eMag_March2022_DA | Page 13

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हिजाब विवाद षडयन्त्र बेटियों की शिक्ा पर कट्टरपंथियों का आक्रमण

बेटियों के कांधे पर अलगाववादियों की बंदूक

विनोद बंसल

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रती्य संविधान के अनुसार प्राथमिक शिक्षा सबके लिए अनिवा्यना है । किनतु इस अनिवा्यनाता के बावजूद दुर्भाग्यवश सितंत्ता के 75वें वर्ष में भी ददेश की कुल जनसंख्या का 36.90 फीसदी हिससा आज भी निरक्षर है । मुकसलमों में तो ्यह निरक्षरता दर 42.7 फीसदी है । ्यवद महिलाओं की बात करो तो ्यदे आंकड़़े और भी भ्याि्य हैं । ददेश की 66 प्रतिशत मुकसलम महिलाएं आज भी निरक्षर हैं । उच्च शिक्षा में तो इनकी भागीदारी मात् 3.56 प्रतिशत
ही है जो कि अनुसूचित जावत्यों के अनुपात 4.25 प्रतिशत सदे भी कम हैं । क्या कभी सोचा है कि ्यदे सब आखिर क्यों है ? सितंत्ता प्राकपत के पशचात एक तो हमारदे राजतनत् की शिक्षा के प्रति उदासीनता , दूसरा संसाधनों का अभाव तथा ऊपर सदे धार्मिक कट्टरता नदे मुकसलम महिलाओं की साक्षरता दर को सबसदे नीचदे रखा । पहलदे तो बदेवट्यों को घर सदे ही नहीं निकलनदे वद्या जाता । दूसरा उन पर बुकके को लाद वद्या जाता है । अकेलदे घर सदे बाहर पाँव नहीं , मोबाइल नहीं , शंगार नहीं , मनोरंजन नहीं , पर-पुरुष सदे बात नहीं , इत्यादि अनदेक फतिदे थोप दिए जातदे हैं ।
जिसके कारण पहलदे तो उनके परिजन ही विद्ाल्य नहीं भदेजतदे और ्यवद ऐसा हो भी जाए तो ्यदे बंधन बदेवट्यों के पाँवों को बदेवड़्यों की तरह जकड़़े रहतदे हैं । ‘ बदेटी-बचाओ , बदेटी पढ़ाओ ’ अवभ्यान के अंतर्गत वर्तमान करेंद्र सरकार नदे अपनी विभिन्न ्योजनाओं के माध्यम सदे बदेवट्यों की शिक्षा के लिए विशदेर प्र्यास प्रारंभ किए । जिनका प्रतिफल बदेवट्यों की सुरक्षित व सहज शिक्षा के रूप में सामनदे आ रहा है । आज चारों ओर के परीक्षा परिणामों पर नजर डालें तो बदेवट्याँ सर्वाधिक अंक प्रापत कर मदेरिट में सबसदे ऊंचदे पा्यदान पर दमृकष्टगोचर हो रही हैं । ्यह एक
ekpZ 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 13