eMag_Sept2022_DA | страница 22

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डॉ . आबरेडकर करे सवर्ण मार्गदर्शक : मास्टर आत्ाराम अमृतसरी

डॉ . विवेक आर्य

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शताबदी के आरंभ में हमारे देश में न केवल आज़ादी के लिए संघर्ष हुआ अपितु सामाजिक सुधार के लिए भी बड़े-बड़े आनदोलन हुए । इन सभी सामाजिक आनदालनों में एक था शिक्षा का समान अधिकार । प्रतसद् समाज सुधारक ्िामी दयानंद द्ारा अमर ग्नथ सतयाथ्त प्रकाश में उदघोष किया गया कि राजा के पुत्र से लेकर एक गरीब वयसकर का बालक तक नगर
से बाहर गुरुकुल में समान भोजन और अनय सुविधायों के साथ उचित शिक्षा प्रापर करे एवं उसका वर्ण उसकी शिक्षा प्रापर करने के पशचार ही निर्धारित हो और जो अपनी संतान को शिक्षा के लिए न भेजे , उसे राजदंड दिया जाये । इस प्रकार एक शुरि से लेकर एक ब्ाह्मण तक सभी के बालकों को समान परिस्थयों में उचित शिक्षा दिलवाना और उसे समाज का एक जिममेदार नागरिक बनाना शिक्षा का मूल उद्ेशय था ।
्िामी दयानंद के क्ांतिकारी विचारों से प्रेरणा
पाकर बड़ोदा नरेश शयाजी राव गायकवाड ने अपने राजय में दलितों के उद्धार का निशचय किया । आर्यसमाज के ्िामी नितयानंद जब बड़ोदा में प्रचार करने के लिए पधारे तो महाराज ने अपनी इचछा ्िामी जो को बताई कि मुझे किसी ऐसे वयसकर की आवशयकता हैं जो शिक्षा सुधार के कार्य को कर सके । पंडित गुरुदत विद्याथनी जो ्िामी दयानंद के निधन के पशचार नास्रक से आस्रक बन गए थे से प्रेरणा पाकर नये नये स्ारक बने आतमाराम अमृतसरी ने
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