आंबेडकर ने देश के संवैधाक्नक व्यवसथा में अहम भूक्मका क्नभाई । आजाद भारत के बाद बनी नेहरू सरकार में वह पहले कानून मंरिी रहे । सवतंरि भारत के नए संक्वधान के क्लए बनी संक्वधान मसौदा सक्मक्त के अध्यक् के रूप में उन्होंने उललेखनी्य का्य्य क्क्या । बाबासाहब क्सद्धांतों और उसूलों के पकके थे । ्यही वजह रही क्क समान नागरिक संक्हता के पक्धर रहे बाबासाहब ने वर्ष 1951 में क्हंदू कोड क्बल के मसौदे को संसद में रोके जाने से नाराज होकर मंरिी पद से इसतीिा दे क्द्या था । साफ है बाबासाहब सच्े भारत
रत्न थे ।
डॉ . आंबेडकर को ‘ द आíक्ट़ेक्ट ऑफ लेबर रिफॉमस्य ’ कहना भी गलत न होगा , क्योंक्क उन्होंने देश में बड़े श्रम सुधारों की नींव रखी । दरअसल बाबासाहब वर्ष 1942 से 1946 तक वा्यसरा्य की का्य्यकारी परिषद ्यानी ब्रिक््टश- भारत कैक्बने्ट में श्रम मंरिी रहे । तब उन्होंने कई श्रम सुधारों को अमलीजामा पहना्या । ब्रिक््टश-भारत सरकार की कैक्बने्ट का सदस्य होने के कारण बाबासाहब को देश का पहला श्रम मंरिी भी कह सकते हैं । ्यह बाबासाहब ही थे , क्जत्होंने खदानों के अंदर असुरक्षित माहौल
में मक्हलाओं के काम करने पर प्रक्तबंध लगा्या । पहले मक्हलाएं को्यले की खदानों के अंदर भी काम करती थीं । बाबासाहब ने को्यला खदानों के अंदर मक्हलाओं के काम को प्रक्तबंक्धत करने के क्लए कानून बना्या । क्जसके बाद मक्हलाओं के क्लए खदानों के बाहर काम करने की सुक्वधा हुई । इतना ही नहीं , उन्होंने देश में मक्हलाओं के क्लए मातृतव अवकाश का कानून भी ड्ाफ्ट क्क्या था ।
[ आरपीआइ के राष्ट्ीय अधयक्ष एवं भारत सरकार में सामाजिक नयाय एवं
अधिकारिता राजय मंत्ी ] ebZ 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf
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