्षा पञास करने के बञाद वह 1942 कञा भञारत छोड़ो आंदोलन में करूद पड़े । परिणञामसिरूप उनहें 26 मञाह तक भञागलपुर जेल बंद कर दियञा गयञा । 1945 में रिहञा होने के बञाद 1948 में वह आचञाय्य नरेनद्रदेव एवं
जयप्रकञाश नञारञायण के समञाजिञादी दल से जुड़ गए और फिर बिहञार के प्रञादेशिक मंत्ी बने । 1967 के आम चुनञाि में कर्पूरी ठञाकुर के नेतृति में संयुकत समञाजिञादी दल ( संयुकत सोशलिसट पार्टी ) एक बड़ी तञाकत के रूप में उभरञा और 1970 में उनहें बिहञार कञा मुखयमंत्ी बनञायञा गयञा । 1973-77 में वह लोकनञायक जयप्रकञाश के छात्र-आंदोलन से जुड़ गए । 1977 में समसतीपुर संसदीय वनिञा्यचन क्ेत् से सञांसद बने । 24 जून
1977 को वह पुनः बिहञार के मुखयमंत्ी बने । 1980 में मध्यावधि चुनञाि के समय कर्पूरी ठञाकुर के नेतृति में लोक दल बिहञार विधञानसभञा में मुखय विपक्ी दल के रूप में उभरञा और कर्पूरी ठञाकुर नेतञा बने । अपने पूरे जीवन कञाि में कर्पूरी ठञाकुर सदैव दलित , शोषित और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए संघर्ष करते रहे । उनकञा सञादञा जीवन , सरल सिभञाि , सपष्ट विचञार और अदमय इच्छा शषकत ने लोगों को प्रभञावित कियञा । बिहञार
44 iQjojh 2024