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उत्थान के लिए हमेशता सोचने रताली सुकमत्रता को जब सर . रोहताणी कता मताग्वदर्शन मिलता तो उनसे प्रेरणता हताकसल करते हुए उन्होंने सतांगठनिक व सतामताकजक कार्यों में खुद को समर्पित कर दियता और इसके बदले में उन्हें भी पार्टी में कताम करने के बड़े से बड़े अवसर मिलते गए । ख़तास बतात यह है कि दलित वर्ग से तताललुक रखने रताली कर्मठ व जुझतारू सुकमत्रता ने अपने जीवन में किसी भी मोड़ में हतार नहीं मतानी । जब शतादी हुई तो 12वीं भी नहीं पढी थी । शतादी के बताद उन्होंने बतारहवीं पतास की , फिर आर्ट्स से बीए उत्ीण्व कियता ।
एक — एक पायदान आगे बढ़ी सुद्ित्ा
वर्ष 1993 में भताजपता की सदसयतता ग्हण करने के बताद सुकमत्रता ने पार्टी के लिए बहुत कताम कियता । जबलपुर के रतांझी इलताके में जिस रताड्ट से वो आती है , वहतां रहने रताले रताकशंदों की मूलभूत समस्याओं से हर हताल में उन्हें निजतात दिलताने के लिए सुकमत्रता कडता संघर्ष करती रही । दलित वर्ग में गहरी पैठ और उस वर्ग के लोगों कता सुकमत्रता के प्रति भरोसता देख बीजेपी ने उन्हें 1999 में पताष्वद कता चुनतार लड़वायता और पार्टी की उममीदों पर वह खरी उतरी । इसके बताद उनकी रताजनैतिक छवि बढ़ती गई । अगले दो बतार नगर निगम के चुनतार में भी उन्हें पताष्वद की टिकट मिली । तत्कालीन नगर सत्ता में सुकमत्रता को अधयक् चुनता गयता । फिर वर्तमतान में उन्हें प्रदेश भताजपता में बड़ी जिममेदतारी दी गई थी , जिसे वह निभता रही हैं ।
न खुद को थरी उम्मीद और न हरी दिग्गजों को
रताजयसभता की दूसरी सीट के लिए केद्रिीय भताजपता कतायता्वलय से जतारी लिसट में जब सुकमत्रता बतालमीक कता नताम आयता , तो हर कोई हतप्रभ रह गयता । कयोकि पिछड़ा वर्ग से महिलता चेहरे के तौर पर कवितता पताटीदतार कता नताम पहले ही घोषित कियता जता चुकता थता । ऐसे में किसी को भी यह उममीद नहीं थी दूसरता नताम भी महिलता कता ही
होगता । लेकिन सबको चौंकताते हुए भताजपता के शीर्ष नेतृतर ने दलित वर्ग से भी महिलता के नताम को संसतुकत देते हुए सुकमत्रता के नताम पर मुहर लगता दी । कुल मिलताकर आशचय्वजनक किन्तु सतय , ठीक उसी तरह जैसे राष्ट्रपति पद के लिए रतामनताथ कोविंद कता नताम सतामने आयता थता । सुकमत्रता बतालमीक को खुद को उममीद नहीं थी , पार्टी इतनी बड़ी जिममेदतारी के लिए उनके नताम कता चयन करेगी । जबकि मीडियता की सुर्ख़ियों और भताजपता के अन्दरखताने में मप्र की रताजयसभता सीटों के लिए अलग ही नताम चचता्व में थे । जिन दिगगजों ने उममीद पताल रखी थी उन्हें उममीद थी कि शतायद पार्टी उनके तजुबते और योगयतता के हिसताब से उनको उममीदरतार घोषित कर दे , लेकिन सुकमत्रता कता नताम घोषित होने के बताद उन सभी के अरमतानों पर पतानी फिर गयता ।
एक तरीर से तरीन द्नशाने
भताजपता को अप्रत्याशित फैसले लेने की जैसी आदत पड गई है । जिस तरह ओबीसी और
एसटी वर्ग को रताजयसभता में प्रतिनिधित्र देने कता फैसलता लियता गयता है । उसके भी कई मतायने है । बीजेपी पहले से ही ओबीसी वर्ग को लेकर लडताई लड़ रही है , वही तुरुप के पत्े की तरह दलित वर्ग को भी सताधने की अब पूरी कोशिश है । पार्टी ने दोनों सीट के लिए महिलताओं कता नताम सतामने लताकर यह सन्देश भी दे दियता है कि जितनी अहमियत पुरुषों की है , उतनी ही महिलताओं की भी । इसके सताथ ही महताकौशल अंचल के लिए यह फैसलता बड़ी सौगतात से कम नहीं है । मौजूदता वकत में शिवरताज सरकतार के मंत्रीमंडल में प्रतिनिधित्र न मिलने से बनी खताई को भरने फैसलता भी मतानता जता रहता हैं । कयोंकि कतांग्ेस सरकतार गिरने के बताद लगताततार इस क्ेत्र से प्रतिनिधित्र को लेकर आरताज बुलंद हो रही थीं । जिसकता असर आगतामी विधतानसभता और लोकसभता चुनतार में भी पड़ने की संभतारनता वयकत की जता रही थी । लेकिन रताजयसभता सीटों के बंटरतारे में इस अंचल को वह सौगतात मिल गई जिसकी आवशयकतता भी थी और अपेक्षा भी ।
36 twu 2022