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करने , मञानव-विकञास के उच्चतर सोपञान पर पहुंचने की गजब की क्मतञा है , इस धर्म में ! श्रीमद्गवदगीतञा में इस विचञार पर जोर दियञा गयञा है कि वयषकत की महञानतञा उसके कर्म से सुनिश्रित होती है न कि जनम से । इसके बञािजूद अनेक इतिहञावसक कञारणों से इसमें आई नकञारतमक बुरञाइयों , ऊंच-नीच की अवधञारणञा , कुछ जञावतयों को अछूत समझने की आदत
इसकञा सबसे बड़ा दोष रहञा है । यह अनेक सहस्ञाषबदयों से हिंदू धर्म के जीवन कञा मञाग्यदर्शन करने िञािे आधयञाषतमक सिंद्धञातों के भी प्रतिकरूि है ।
हिंदू समञाज ने अपने मूलभूत सिंद्धञातों कञा पुनः पतञा लगञाकर तथञा मञानवतञा के अनय घटकों से सीखकर समय समय पर आतम सुधञार की इच्छा एवं क्मतञा दशञा्यई है । सैकड़ों सञािों से िञासति में इस दिशञा में प्रगति हुई है । इसकञा श्रेय आधुनिक कञाि के संतों एवं समञाज सुधञारकों स्वामी विवेकञानंद , स्वामी दयञानंद , रञाजञा रञाममोहन रञाय , महञात्मा जयोवतबञा फुले एवं उनकी पत्ी सञावित्ी बञाई फुले , नञारञायण गुरु , गञांधीजी और डञा . बञाबञा सञाहब आंबेडकर को जञातञा है । इस संदर्भ में राष्ट्रीय सियंसेवक संघ तथञा इससे प्रेरित अनेक संगठन हिंदू एकतञा एवं हिंदू समञाज के पुनरुत्थान के लिए सञामञावजक समञानतञा पर जोर दे रहे है । संघ के तीसरे सरसंघचञािक बञािञासञाहब देवसर कहते थे कि ‘ यदि असपृ्यतञा पञाप नहीं है तो इस संसञार में अनय दूसरञा कोई पञाप हो ही नहीं सकतञा । वर्तमञान दलित समुदञाय जो अभी भी हिंदू है अधिकञांश उनहीं सञाहसी ब्राह्राणें व क्वत्यों के ही वंशज हैं , जिनहोंने जञावत
से बञाहर होनञा सिीकञार कियञा , किंतु विदेशी शञासकों द्वारञा जबरन धर्म परिवर्तन सिीकञार नहीं कियञा । आज के हिंदू समुदञाय को उनकञा शुरिगुजञार होनञा चञावहए कि उनहोंने हिंदुति को नीचञा दिखञाने की जगह खुद नीचञा होनञा सिीकञार कर लियञा ।
हिंदू समञाज के इस सशकतीकरण की यञात्रा को डञा . आंबेडकर ने आगे बढ़ायञा , उनकञा दृष्टकोण न तो संकुचित थञा और न ही वे पक्पञाती थे । दलितों को सशकत करने और उनहें वशवक्त करने कञा उनकञा अभियञान एक तरह से हिंदू समञाज ओर राष्ट्र को सशकत करने कञा अभियञान थञा । उनके द्वारञा उठञाए गए सिञाि जितने उस समय प्रञासंगिक थे , आज भी उतने ही प्रञासंगिक है कि अगर समञाज कञा एक बड़ा हिस्सा शषकतहीन और अवशवक्त रहेगञा तो हिंदू समञाज ओर राष्ट्र सशकत कैसे हो सकतञा है ? वह बञार-बञार सवर्ण हिंदुओं से आग्ह कर रहे थे कि विषमतञा की वदिञारों को गिरञाओं , तभी हिंदू समञाज शषकतशञािी बनेगञा । डञा . आंबेडकर कञा मत थञा कि जहञां सभी क्ेत्ों में अन्याय , शोषण एवं उतपीड़न होगञा , वहीं सञामञावजक न्याय की धञारणञा जनम लेगी । आशञा के अनुरूप उतर
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