लखीमपुर में दलित बेटियों के सयार अपरयाध करने वयाले पयाहपयों कया नयाम सयामने आने के बयाद सन्नाटया पसर गयया है । सपया , बसपया , कयांग्ेस सहित अन्य विपक्षी दल कु छ भी बोलने को तैययार नहीं हैं । ध्यान हो अगर तो यह सभी विपक्षी दल हयाररस और उन्नाव सहित कई मयामलों में भयाजपया सरकयार के विरुद्ध सड़क पर उतर आए थे ।
मुस्लिम प्ेम के कारण चुप है विपक्ष
लखीमपुर में दलित बेटियों के साथ अपराध करने वाले पापियों का नाम सामने आने के बाद सन्ाटा पसर गया है । सपा , बसपा , कांग्ेस सहित अनय विपक्षी दल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं । धयान हो अगर तो यह सभी विपक्षी दल हाथरस और उन्ाि सहित कई मामलों में भाजपा सरकार के विरुद्ध सड़क पर उतर आए थे । विपक्ष के दलों में होड़ मच गयी थी कि कौन सा दल विरोध करने में सबसे आगे रहेगा । मोदी विरोध के लिए कई बड़े विपक्षी नेता पीड़ित परिवारों के घर पर जाकर मीडिया के सामने बड़े-बड़े दावे करते नहीं थक रहे थे । पर लखीमपुर में हुई घटना को लेकर किसी भी विपक्षी नेता के चेहरे पर शिकन भी नहीं है । घटना के बाद जो विपक्ष आक्ामक हुआ और राहुल गांधी , प्रियंका गांधी , मायावती , अखिलेश ,
राहुल गांधी , एक के बाद एक कई नेताओं ने योगी सरकार को कटघरे में खड़े करना शुरू कर दिया लेकिन आरोपियों की पहचान जैसे ही उजागर हुई , वैसे ही कथित तौर पर विपक्षी खेमे में सन्ाटा पसर गया । आखिर कयों ? कारण ्पषट है । आरोपी मुस्लम धर्म के हैं । उनके वोट विपक्ष की चुनावी सांसों के लिए निहायत आवशयक हैं । ऐसे में विपक्ष बोलेगा नहीं , यह भी सतय है ।
मुस्लिम अपराधियों के प्वत विपक्ष का लगाव
उत्र प्रदेश में यह कोई अकेली घटना नहीं है । पिछले पांच वर्ष के दौरान कई दलित परिवारों के विरुद्ध मुस्लम अपराधी ततिों ने कई घटनाओं को अंजाम दिया । जौनपुर , आजमगढ़ , प्रयाग , कानपुर सहित कई जिलों में दलित परिवारों पर अतयाचार की घटनाएं सामने आयी । लेकिन प्रदेश में दलित एवं पिछड़े िगगो की वोटबैंक
राजनीति करने वाले विपक्षी दल चुपपी साधे रहे । विपक्ष इसलिए चुप रहा कयोंकि घटना के लिए मुस्लम तति जिममेदार पाए गए । उनहें लगा कि वह आरोपितों पर कार्रवाई की मांग करेंगे तो मुस्लम समाज उनसे नाराज हो जाएगा और उनका वोट बैंक प्रभावित होगा । मुस्लम समुदाय से संबंधित आतंकवादियों और अपराधियों का विरोध मुस्लम समाज पसंद नहीं करता । ऐसा केवल उत्र प्रदेश में नहीं है । बिहार , झारखणड , पसशचम बंगाल , महाराषट्र , कर्नाटक , तमिलनाडु , केरल सहित अधिकांश राजयों का यही हाल है । अधिकतर राजयों में दलित वर्ग लगातार मुस्लम ततिों के निशाने पर है । एक तरह देश में दलित- मुस्लम एकता के िजनीिाड़े को देखा जा सकता है , वही मुस्लम तति दलित वर्ग को साध कर अपने हितों की पूर्ति के लिए एकजुट हैं । राजयों में दलित वर्ग के विरुद्ध होने वाली घटनाओं में अगर अपराधी मुस्लम धर्म का है , तो उसे बचाने के लिए प्रयास प्रारमभ हो जाते हैं । कभी मुस्लम अपराधी को मानसिक रोगी बताया जाता है , तो कभी यह कहकर बचाव किया जाता है कि वह नासमझ है । येन-केन-प्रकारेण विपक्षी राजनितिक दल का ्िाथ्त महज अपने वोट बैंक को बचाने का ही रहता है ।
विपक्ष के लिए सिर्फ वोट बैंक है दलित
flracj 2022 7