4 . भौगोलिक एकाकी्पन और सभी दृसषट से सामानय त्पछड़ापन
अनुसदूतचि जनजातियों की सदूची में कुछ समुदायों के प्रवेशन के लिए मांग ्पर विचारण करने के लिए और उ्परोकि मानदंड को धयान में रखते हुए संविधान आदेश संविधान अनुसदूतचि जातियां और अनुसदूतचि जनजातियां आदेश ( संशोधन ) अधिनियम-1976 ( 1976 का संखया 108 ) के द्ारा व्यापक रू्प से संशोधित किए गए थे , जबकि कुछ राजयों के संबंध में नये संविधान आदेश भी जारी किए गए थे ।
अनुसदूतचि जनजातियों की सदूची में प्रवेशन या निषकासन के लिए संशोधित प्रतरिया
जदून 1999 में अनुसदूतचि जनजातियों की सदूची में प्रवेशन या निषकासन ्पर दावों ्पर निर्णय करने के लिए निम्नलिखित औ्पचारिकताओं का उललेख किया गया है -
1 . केवल वे दावे जिन ्पर संबंधित राजय सरकारें सहमत हैं , भारत के महा्पंजीयक और राषट्रीय अनुसदूतचि जनजाति आयोग मामले ्पर विचार करते हैं ।
2 . जब कभी राजय / संघ शासित क्षेत् की अनुसदूतचि जनजातियों की सदूची में किसी समुदाय के प्रवेषण के लिए मंत्ालय में अभयावेदन प्रापि होते हैं तो मंत्ालय उन अभयावेदन को संविधान के अनुचछे् 342 के अंतर्गत अ्पेक्षित सिफारिश के लिए संबंधित राजय सरकार / संघ शासित क्षेत् प्रशासन को भेज देता है ।
3 . यदि संबंधित राजय सरकार प्रसिाव की सिफारिश करती है तो उसे भारत के महा्पंजीयक को उनकी टिप्पणियों / विचारों के लिए भेज दिया जाता है ।
4 . भारत के महा्पंजीयक , यदि राजय सरकार की सिफारिशों से संतुषट हैं , यह सिफारिश
हैं कि प्रसिाव को केंद्र सरकार के ्पास भेज दिया जाए ।
5 . उसके बाद , सरकार प्रसिाव को राषट्रीय अनुसदूतचि जनजाति आयोग के ्पास उनकी सिफारिश के लिए भेज देती है ।
6 . यदि राषट्रीय अनुसदूतचि जनजाति आयोग भी मामले की सिफारिश करता है तो मामला संबंधित प्रशासनिक मंत्ालयों के ्परामर्श के बाद मंतत्मंडल के निर्णय के लिए भेजा जाता है । उसके बाद , मामले को राषट्र्पिीय आदेश में संशोधन के लिए एक विधेयक के रू्प में संसद के समक्ष लाया जाता है ।
प्रवेशन , निषकासन या अनय संशोधन के लिए दावे जिसको न तो भारत के महा्पंजीयक और न ही संबंधित राजय सरकारों ने समर्थन दिया है , को राषट्रीय अनुसदूतचि जनजाति आयोग को नहीं भेजा जाएगा । इसे सामाजिक नयाय एवं अधिकारिता मंत्ालय के सिर ्पर असवीककृि कर दिया जाएगा ।
यदि राजय सरकार और भारत के महा्पंजीयक के विचारों के बीच असहमति है तो भारत के महा्पंजीयक के विचारों को राजय सरकारों के ्पास आगे उनकी सिफारिशों को नयायोचित ठहराने के लिए भेज दिया जाएगा । राजय सरकार / संघ शासित प्रशासन से स्पषटीकरण प्रापि होने ्पर , प्रसिाव को ्पुन : टिप्प्णी के लिए भारत के महा्पंजीयक को भेजा जाता है । ऐसे मामलों में जहां भारत के महा्पंजीयक तद्िीय संदर्भ में राजय सरकार / संघ शासित क्षेत् प्रशासन के विचार के बिंदुओं ्पर सहमत नहीं है , वहां भारत सरकार ऐसे प्रसिाव की असवीककृति ्पर विचार कर सकती है ।
उसी प्रकार उन मामलों में जहां राजय सरकार और भारत के महा्पंजीयक प्रवेशन / निषकासन के ्पक्ष में है . लेकिन उस ्पर राषट्रीय अनुसदूतचि जनजाति आयोग का समर्थन नहीं है तो उसे असवीककृि कर दिया जाएगा । राषट्रीय आयोग द्ारा सविः सिफारिश किए गए दावों को भारत के महा्पंजीयक और राजय सरकारों को भेजा जाएगा । उनके प्रतयुत्र ्पर निर्भर रहते हुए , उनहें यथासंभव लागदू औ्पचारिकताओं के अनुरू्प निसिारित किया जाएगा । �
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