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सीखनरे को भरेजा िरेलकन उनको कया पता कि उनकी बरेटी एक दिन इसी खरेि के जरिए उनका नाम ऊंचाईयों तक पहुंचा दरेगी । सुलप्या के मन को यह खरेि इतना भाया कि उन्होंनरे इसी में अपना फयूचर दरेख लिया । फिर कया थिा एक साल में ही उनका जुनून मरेडल में बदलनरे लगा ।
ब़ीस बरस की साधना से सफलता
सुलप्या बताती हैं कि साल 2002 में उनका
सरेिरेकशन साई ( भारतीय खरेि प्ालिकरण ) धार के लिए हो गया । यहां उन्हें कोच जयदरे्व शर्मा लमिरे , जिन्होंनरे इस खरेि की एक-एक बारीकियों सरे सुलप्या का परिचय कराया और उन्हें इस खरेि का मंझा खिलाडी बना दिया । 2006-07 में भोपाल में जब मप् कराट़े एकेडमी बनाया गया तो कोच जयदरे्व को ही चीफ कोच बनाया गया । फिर सुलप्या भी इसी एकेडमी में आ गईं । तब सरे यहीं सरे खरेि रही हैं । सुलप्या के शानदार
करियर का अंदाजा उनके पंच ही बतातरे हैं । उनकी सफलता ही है कि अब ्वो छह इंटरनरेशनल गो्ड , 22 नरेशनल गो्ड सहित 37 मरेडल अपनरे नाम कर चुकी हैं । इनमें 12 मरेडल तो इंटरनरेशनल िरे्वि पर ही जीता है ।
हर स्र पर मिला सम्ान सुलप्या को एकलवय और विक्रम अ्वॉर्ड
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