प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम मतदाता एक बड़ी धुरी हैं और चफलििालि समाजवादी पाटमी को अपने अधिक नजदीक पाते हैं । बीते विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों ने सपा के पक्ष में खुलिकर वोट भी किया जिसकी वजह से बसपा महज एक ही सीट पा सकी , जबकि सपा का कुनबा 111 विधायकों का हो गया । अब लिोकसभा चुनाव होने हैं और मायावती को यह ्पषट तौर पर मालिूम है कि केवलि जाटव मतों से उनकी नैया आगे नहीं बढ़ सकती , उसमें मुस्लिम मतों की पतवार भी चाहिए , इसचलिए उनिोंने आलिोचनाओं की परवाह न करते हुए पीफआइ के मुद्े को लिेकर मुस्लिमों को चारा फेंका है ।
मायावती ने यह दांव चलिा है तो इसके पीछिडे उनकी सोच सपा के मुस्लिम-यादव समीकरण
बूते मायावती ने पूर्ण बहुमत की सरकार भी बनाई थिी । लिेकिन इसके बाद के चुनावों में हर बार वे मुस्लिम मतों की अपेक्षा जरूर करती रहीं , लिेकिन वह सपा के ही खाते में जाता रहा , कयोंकि भाजपा के मुकाबलिे में सपा ही खड़ी नजर आती रही ।
मायावती मुस्लिम मतों की कीमत इसचलिए भी समझती हैं , कयोंकि बीते लिोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन होने के कारण उनिें मुस्लिम वोट चरलिे थिे और इसके जरिये वह सीटें जीत गईं थिीं । इसचलिए भी मुस्लिम वोटों पर उनकी निगाह है । मायावती के चलिए यह सुनहरा अवसर इसचलिए भी थिा कि आजम प्रकरण को लिेकर मुस्लिमों का एक वर्ग खुलिकर सपा का विरोध भलिे ही न करे , लिेकिन उनमें नाराजगी है । रामपुर में तो यह विरोध मुखर भी हो चुका है ।
में सपा की हार ने भी असमंजस बढ़ाया है । ऐसे में मायावती को पीएफआइ के बहाने उनकी ओर पिलि करने का अच्छा अवसर चरलिा । यह टवीट उन लिोगों को भी जवाब थिा , जो भाजपा के प्रति नरम रुख रखने का उन पर आरोप लिगाते थिे । मायावती ने अपनी ओर से मुस्लिमों के बीच चारा फेंका है और यह भाजपा को भी रास आने वालिा है , कयोंकि सपा के कोर वोट बैंक में विभाजन उसे ही लिाभ पहुंचाएगा । वैसे मायावती ने इतने संवेदनशीलि मुद्े का राजनीतिकरण करने की कोशश की है तो चनसशचर तौर पर उनकी ओर से ऐसी कोशिशें और की जाएंगी ।
अब मुस्लिम मतों पर इसका कितना प्रभाव पड़रा है और सपा उनिें सहेजे रखने के चलिए कया कदम उठाती है , बहुत कुछि इस पर भी निर्भर करेगा । वैसे यह तथय भी अपनी जगह है
पर प्रहार करने की भी है । यह समीकरण मुलिायम सिंह यादव ने खड़ा किया है और इसके चलिए उनिें अयोधया में रामभकरों पर गोचलियां चलिवाने में भी कोई हिचक नहीं हुई थिी । इसके अलिावा भी वे मुस्लिमों की हमेशा सरपि्री करते रहे । बीच में मुस्लिम मत सिर्फ एक बार ही सपा से 2007 में चछिटका और बसपा में गया । इसी के
इसका मुखय कारण यह भी है कि वे मुस्लिमों के उतपीड़न को लिेकर समाजवादी पाटमी के अधयक्ष अचखलिेश से वैसे ही आक्ारक राजनीतिक प्रतिरोध की आकांक्षा रखते थिे , जैसा कि मुलिायम सिंह यादव करते थिे , लिेकिन यह अपेक्षा पूरी न हुई ।
आजमगढ़ और रामपुर लिोकसभा उप चुनाव
कि आज के दौर का मुस्लिम पिलिे की अपेक्षा अधिक जागरूक है और वह भी इसके पीछिडे के निहित उद्ेशयों को समझता है । जहां तक पीएफआइ और संघ की तुलिना करने की बात है तो यह महज राजनीतिक ्वाथिषों से ही जुड़ा हुआ बयान है । मुस्लिम भी इसे समझता है ।
( साभार )
vDVwcj & uoacj 2022 25