नहीं हो सकती ।
भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो डा . अंबेडकर संभवतः ्पहले अधयेिा रहे हैं । जिनहोंने जातीय संरचना में महिलाओं की ससरति को समझने की कोशिश की थी । उनके सं्पदूण्त विचार मंथन के दृसषटकोण में सबसे महतव्पदूण्त मंथन का हिससा महिला सशसकिकरण था । डा . अंबेडकर यह बात समझते थे कि ससत्यों की ससरति सिर्फ ऊ्पर
से उ्प्ेश देकर नहीं सुधरने वाली , उसके लिए कानदूनी वयवसरा करनी होगी । हिं्दू कोड बिल महिला सशसकिकरण का असली आविषकार है । इसी कारण अमबेिकर हिं्दू कोड बिल लेकर आये थे । हिं्दू कोड बिल भारतीय महिलाओं के लिए सभी मर्ज की दवा थी । ्पर अफसोस यह बिल संसद में ्पारित नहीं हो ्पाया और इसी कारण डा . अंबेडकर ने कानदून मंत्ी ्प् का इसिीिा दे दिया था । सत्ी सरोकारों के प्रति डा . अंबेडकर का सम्प्तण किसी जुनदून से कम नहीं था ।
डा . अंबेडकर का मानना था कि भारतीय महिलाओं के त्पछड़े्पन की मदूल वजह भेदभाव्पदूण्त समाज वयवसरा और शिक्षा का अभाव है । शिक्षा में समानता के संदर्भ में डा . अंबेडकर के विचार स्पषट थे । उनका मानना था कि यदि हम लडकों के साथ-साथ लड़कियों की शिक्षा ्पर धयान देने लग जाए तो प्रगति कर सकते है । शिक्षा ्पर किसी एक ही वर्ग का अधिकार नहीं है । समाज के प्रतयेक वर्ग को शिक्षा का समान अधिकार है । नारी शिक्षा ्पुरुष शिक्षा से भी अधिक महतव्पदूण्त है । चदूंकि ्पदूरी ्पारिवारिक वयवसरा की धुरी नारी है उसे नकारा नहीं जा सकता है । डा . अंबेडकर के प्रसिद्ध मदूलमंत् की शुरुआत ही ‘ शिक्षित करो ’ से होती है । इस मदूलमंत् की ्पालना से आज कितनी ही महिलाएं शिक्षित होकर आतमतनभ्तर बन रही है ।
डा . अंबेडकर कुल 64 विषयों में मासटर थे । वह हिन्ी , ्पाली , संस्कृत , अंग्ेजी , फ्ेंच , जर्मन , मराठी , ्पतश्तयन और गुजराती जैसे 9 भाषाओं के जानकार थे । इसके अलावा उनहोंने लगभग 21 साल तक विशव के सभी िमषों की तुलनातमक रू्प से ्पढाई की थी । डा . अंबेडकर अकेले ऐसे भारतीय है जिनकी प्रतिमा लंदन संग्ाहलय में कार्ल माकस्त के साथ लगाई गई है । इतना ही नहीं , उनहें देश-विदेश में कई प्रतिसषठि सममान भी मिले है । डा . अंबेडकर के ्पास कुल 32 डिग्ी थी । उनके निजी ्पुसिकालय राजगृह में 50 हजार से भी अधिक किताबें थी । यह विशव का सबसे बडा निजी ्पुसिकालय था ।
जब 15 अगसि 1947 में भारत की सविंत्िा
के बाद कांग्ेस के नेतृतव वाली नई सरकार बनी तो उसमें डा . अंबेडकर को देश का ्पहले कानदून मंत्ी नियुकि किया गया । 29 अगसि 1947 को डा . अंबेडकर को सविंत् भारत के नए संविधान की रचना कि लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अधयक्ष नियुकि किया गया । 26 नवमबर 1949 को संविधान सभा ने उनके नेतृतव में बने संविधान को अ्पना लिया । अ्पने काम को ्पदूरा करने के बाद डा . अंबेडकर ने कहा मैं महसदूस करता हदूं कि भारत का संविधान साधय है , लचीला है ्पर साथ ही यह इतना मजबदूि भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों समय जोड़ कर रखने में सक्षम होगा । मैं कह सकता हदूं कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नही होगा कि हमारा संविधान खराब था बसलक इसका उ्पयोग करने वाला मनुषय ही गलत था । डा . अंबेडकर ने 1952 में निर्दलीय उममी्वार के रू्प मे लोक सभा का चुनाव लड़ा ्पर हार गये । मार्च 1952 मे उनहें राजय सभा के लिए मनोनित किया गया । अ्पनी मृतयु तक वो उच् सदन के सदसय रहे ।
डा . अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नाग्पुर में अ्पने लाखों समर्थकों के साथ एक सार्वजनिक समारोह में एक बौद्ध भिक्षु से बौद्ध धर्म ग्हण कर लिया । राजनीतिक मुद्ों से ्परेशान अमबेिकर का सवासथय बिगड़ता चला गया । 6 दिसमबर 1956 को डा . अंबेडकर की नींद में ही दिलली ससरि उनके घर मे मृतयु हो गई । 7 दिसमबर को बमबई में चै्पाटी समुद्र तट ्पर बौद्ध शैली मे उनका अंतिम संसकार किया गया जिसमें उनके हजारों समर्थकों , कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया । 1990 में बाबासाहब डा . अंबेडकर को भारत रत्न से सममातनि किया गया । सरकारों की उ्पेक्षा के चलते बाबा साहेब को भारत रत्न सममान बहुत देर से प्रदान किया गया । जिसके वे सबसें ्पहले हकदार थे । डा . अंबेडकर के दिलली ससरि 26 अली्पुर रोड के उस घर में एक समारक स्थापित किया गया है , जहां वह सांसद के रू्प में रहते थे । डा . अंबेडकर का एक बड़ा तचत् भारतीय संसद भवन में लगाया गया है । �
flracj & vDVwcj 2023 35