eMag_May 2021_Dalit Andolan | Page 6

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क्दसंबर , 1956 को आक्खरी सांस ली थी , वहां नरेंद्र मोदी सरकार ने ही राषट्रीय समारक बनवा्या । प्रधानमंरिी मोदी ने क्दसंबर 2017 में आंबेडकर इं्टरनेशनल सें्टर राषट् को समíक्प्यत क्क्या था । ्यह सें्टर समावेशी क्वकास एवं संबंक्धत सामाक्जक-आíक्थ्यक मामलों के क्लए एक क्थंक-्टैंक के रूप में का ्य कर रहा है ।
प्रधानमंरिी मोदी की सरकार में डॉ . आंबेडकर के जीवन से संबंक्धत महतवपूर्ण सथानों को तीर्थसथल के रूप में क्वकक्सत क्क्या जा रहा है । डॉ . आंबेडकर से जुड़े पांचि प्रमुख सथानों को मोदी सरकार ‘ पंचितीर्थ ’ बना रही है-चिाहे क्दलली में अलीपुर में जहां डॉ . आंबेडकर का क्नधन हुआ , वहां राषट्रीय समारक बनाने की बात हो ्या क्िर मध्य प्रदेश के महू शसथत जन्मसथल में सुक्वधाओं को बढ़ाने की बात , मुंबई में इंदु क्मल , नागपुर में दीक्ा भूक्म और लंदन में उनके मकान को खरीदकर मेमोरर्यल का रूप देने की पहल हो । केंद्र सरकार ने क्डक्ज्टल लेन-लेन को बढ़ावा देने के क्लए भीम एप बनाकर भी डॉ . आंबेडकर को सममान क्द्या । मोदी सरकार की सामाक्जक सहा्यता की ्योजनाएं भी डॉ . आंबेडकर की सोचि से ही प्रेरित हैं । जनधन , उज्वला ्योजना , सवचछ भारत क्मशन , बीमा ्योजना , प्रधानमंरिी आवास , सौभाग्य , आ्युषमान भारत आक्द ्योजनाएं उनकी बहुजन क्हता्य , बहुजन सुखा्य की भावना से संचिाक्लत हैं । इन ्योजनाओं से अनुसूक्चित वर्ग की गरीब आबादी के जीवन में परिवर्तन आ्या है ।
दक्लतों की क्शक्ा पर बाबासाहब जोर देते रहे । धनाभाव में कोई छारि क्शक्ा से वंक्चित न रहे , मोदी सरकार इसका ख्याल रख रही है । केंद्र सरकार ने अनुसूक्चित जाक्त के छारिों के क्लए पोस्ट मैक््टक छारिवृत्ति ्योजना के बज्ट को बढ़ाया है । क्पछले क्वत्तीय वर्ष में पोस्ट मैक््टक छारिवृत्ति ्योजना के क्लए हमारे सामाक्जक त््या्य एवं अक्धकारिता मंरिल्य ने 4,000 करोड़ रुप्ये जारी क्कए हैं । केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 तक इस मद में 35,534 करोड़ रुप्ये जारी करने का लक््य क्नधा्यरित
क्क्या है । केंद्र सरकार इस दौरान अनुसूक्चित वर्ग के चिार करोड़ ्युवाओं को लाभान्वित करने के क्मशन के साथ काम कर रही है । 14 अप्रैल , 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक गरीब क्हंदू महार जाक्त के परिवार में जन्मे डॉ . आंबेडकर का बचिपन भले कक्ठनाई में बीता हो , लेक्कन उन्होंने अपनी सोचि और व्यशकततव पर इसका क्वपरीत असर नहीं पड़ने क्द्या । डॉ . आंबेडकर ने हमेशा सकारातमक सोचि रखी । वह जीवन में संघर्ष नहीं , समत्व्य पर जोर देते रहे । आज कुछ राजनीक्तक दल क्स्यासी फा्यदे के क्लए दक्लतों को अलगाववाद के
रासते पर धकेलना चिाहते हैं । ऐसे दलों से दक्लतों को सावधान रहना होगा । देश में दक्लत उद्धार डॉ . आंबेडकर के बताए रासते पर चिलने से ही होगा , न क्क अलगाववाद के रासते पर आगे बढ़ने से ।
डॉ . आंबेडकर का जीवन सामाक्जक त््या्य क्दलाने के क्लए संघरषो से भरा रहा । 1927 में उन्होंने छुआछूत के क्खलाफ जंग छेड़ी । पे्यजल के सार्वजक्नक संसाधनों को उस वकत अछूत माने जाने वाले वर्ग के क्लए भी खुलवा्या । मंक्दरों में अछूतों को प्रवेश करने का अक्धकार क्दलाने के क्लए भी वे संघर्षरत रहे । डॉ .
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