doj LVksjh
सदे जुड़ा मामला है ्या फिर इसके पीछ़े कोई गहरी साजिश है ? अगर इस पूरदे मुद्दे की टाइमलाइन ददेखेंगदे तो पता चलदेगा कि कैसदे इस मुद्दे को धार्मिक रंग वद्या ग्या क्योंकि इसको वोट बैंक के लिए इस्तेमाल वक्या जाना था । इस मामलदे की गहराई सदे पड़ताल की जाए तो कई ऐसी बातें सामनदे आएंगी जो साफ इशारा करती हैं कि ्यदे एक सोची-समझी साजिश का हिससा है । इस विवाद को जिस तरह सदे शुरू वक्या ग्या और फिर मामलदे को तूल वद्या ग्या , साफ इशारा करता है कि सोच-समझकर इस मुद्दे को उठा्या ग्या । उडुपी के पी्यू कॉलदेज में ्लास के अंदर हिजाब पहननदे की मांग को लदेकर मुकसलम छात्ाएं 31 दिसंबर को धरनदे पर बैठीं । इससदे ठीक एक दिन पहलदे उडुपी के पास कापू इलाके के म्यूनिसीपैलिटी के चुनाव में
पीएफआई की पॉलिटिकल पाटटी एसडीपीआई नदे तीन सीटें जीतीं । इसके बाद 1 जनवरी 2022 को ्यदे लड़वक्यां कैंपस फ्ंट ऑफ इंवड्या ( सीएफआई ) जो पीएफआई और एसडीपीआई की स्टूडेंट विंग है , के साथ स्कूल में हिजाब पहननदे की मांग को लदेकर प्रदेस कॉफ्रेंस करती हैं , जिसमें कहा जाता है कि हिजाब पहननदे की मांग को नहीं माना जाता तो आंदोलन चला्या जाएगा । लदेवकन ऐसा नहीं है कि ्यदे मुद्ा दिसंबर में ही शुरू हुआ , दरअसल इसकी कहानी अक्टूबर महीनदे में ही लिखी जा चुकी थी । अक्टूबर में जब एबीवीपी नदे उडुपी में मार्च निकाला था तो उसमें मुकसलम लड़वक्यां हिजाब पहन कर शामिल हुई थीं . और बस ्यहीं सदे सीएफआई नदे अपनी कहानी तै्यार करनी शुरू की और इन लड़वक्यों को अपनी ्योजना में
शामिल वक्या । ्यानी समग्ता में समझें तो बका्यदा त्य ्योजना और किरदारों के साथ हिजाब के विवाद को ऐसदे सम्य में खड़ा वक्या ग्या ताकि इसदे मुख्य चुनावी मुद्ा बनाकर इसका अधिकतम राजनीतिक लाभ उठा्या जा सके ।
पंजाब में दलितों के हितों पर चोट
पंजाब के चुनावी समीकरण पर गौर करें तो वहां के चतुष्कोणी्य मुकाबलदे में सत्तारूढ़ कांग्रेस को पटखनी ददेनदे के लिए शिरोमणी अकाली दल नदे बसपा के साथ चुनावी गठजोड़ वक्या है जबकि केनद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और दिलली में सत्तारूढ़ आम आदमी पाटटी भी चुनावी अखाड़़े में जबर्दसत ताल ठोक रही है । इस चौतरफा मुकाबलदे में सभी दलों की चुनावी तै्यारर्यों के केनद्र में प्रददेश के 32 फीसदी दलित समाज के मतदाताओं को रिझानदे की जी — तोड़ कोशिशें ही थीं । अकाली दल के शीर्ष संचालक सुखबीर सिंह बादल नदे कहा कि राज्य में उनकी सरकार बननदे पर दो डिपटी सीएम बनाए जाएंगदे , जिनमें सदे एक डिपटी सीएम दलित समाज सदे होगा और राज्य के दोआब इलाके में डॉ भीमराव आम्बेडकर के नाम पर एक विशिविद्ाल्य भी स्ावपत वक्या जाएगा । अकाली दल के इस ब्यान के बाद बीजदेपी के राष्ट्री्य महासचिव तरुण चुघ उनसदे एक कदम और आगदे बढ़ गए । उनहोंनदे कहा , ' अगर अगलदे साल पंजाब विधानसभा चुनावों में बीजदेपी सत्ता में आती है तो दलित मुख्यमंत्ी बना्या जाएगा ।' अब भला कांग्रेस पीछ़े कैसदे रहती । उसनदे तो दलितों को अपनदे पालदे में करनदे के लिए कैपटन अमरिंदर सिंह सदे मुख्यमंत्ी की कुसटी छीनकर चरणजीत सिंह चन्नी को ददे दी । ्यहां तक कि नवजोत सिंह सिद्धू के तमाम विरोधों को दरकिनार करतदे हुए प्रददेश में पहली बार दलित समाज के किसी व्यक्त को मुख्यमंत्ी बनानदे वाली कांग्रेस नदे ्यह ऐलान भी कर वद्या कि चुनाव के बाद अगर उसदे दोबारा सरकार बनानदे का मौका मिला तो वह मुख्यमंत्ी की कुसटी पर फिर सदे चन्नी को ही बिठाएगी । दलित वोटों के लिए मची इस
ekpZ 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 7