सप्ट है और यही आज दुनियञा में भञारत की प्रगति कञा कञारण है । संतों की िञाणी हर युग में हमञारञा मञाग्य प्रशसत करने के सञाथ ही हमें सञािधञान भी करती है । संत रविदञास कञा उलिेख करते हुए प्रधञानमंत्ी मोदी ने कहञा कि ज्यादञातर लोग जञावत और पंथ के मतभेदों में उलझे रहते हैं तथञा जञावतिञाद की यह बीमञारी मञानवतञा को नुकसञान पहुंचञाती है । अगर कोई किसी को जञावत के नञाम पर उकसञातञा है , तो इससे मञानवतञा को भी नुकसञान होतञा है ।
प्रधञानमंत्ी मोदी ने दलितों के कल्याण कञा विरोध करने िञािी तञाकतों के प्रति भी लोगों को आगञाह कियञा । उनहोंने कहञा कि ऐसे लोग जञावत की रञाजनीति की आड़ में वंशिञाद और पररिञारिञाद की रञाजनीति करते हैं । वंशिञाद की रञाजनीति ऐसी तञाकतों को दलितों एवं जनजञावतयों के उत्थान की सरञाहनञा करने से
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दलितों , वंचितों और गरीबों के उत्ान के प्रति सरकार की मंशा स्पष्ट है और यही आज दुनिया में भारत की प्रगति का कारण है । संतों की वाणरी हर युग में हमारा मार्ग प्रशस्त करने के साथ ही हमें सावधान भरी करतरी है । संत रविदास का उल्ेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ज्ादातर लोग जाति और पंथ के मतभेदों में उलझे रहते हैं तथा जातिवाद की यह बरीमारी मानवता को नुकसान पहुंचातरी है । अगर कोई किसरी को जाति के नाम पर उकसाता है , तो इससे मानवता को भरी नुकसान होता है ।
रोकती है । इसलिए हमें जञावतिञाद की नकञारञातमक मञानसिकतञा से बचनञा होगञा और संत रविदञास की सकञारञातमक शिक्षाओं कञा पञािन करनञा होगञा I आज देश के हर दलित को , हर पिछड़े को एक और बञात ध्यान रखनी है । हमञारे देश में जञावत के नञाम पर उकसञाने और उनहें लड़ञाने में भरोसञा रखने िञािे इंडी गठबंधन के लोग दलित , वंचित के हित की योजनञाओं कञा विरोध करते हैं । सच्चञाई यह है कि यह लोग जञावत की भिञाई के नञाम पर अपने पररिञार के स्वार्थ की रञाजनीति करते हैं । यञाद होगञा , गरीबों के लिए शौचञािय बनञाने की शुरुआत हुई थी तो इन लोगों ने उसकञा मज़ञाक उड़ञायञा थञा । इनहोंने जनधन खञातों कञा मज़ञाक उड़ञायञा थञा । इनहोंने डिजिटल इंडियञा कञा विरोध कियञा थञा । इतनञा ही नहीं , पररिञारिञादी पञावटटियों की एक और पहचञान है । यह अपने पररिञार से
बञाहर किसी भी दलित , आवदिञासी को आगे बढ़ते नहीं देनञा चञाहते हैं । दलितों , आवदिञावसयों कञा बड़े पदों पर बैठनञा इनहें बर्दाश्त नहीं होतञा है । जब देश ने पहली आवदिञासी मवहिञा राष्ट्रपति बनने के लिए महञामहिम द्रौपदी मुर्मू जी चुनञाि लड़ रही थीं , तो किन किन लोगों ने उनकञा विरोध कियञा थञा ? किन किन पञावटटियों ने उनहें हरञाने के लिए सियञासी िञामबंदी की थी ? वह सब की सब यही पररिञारिञादी पञावटटियञां ही थीं , जिनहें चुनञाि के समय दलित , पिछड़ञा , आवदिञासी अपनञा वोट बैंक नज़र आने लगतञा है । हमें इन लोगों से और इस तरह की सोच से सञािधञान रहनञा है । हमें जञावतिञाद की नकञारञातमक मञानसिकतञा से बचकर रविदञास जी की सकञारञातमक शिक्षाओं कञा पञािन करनञा है ।
प्रधञानमंत्ी मोदी ने कहञा कि रविदञास जी कहते थे-
सौ बरस लौं जगत मंहि जीवत रहि करू कञाम । रैदञास करम ही धरम है करम करहु निहकञाम ॥
अथञा्यत् सौ वर्ष कञा जीवन हो , तो भी पूरे जीवन हमें कञाम करनञा चञावहए । कयोंकि , कर्म ही धर्म है । हमें निष्काम भञाि से कञाम करनञा चञावहए । संत रविदञास की यह शिक्षा आज पूरे देश के लिए है । देश इस समय आज़ञादी के अमृतकञाि में प्रवेश कर चुकञा है । पिछले िषषों में अमृतकञाि में विकसित भञारत के वनमञा्यण की मजबूत नींव रखी जञा चुकी है । अब अगले पञांच वर्ष में हमें इस नींव पर विकञास की इमञारत को और ऊंचञाई देनी है । गरीब वंचित की सेिञा के लिए जो अभियञान दस िषषों में चले हैं , अगले पञांच षषों में उनहें और भी अधिक विस्तार मिलनञा है । यह सब 140 करोड़ देशिञावसयों की भञागीदञारी से ही होगञा । संत रविदञास की ककृपञा से नञागरिकों के सपने सच होंगे और हमें देश के बञारे में सोचनञा होगञा । हमें विभञाजनकञारी विचञारों से दूर रहकर देश की एकतञा को मजबूत करनञा है । �
iQjojh 2024 11