जिमरेदार नहीं है बसलक खुद राहुलि गांधी जिमरेदार है । राहुलि गांधी ने एक बार फिर हिनदुतव के प्रति तेजाबी विचार रखने वालिे ईसाई पादरी की चरणंवदना की है । अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुलि गांधी ने उस ईसाई पादरी के साथि राजनीतिक संवाद किया , राजनीतिक परामर्श चलिया , सरथि्मन सहयोग चलिया जो हिनदू विरोधी होने का बार-बार प्रमाण देता है , जिसके विचार हिंसक और विघटनकारी है । उस पादरी का नाम है जार्ज पोन्नैया ।
जार्ज पोन्नेया का कार्यक्षेत्र कनयाकुमारी है । कनयाकुमारी से ही राहुलि गांधी की कचथिर भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुई है । जार्ज पोन्नया का इतिहास जानेंगे , उसकी करतूतें अगर जानेंगे तो आशचय्म में पड़ जायेगे और यह सोचने के चलिए विवश हो जायेंगे कि ऐसा वयसकर जो हिंसक हो , हिसा की बात करता है , विखंडन की बात करता है वह कैसे किसी मजहब का गुरू हो सकता है ? जार्ज पोन्नेया ने कभी मोदी और शाह के बारे में बहुत ही खतरनाक और अशोभनीय बातें की थिी । जार्ज पोन्नैया ने भारत माता के संबंध में भी अशलिीलि और अपमानित करने वालिी भार्ा बोलिी थिी । जार्ज पोन्नैया और राहुलि गांधी के राजनीतिक संवाद पर सोशलि मीउिया पर एक प्रश्न यह भी खड़ा हुआ है कि भारत माता की जय बोलिकर आजादी की लिड़ाई में लिोग बचलिदान करते थिे , देश की बहुसंखयक जनता भारत माता की जय बोलिरी है । उस भारत माता के बारे में अशलिीलि और अपमानित करने जैसी चट्पणी करने वालिा ईसाई पादरी कैसे और कयों राहुलि गांधी का आईकॉन बन गया । रचरलिनाडु में कोई एक नहीं बसलक अनेकों पादरी होगें जिनके विचार
शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण होंगे , पर जार्ज पोन्नैय ही राहुलि गांधी की जरूरत कयों बनें ?
जार्ज पोन्नैया ने राहुलि गांधी से कह दिया कि ईसा मसीह ही सिर्फ भगवान हैं , निरंकार शसकर नहीं होती है , निरंकार कुछि नहीं होता है । निराकार शसकर हिनदू धर्म की अवधारणा है । इसचलिए हिनदू समाज में धवचन गयी कि जार्ज पोन्नेया और राहुलि गांधी ने हिनदू धर्म की आलिोचना की है , खिल्ली उड़ायी है ।
जार्ज पोन्नैय प्रकरण में राहुलि गांधी-सोनिया गांधी की ईसाई मिशनरियों के साथि सहयोग और प्रेम पर भी बात उठी है , प्रश्न खिडे हुए हैं । बात-बात पर हिनदूवादियों को कोसने और लिांक्षित करने वालिी कांग्ेस और राहुलि गांधी , सोनिया गांधी , प्रियंका गांधी ईसाई मिशनरियों की करतूतों पर खामोश रहते हैं । ईसाई मिशनरियां धर्मपरिर्वन के चलिए अंधविशवास का सहारा लिेती हैं और लिालिच का िथिकंडा अपनाती है । इसके अलिावा हिनदुओं का आरक्षण भी ईसाई मिशनरियां लिूट रही हैं । धराांतरित ईसाई अपने आप को हिनदू बता कर आरक्षण का लिाभ लिेते हैं । जार्ज पोन्नैया जिस क्षेत्र में कार्यरत है उस क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों का आतंक कायम है । सिर्फ ईसाई मिशनरियो के ्करूलिों में ही नही बसलक सरकारी ्करूलिों मे भी बच्चों को ईसा मसीह के गुणगान करने के चलिए बाधय किया जाता है । एक हिनदू छिात्रा ने अपने ्करूलि के प्रबंधकों और टीचरों पर एफआईआर दर्ज करायी थिी और अपनी शिकायत में उस छिात्रा ने कहा थिा कि ईसाई मिशनरी के ्करूलिों में पढ़ाया जाता है कि भगवत गीता अफवाह और बुरी चीज है , इसके पढ़ने स पूणय नहीं
चरलिरा है , बाईबलि पढ़ने से पुणय चरलिरा है । कनयाकुमारी में ईसाई मिशनरियों ने ्वारी विवेकानंद का ्रािक बनाने का भी विरोध किया थिा । रचरलिनाडु हाईकोर्ट ने कनयाकुमारी क्षेत्र में ईसाई विखंडनकारी गतिविधियों और जार्ज पोन्नैया जैसे पादरियों की मानसिकता पर प्रश्न खड़डे किये थिे और चिंता जतायी थिी ।
राहुलि गांधी के जार्ज पोन्नैया जैसे हिंसक विचारों के प्रति प्रेम और समर्पण के पीछिडे हिनदू विरोधी मानसिकता ही जयादा झलिकती है । जब यूपीए के तौर पर केनद्र में इनकी सत्ता थिी । तब भी इनिोंने ऐसा उदाहरण बार-बार दिया थिा । अमेरिकी करूटनीचरज् से मुलिाकात के दौरान राहुलि गांधी ने साफ तौर पर कहा थिा कि इस देश को मुसलिरानों से खतरा नहीं है , भारत को सिर्फ हिनदुओे से खतरा है , हिनदू ही भारत में हिंसक है और खतरनाक मानसिकता के हैं । राहुलि गांधी का यह विचार जानकार वह अमेरिकी करूटनीचरज् आशचय्म में पड़ गया थिा , इसका खुलिासा अमेरिकी करूटनीचरज् ने अपनी पु्रक में की थिी । राहुलि गाधी की कचथिर भारत जोड़ो यात्रा में वह कनिैया भी है जो भारत के टूकड़डे-टूकड़डे करने की कसमें खाता थिा और इस्लाम की धवनी में इंशा अल्लाह कहता थिा ।
राहुलि गांधी कोई एक नहीं बसलक हजार भारत जोड़ो यात्रा निकालि लिें पर कोई फर्क नहीं पड़ने वालिा है । देश का बहुसंखयक वर्ग को लिांक्षित कर , अपमानित कर कोई भी पाटमी सत्ता हाचसलि नहीं कर सकती है , देश की जनता का आईकॉॅन नहीं बन सकती है । भारत जोड़ो यात्रा से निकालिने के पूर्व राहुलि गांधी अगर अपनी माता की बैठायी हुई एंथिोनी समिति की रिपोट््ड पढ़ लिेते तो फिर कांग्ेस का बहुत भलिा होता और जार्ज पोन्नैया जैसे हिंसक विचारों से संवाद और ईसाई प्रेम की मानसिकता से बच सकते थिे । एंथिोनी समिति ने 2014 में कांग्ेस की हार के चलिए कांग्ेस का हिनदू विरोधी होना बतायी थिी । राहुलि गांधी के चखलिौने में पौन्नेया जेसी मानसिकताएं कौन भरता है ? जब तक राहुलि गांधी के मार्गदर्शक हिनदू विरोधी होंगे तब तक राहुलि गांधी इसी तरह हंसी और आतरघाती कदम के पात्र बनते रहेंगे । �
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