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धरीरज झा
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हरों में रह कर भिरे ही हम प्गतिशीलता का पैरहन ओढ़ कर आधुनिक सोच के मालिक कहरे जाएं िरेलकन सच तो यही है कि जालत्वादी सोच आज भी दरेश के कई इलाकों में मजबूत पकड़ बनाए है । किसी को भी उसकी जाति के नाम सरे संबोधित करना और नीचा दिखाना दरेश के कई इलाकों में आम बात है ।
जाति के नाम को ब्ांड बनाया
प्गतिशील सोच रखनरे ्वािरे यरे तो सोचतरे हैं कि यरे जालत्वाद खतम होना चाहिए िरेलकन इसका सटीक हल किसी के पास नहीं । ऐसरे में इसका हल ्वही निकाल सकता है जिसनरे इस चुभन को महसूस किया है और इस अपमान को जिया है । ठीक उसी तरह जिस तरह सुधीर राजभर नरे यरे अपमान महसूस किया और फिर इस अपमान को सममान बनानरे की कोशिश में जुट गए । सुधीर बचपन सरे ही जातिगत तंज सुनतरे आए हैं । उन्हें उनकी जाति का नाम िरेकर संबोधित किया जाता थिा , लचढ़ाया जाता थिा । अब समय बीतनरे के साथि सुधीर नरे इसी जातिगत तंज को एक ब्रांड में बदल दिया है । आज सुधीर का ‘ CHAMAR ’ ब्रांड दरेश के साथि साथि ल्वदरेशों में भी सफल हो रहा है । इस ब्रांड के अंतर्गत सुधीर बैग और बेल्ट बनातरे हैं । इस ब्रांड की खास बात यरे है कि यरे इको फ्ेंडली और हैंडमरेड हैं ।
ग्ाम़ीणों से सुनना पडा जातिगत तंज 34 साल के सुधीर उत्र प्दरेश के जौनपुर
‘ CHAMAR ’ बांड
जाति के नाम को सम्ान स्वाभिमान से मजबूत होती वैश्श्वक व्यावसायिक पहचान
सरे संबंध रखतरे हैं िरेलकन यहां उनका कम ही आना जाना हुआ है । उनका पालन पोषण मुंबई में हुआ । यहीं सरे उन्होंनरे ड्ाइंग और पेंटिंग में बैचलर डिग्ी प्ापत की । सुधीर जब भी अपनरे गां्व जातरे तो लोग उन्हें ‘ भर ’ और ‘ चमार ’ कह कर लचढ़ातरे । यरे शबद एक तरह सरे अपमान के रूप में प्योग कियरे जातरे थिरे । समय के साथि सुधीर नरे खुद सरे एक ्वादा किया कि ्वह इस शबद के प्लत सममान ्वापस लाएंगरे । इसके लिए उन्होंनरे ्वही काम चुना जिससरे इस जाति के लोगों की पहचान है , यानी की चमड़े का काम । धाराव़ी से शुरू हुआ ‘ चमार स्ूदडयो ’
इसके बाद सुधीर नरे मुंबई ही नहीं , एशिया की सबसरे बडी झुगगी बसती ‘ धारा्वी ’ के छोट़े सरे कोनरे में एक ब्रैंड खोला और इसरे नाम दिया ‘ चमार सटूलडयो ’। सुधीर नरे अपनरे इस ब्रांड के द्ारा अनुसूचित जाति और मुससिम समाज के कई लोगों को काम दिया । शुरुआत में सुधीर कपड़े के बैग बनातरे थिरे िरेलकन फिर उन्होंनरे जाति सरे जुड़े इस शबद को लोगों के बीच लानरे का
फैसला किया । जिससरे कि लोग समझ पाएं कि चमार कोई जाति नहीं बल्क एक एक परेशा थिा , परेशा है । सुधीर के ब्रांड के प्ोडकरस छोट़े सटोर सहित कई बड़े शोरूम तक में उपलबि हैं । इसके साथि ही यरे ब्रांड ऑनलाइन पिैटफॉर्म पर भी उपलबि है ।
जाति के नाम को सफलता का आसमान
सुधीर के कई प्ोडकट लद्िी और बिहार सहित कई राजयों में भरेजरे जातरे हैं । इसके अला्वा इनके कई प्ोडकट अमरेरिका , जर्मनी और जापान भी भरेजरे गए हैं । हालांकि सुधीर नरे इस ब्रांड को अभी तक किसी सटोर की शकि नहीं दी है । इसकी सिर्फ ऑनलाइन बिक्ी होती है िरेलकन सुधीर ज्द ही सटोर खोलनरे ्वािरे हैं । इसके साथि ही सुधीर नरे CHAMAR HAVELI नाम सरे भी एक प्ोजरेकट शुरू किया है । इसके लिए उन्होंनरे राजस्थान में 300 साल पुरानी ह्वरेिी खरीदी है । फिलहाल इसकी मरममत चल रही है । सुधीर इसरे एक ऐसी जगह बनाना चाहतरे हैं जहां दुनियाभर के आर्टिसट आ कर रुक सकें ।
50 ebZ 2022