eMag_June2022_DA | Page 50

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रचनताओं में है । इस तरह डॉ . रजनी अनुरतागी , डॉ . हेमलतता महिशरर , डॉ . पूनम तुषतामड , अनीतता भतारती , रजनी तिलक , पुष्पा विवेक , आदि सभी की कवितताओं में सत्री विमर्श की सपषट अभिवयन्कत है । कतारेरी जी डॉ . रजत रतानी मीनू , डॉ . रजनी दिसोदियता , डॉ . सुकमत्रता महरोल , कौशल परतार – सभी की रचनताओं में सत्री विमर्श है । सभी हिंदी दलित सत्री आतमकथताओं में सत्री विमर्श केद्रिीय रूप में चित्रित हुआ है । अतः इस सन्दर्भ में मेरता यह विचतार है की नीरता परमतार , कुसुम मेघरताल , कतारेरी जी , रजनी तिलक , अनितता भतारती , रजत रतानी मीनू , डॉ . नीलम अर् जुन , डॉ . रेखता टी ., प्रो . विमल थोरतात , डॉ . सुरेखता अंतिम , मोहन , इंदु रवि , डॉ . आशता रतानी , रताधता रतालमीकि , पूजता प्रजतापति , उर्मिलता हरित , रुपताली प्रीति बौद् , अमितता महरोल डॉ . रताजकुमतारी आदि सभी वरिष् और युरता वर्ग की दलित लेखिकताओं की कवितताओं और अन्य रचनताओं में सत्री विमर्श है ।
प्रश्न – आपने जब लिखना शुरू किया था तब हिंदरी दलित लेखन के समक् क्ा चुनौतियां थीं और आज 2022 में क्ा
चुनौतियाँ देखतरी हैं ?
उत्र – मेरता लिखनता सकूल के समय से ही शुरू थता । तब मैं छोटी-छोटी कवितताएँ लिखती थी । 1975 में कररताह के बताद नतागपुर आई तब मैंने यहतां आने के बताद ही समझता थता कि सवर्ण सताकहतयकतार हिंदी दलित सताकहतय लेखन कता विरोध करते हुए कहते हैं कि — '' क्या सताकहतय भी कभी दलित होतता है ?” दलित मुक्ति आन्दोलन और दलित विमर्श के कताय्वक्रमों में दलित सताकहतय के महतर और उसकी आवशयकतता — पर हम तर्क-वितर्क के सताथ बतात करते थे । तब उन्हीं विचतारों से मैं उन लोगों को जरताब दे रही थी , जो कहते थे कि दलित सताकहतय के नताम पर हम सताकहतय को बतांट रहे हैं । और उसके महतर को कम कर रहे हैं । 1975 से 90 तक यही सुनते हुए मैंने सताकहतय लेखन कियता थता । आज 2022 में स्थितियतां ज्यादता सरल हैं । दलित विमर्श , सत्री विमर्श और आकदरतासी विमर्श पर सतामताकजक , रताजनैतिक और शैक्षाणिक संस्थाएं कताय्वक्रम आयोजित करके हमें आमंत्रित करती हैं । लेखन प्रकताशन में भी अब पहले जैसी
असुविधताएं और अवरोध नहीं हैं ।
प्रश्न — आज लेखक पा्ठक और प्रकाशन के बरीच कैसा रिशता है ? क्ा प्रकाशक लेखन- लेखिकाओं के साथ ईमानदाररी बरतते हैं और न्ा् करते हैं ?
उत्र- लेखक पता्क और प्रकताशक के बीच हमेशता अच्छे समबद्धों की कतामनता की जताती हैं । कयोंकि इनके रिशते एक दूसरे पर निर्भर होते हैं । मेरे रिशते भी पता्को और प्रकताशनों के सताथ अभी तक अच्छे ही रहे हैं । मेरी रचनताओं को पढ़ने के बताद पता्कों के फोन आते हैं , वे अपनी प्रतिक्रियता वयकत करते हैं , तब मन को अच्छा लगतता है । हतालतांकि रतायलटी को लेकर मेरे सताथ कतारी भेदभतार हुआ है । आमतौर पर किसी भी प्रकताशक ने कभी मुझे कोई रतायलटी नहीं दी है । सभी लेखक लेखिकताओं के सताथ ऐसता नहीं होतता है । अधिकतांश सताकहतयकतार नियमित रूप से रतायलटी लेते हैं । मगर मुझे अभी तक अपने लताभतांश से वंचित रखनता , मेरे सताथ अद्यताय है । इस समबद्ध में मैंने फेसबुक पर वीडियो द्वारता अपनी बतात कही है । �
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