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पेरियार की कहानरी दलित की जुबानरी
सच जानने के बाद पेरियार को सहरी मानना मुश्किल राजनरीवत लाभ के लिए छिपाई गई पेरियार की सच्ाई
कार्तिक अययर / अरुण लवानिया
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मिलनाडु में कु्छ लोग सड़कों पर प्दर्शन करनरे निकिरे और उनहोंनरे भगवान श्ीराम जी के लचत् को जूतरे लगाए । यह दुर्भागयपूर्ण घटना है जो पूर्ण रूप सरे विघटनकारी राजनीति सरे प्रेरित है । तमिलनाडु के दिवंगत नरेता परेरियार को इस विघटनकारी मानसिकता का जनक कहा जायरे , तो कोई अतिशयोस्त नहीं होगी । परेरियार नरे दलित वोट-बैंक को खड़ा करनरे के लिए ऐसा घपृलणत कार्य किया था । यरे लोग भी अपनी राजनीतिक हितों को साधनरे के लिए उनहीं का अनुसरण कर रहरे है । परेरियार नरे अपनरे आपको सही और श्ीराम को गलत सिद्ध करनरे के लिए एक पु्तक भी लिखी थी जिसका नाम था सच्ी रामायण ।
मनगढंत और पूर्वाग्रहग्रस् पेरियार की रामायण
सच्ी रामायण पु्तक वालमीलक रामायण के समान श्ीराम का कोई जीवन चरित नहीं है । बसलक हम इसरे रामायण की आलोचना में लिखी गयी एक पु्तक कह सकतरे हैं । इसमें रामायण के हर पात् के बाररे में अलग — अलग लिखा गया है । उनकी यथासंभव आलोचना की गई है । इस में राम , सीता , दशरथ व हनुमान आदि के बाररे में ऐसी — ऐसी बातें लिखी गई हैं जिनका वर्णन करनरे सरे िरेखनी भी इंकार कर दरे । सब सरे बड़ी बात सच्ी रामायण में परेरियार नरे जबरन कु्छ पात्ों को दलित सिद्ध करनरे का प्यास किया है । इन ( ्वघोषित ) दलित पात्ों का परेरियार नरे जी — भरकर महिमा मंडन किया ।
यहां तक की रावण की इस पु्तक में बहुत प्िंसा की गई है । यहां तक कहा गया है कि राम उसरे आसानी सरे हरा नहीं सकतरे थरे इसलिए उसरे धोखरे सरे मार गया । इसी पु्तक में लिखा है कि सीता अपनी इच्छा सरे रावण के साथ गयी थी ्योंकि उनहें राम पसंद नहीं थरे । परेरियार श्ीराम के विषय में लिखतरे हैं कि तमिल वासियों तथा भारत के शूद्रों तथा महाशूद्रों के लियरे राम का चररत् शिक्षाप्द एवं अनुकरणीय नहीं है ।
पेरियार की कल्पना के विपररीत श्रीराम
रामायण के प्मुख पात् राम मनुषय रूप में आदर्श चररत् और मर्यादा पुरुषोतिम थरे । इसलिए वालमीलक नरे ्पषट लिखा है कि श्ी राम विशवासघात , ्छि , कपट , लालच , कृत्रिमता , हतया , सामिष-भोजन और लनदणोष पर तीर चलानरे को दंडित करनरे की भी प्रेरणा दरेतरे हैं ।
36 दलित आं दोलन पत्रिका vDVwcj 2021