समाज की जनता को दिए जाने वालिे आरक्षण के कारण आरक्षित श्ेणी की जनता के हित किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होंगे । उनिोंने कहा कि कुछि लिोग गुज्जर-बककिवालि और पहाड़ियों को लिड़वाना चाहते हैं । लिेकिन आप सत्ता के लिोभियों की बातों में आम जनता को नहीं आना चाहिए । पहाड़ियों को उनका हक चरलिेगा , लिेकिन इसकी वजह से गुज्जर- बककिवालि का एक अंश भी कम नहीं होगा । लिेकिन केंद्र सरकार के निर्णय की घोर्णा के
बाद से राजय में भाजपा विरोधी राजनेता से लिेकर अनय संघठन यह प्रचारित करने में जुट गए हैं कि पहाड़ी समाज की जनता को अनुसूचित वर्ग में शाचरलि करने से गुर्जरों और बकरवालि समाज के हितों पर बुरा असर पड़डेगा । दोनों समाज की जनता को यह बताकर भ्चरर करने की चेषटा की जा रही है कि पहाड़ी समाज की जनता को
अनुसूचित वर्ग का दर्ज देने पर उनकी नौकरियों और शिक्षा कोटा के चलिए प्रचर्पर्धा बढ़ जाएगी ।
केंद्र सरकार द्ािा पहाड़ी समाज की जनता को अनुसूचित जनजाति में शाचरलि किये जाने के निर्णय का लिाभ राजय में छिि लिाख से अधिक लिोगों को चरलिेगा । राजय की आबादी में 40 प्रतिशत भागीदारी पहाड़ी समाज की जनता की हैI राजौरी , पुंछि , उत्तरी कशरीि के सीमावरमी चजलिे बारामुलिा और कुपवाड़ा , पीर पंजालि सहित कई अनय चजलिों में रहने वालिी पहाड़ी समाज
की जनता लिमबे समय से अनुसूचित जनजाति वर्ग में शाचरलि किये जाने की मांग करती आ रही है कयोंकि उनके साथि रहने वालिे दूसरे समुदाय गुर्जरों और बकरवालिों को 1991 में ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जा चुका है । साथि में नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी का आरक्षण चरलि रहा है ।
भार्ाई रूप से अलपसंखयक पहाड़ी समाज की जनता राजय की चपछिलिी सरकारों पर उनकी मांगों की अनदेखी का आरोप लिगाती आ रही है । मोदी सरकार के निर्णय पर प्रचरचक्या देते हुए पहाड़ी समाज की जनता यह कह रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहाड़ी जनता के साथि हो रहे अनयाय को एक झटके में दूर कर दिया है । पहाड़ी समाज की जनता चपछिलिे तीन दशक से अपनी मांग को लिेकर संघर््म कर रही थिी । पहाड़ी समाज की जनता में 55 प्रतिशत हिंदू और बाकी मुस्लिम हैं । पहाड़ी समाज की जनता का प्रभाव राजय की कई विधानसभा सीटों पर देखा जा सकता है । राजय में विधानसभा सीटों के चलिए हुए परिसीमन के बाद नौ विधानसभा सीट को अनुसूचित जनजाति के चलिए आरक्षित श्ेणी में रखा गया है । इनमें राजौरी-पुंछि क्षेत्र की की पांच विधानसभा सीट और घाटी में बांदीपोरा की गुरेज , गांदरबलि की कंगलि और अनंतनाग की कोकरनाग सीट आरक्षित है । धयान रहे यह वह विधानसभा सीट हैं जिन पर पहाड़ी समाज की जनता का का सीधा प्रभाव देखा जा सकता है । इसके आलिावा कुपवाड़ा , उड़ी विधानसभा सीट सहित बारह से अधिक सीट पर भी पहाड़ी समय का असर है ।
जानकारी हो कि जस्टस जी . डी . शर्मा ( सेनानिवृत्त ) के नेतृतव में गठित आयोग ने केंद्र सरकार से पहाड़ी समाज की जनता को आरक्षण देने की सिफारिश की थिी । इससे पिलिे केंद्र सरकार ने 1991 में गुर्जर-बकरवालिों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया थिा । तत्कालीन समय में हुई पहाड़ी समाज की जनता की हुई उपेक्षा का गंभीर असर समाज पर पड़ा । समय-समय पर किए गए अधययनों में सामाजिक-आचथि्मक चपछिड़डेपन और पहाचड़यों के अपया्म्र प्रतिनिधितव के प्रमाण भी चरलिे । लिेकिन 2014 में , उमर अबदुल्ला के नेतृतव वालिी नेशनलि कॉनफ्ेंस की ततकलिीन सरकार ने पहाड़ी समाज की जनता के चलिए आरक्षण की स्थिति की समीक्षा करने से इनकार कर दिया थिा । उसके बाद से ही जनता आरक्षण की मांग को लिेकर आंदोचलिर थिी । �
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