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एक मंदिर , जहां दलित महिला है पुजारी
एक और जहां क्हत्दू धर्म क्वरोधी दक्लत और मक्हलाओं की स्थिति को लेकर अनावश्यक प्रश्न खड़ा करते हैं , वही उत्र प्रदेश के महोबा जनपद शसथत चिरखारी शसथत क्वंदे्वरी माता मंक्दर में क्हत्दू धर्म एवं संस्कृक्त के क्वरा्ट सवरूप को बड़़े आराम से देखा जा सकता है । देश के अक्धकतर मंक्दरों में पुजारी का का ्य करते हुए पुरुष पुजारर्यों को देखते हैं । इसके क्वपरीत चिरखारी शसथत देवी मंक्दर में इससे इतर व्यवसथा है । लगभग 150 साल पुराने क्वंदे्वरी ( क्वंध्यवाक्सनी ) मंक्दर में पूजा-पाठ का का ्य अनुसूक्चित जाक्त की मक्हला पुजारी पार्वती करती हैं ।
चिरखारी शसथत क्वंदे्वरी ( क्वंध्यवाक्सनी ) मंक्दर का क्नमा्यण मक्हला पुजारी पार्वती के ससुराल पक् के पूर्वजों ने बनवा्या था । मंक्दर में पूजा-पाठ का का ्य उनके ससुर के क्जममे था , जहां क्पछले 30 वर्ष से पार्वती ही पूजा-पाठ की क्जममेदारी संभाल रही हैं । क्ेरि का ्यह वह प्राचिीन मंक्दर है , जहां सर्वसमाज के लोग पूजा- अचि्यना करने पहुंचिते हैं । अनुसूक्चित जाक्त के परिवार की मक्हला पुजारी पार्वती बताती हैं क्क इस मंक्दर की सथापना के पीछ़े उनके परिजनों का उद्े््य सर्वसमाज को जोड़ना था । वह स्वयं बांदा की रहने वाली है । लगभग 40 वर्ष पूर्व पहले उनकी शादी चिरखारी कसबा क्नवासी सुरेश के साथ हुई थी । शादी के बाद जब वह ससुराल आ्यी थी , उस सम्य उनके ससुर सुखलाल मंक्दर की पूजा व्यवसथा संभालते थे । उनका क्नधन होने पर परिवार ने एक अत््य व्यशकत को पुजारी क्न्युकत क्क्या , लेक्कन वह बीमार पड़ ग्या । इसी बीचि पार्वती भी बीमार हो गईं । ससुराल के लोग उन्हें देवी मंक्दर ले गए । सवसथ होने
पर अपनी अंतरातमा की आवाज पर उन्होंने मंक्दर में पूजन का काम संभाल क्ल्या ।
मक्हला पुजारी पार्वती के अनुसार उनके पक्त और सवजन का उन्हें इस काम में भरपूर सह्योग क्मला । उनके पक्त क्कराना की दुकान संभालते हैं । बड़ा बे्टा जीतेंद्र पुक्लस क्वभाग में का ्यरत है तो दूसरा बे्टा भूपेंद्र अभी पढ़ाई कर रहा है ।
चिरखारी शसथत इस प्राचिीन मंक्दर में प्रत्येक सोमवार को माता का दरबार लगता है । इसमें कई क्जले के लोग पूजा-पाठ करने पहुंचिते हैं । नवरारि के दौरान मंक्दर में क्वशेष भीड़ रहती है । सथानी्य क्नवासी अपनी परिवार के हर शुभ का ्य के अवसर पर मंक्दर आते हैं । क्ेरि के लोगों की आसथा इस मंक्दर से जुड़ी हुई हैं । �
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