eMag_Nov2023_Dalit Andolan Patrika | Page 14

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पर दबाव बना्या जा रहा है । इसलाम में सुअर का मांस हराम होने से केवल उसे छोडकर अन्य सभरी प्रकार के मांस का व्यापार मुससलमों के हाथ में है । इससे पहले हरी निर्धन और पिछडा खटिक समाज आर्थिक रूप से धिस्त होने करी कगार पर आ ग्या है । हलाल और हराम करी आड़ में हर वस्तु को मजहबरी ढंग से इस ्तरह से रंगा जा रहा है , जिसका पहला और अंद्तम लक््य सिर्फ इसलाम का प्रचार-प्रसार और लाभ है । देश में ऐसे कई मुससलम संसथान देखे जा सक्ते हैं , जहां गैर मुससलमों को रोजगार पर नहीं रखा जा्ता है । ऐसे में देश के अंदर सिर्फ 15 प्रद्तश्त जन्ता के लिए थोपरी गई हलाल प्रमाणपत् व्यवसथा पर अंकुश लगाना बहु्त आवश्यक हो ग्या है । सुदन्योदज्त रूप से हलाल का दा्यरा लगा्तार बढ़ा्या जा रहा है । गैर मुससलमों पर लगभग हर वस्तु को प्रमादण्त करवाने का दबाव कि वजह से अर्थ व्यवसथा के बहु्त बड़े हिससे से गैर-मुससलम कारोबाररी एवं श्दमक बाहर हो्ते जा रहे हैं । ऐसे में ्योगरी सरकार करी द्ारा हलाल करी बाध्य्ता को समाप्त करने करी पहल गैर मुससलम जन्ता के लिए राह्त लेकर आई है । उम्मीद है कि मोदरी सरकार भरी हलाल व्यवसथा के नाम पर बनाए जा रहे मजहबरी दबाव को समाप्त करने के लिए जलद हरी कोई कारगर और ठोस कदम उठाएगरी ।
खटिक वर्ग करे लिए पैदया हुआ रोजी-रोटी कया संकट
हलाल ्तंत् का सर्वाधिक नकारातमक परिणाम मांस का व्यापार करने वाले हिनदू वर्ग पर देखा जा सक्ता है । हिनदुओं में खटिक वर्ग के पास पशु वध और मांस के व्यापार के माध्यम से अपना और परिवार का जरीिकोपार्जन हजारों िषथों से कर्ता आ रहा है । प्राचरीन वैदिक काल में यज्ञ बलि का का्यमा ब्रह्मण कर्ते थे । वेदोत्तर काल में बलि कर्म के लिए एक अलग बलि कर्म करने वाले ब्राह्मण कि भूमिका थरी , जिसे बलि देने वाला ब्रह्मण अथवा खट्टिक कहा जा्ता था । ऋगिेद में लकड़री काटने वाले ब्राह्मण , खे्तरी करने वाला ब्राह्मण , पशुपालन करने वाला
ब्राह्मण , मंत्ोच्चार करने वाला ब्राह्मण , हो्ता ब्राह्मण इत्यादि के साथ हरी बलि देने वाले ब्राह्मण का उललेख है । ि्तमामान सम्य में खटिक वर्ग को पिछड़री जाद्त के अं्तगमा्त रखा जा्ता है , लेकिन ्यह सभरी प्राचरीनकाल के ब्राह्मण हैं । वैदिक काल में पशु बलि केवल धार्मिक औचित्य से हरी हो्तरी थरी और उसे वेदविदह्त का्यमा करी संज्ा प्रदान करी गई थरी । खटिक वर्ग के लोग ्यादज्क पशु बल और पशु हत्या में अं्तर रख्ते थे और कभरी भरी पशुओं करी हत्या अथवा उनको
काटने के लिए दन्युक्त नहीं दक्या जा्ता था । मध्य काल ्तक पशु बलि केवल यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों के अवसर ्तक हरी सरीदम्त थरी । कालां्तर में प्राचरीन खट्टिक वर्ग का ्यह का्यमा अं्त में ि्तमामान खटिक वर्ग का व्यवसा्य बन ग्या ।
खटिक वर्ग द्ारा अपना ग्या मांस व्यापार प्राचरीन काल से हरी पै्तृक व्यवसा्य के रूप में स्थापित है । खटिक वर्ग और उनके पूर्वजों द्ारा एकमात् व्यवसा्य के रूप में ्यह का्यमा प्रारमभ
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