और 75 प्रतिशत आबादरी मुससलम है । आसपास बांगलादेश और मरांमार से आए लोगों का एक बड़ा हिससा जमरीनों पर क्िे कर रहा है और परीलढय़ों से बसे हिंदुओं को जोर जबरदस्ती से उन इलाकों से निकला जा रहा है ।
इससे पहले भरी इसलालमक तत्वों द्ारा दलितों
पर हमले , उनकरी ससत्रों के अपमान और घरों को आग लगाने करी अनेक घटनाएं हो चुकरी हैं । दिल्ली में सराय काले खान में एक दलित द्ारा मुससलम यु्वतरी से ल्व्वाह पर दलित बस्ती पर हमले करी घटना बहुत पुरानरी नहीं है । सच तो यह है कि ऐसरी घटनाएं रह-रहकर सामने आतरी हरी रहतरी हैं , जिनमें परीलड़त दलित होते हैं और हमला्वर मुससलम । यदि ऐसरी घटनाओं में बंगाल में राजनरीलतक हिंसा में मारे गए दलित हिंदुओं करी संखरा भरी जोड़ी जाए तो ससथलत करी भया्वहता और उजागर होतरी है । हालांकि दलित-मुससलम एकता के ढोल परीटने ्वाले तथा भरीम-मरीम का खोखला नारा लगाने ्वाले दलित-्वामपंथरी-इसलामरी नेताओं करी कोई कमरी नहीं , लेकिन मझु्वा कांड पर सब मौन हैं ।
हिंदुओं करी कमजोरियों , उनकरी सामाजिक ल्वखंडन करी ससथलत का लाभ उठाते हुए स्वतंत्ता से पहले से हरी दलितों को इसलामरी ताकतों से जोड़ कर हिंदुओं को और अधिक तोडऩे ए्वं कमजोर करने के सुनियोजित प्रयास चल रहे हैं । सभरी इससे तो अ्वगत हैं कि पूर्वी पाकिसतान ( अब बांगलादेश ) के दलित नेता जोगेंद्रनाथ मंडल को मुससलम लरीग में पहले किस तरह महत्व दिया गया और यहां तक पाकिसतान का प्रथम कानून ए्वं श्म मंत्री बनाया गया , लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि जिन्ना के मरते हरी उनहेंं हाशिये पर धकेल दिया गया । हताश-निराश मंडल भारत आ गए और दलितों के प्रति इसलामरी राजनरीलत का कच्चा-चिट्ा खोला । इसके बा्विूद देश में दलित-मुससलम एका का स्वांग जाररी रहा । आजादरी के बाद कुखरात तसकर हािरी मसतान करी अधरक्ता में अखिल भारतरीर दलित मुससलम महासंघ करी सथापना हुई , जिसमें बाद में फिलम अभिनेता दिलरीप कुमार भरी शामिल हुए । ओ्वैसरी करी मजलिसे इत्ेहादुल मुसलमरीन में दलितों के लिए ल्वशेष अभियान सुल्वचारित ढंग से चलता आ रहा है । अनेक दलित नेता हिंदू तोड़ो-दलित जोड़ो के कुटिल षडय़ंत् के अंतर्गत हिंदू आसथा पर आघात करके अपनरी कथित दलित आनिेरता का आतमघातरी प्रदर्शन
करते हैं । ्वसतुत : यहरी ्वह ्वग्य है जो मुससलमों द्ारा दलितों पर हमलों को दबाता है , उन पर चुप्पी साधे रहता है और कभरी भरी न तो घटनासथल का दौरा करता है और न हरी कार्य्वाई करी मांग करता है । यह तथ्य है कि मझु्वा गां्व करी घटना पर दलित नेताओं ने मौन साधना हरी बेहतर समझा ।
इसलामरी पाकिसतान और हिंदुओं के प्रति कुटिल मानसिकता देखकर हरी डॉ . भरीमरा्व आंबेडकर ने थॉटस ऑन पाकिसतान पुसतक में ल्वसतृत ल्वशलेरर किया और इसलालमक संगठनों के तमाम प्रलोभन ठुकरा कर मुससलम होने के बजाय बौद्ध मत अपनाना स्वरीकार किया । दुर्भागर से जातिगत सोच और संकरीर्ण राजनरीलत के कारण हिंदू समाज भरी इस भयानक खतरे के प्रति सजग नहीं हुआ है । आज भरी दलितों पर हमलों के समय हिंदू-संत महातमा चुप्पी साध बैठते हैं । उनके बड़े मंदिरों के नरास ल्वलभन्न कारणों से सरकाररी कोष में करोड़ों रुपये का सहयोग करते हैं , लेकिन दलितों करी सहायता के लिए उनमें कोई उतसाह नहीं दिखता । दलितों पर जातिगत ्वैमनसर के कारण भेदभा्व , आक्रमण कम नहीं हुए हैं । पूॢणया में के्वल ल्वश्व हिंदू परिषद् के कार्यकर्ता बेघर हुए दलितों करी सहायता के लिए पहुंचे , लेकिन करा इतना हरी परा्य्त था ?
दलित सिर्फ आंकड़ा भर बना दिए जाएं । उनकरी सहायता के्वल तब करी जाए , जब हिंदू समाज टूटने का खतरा हो तो यह दिखा्वा और दुखद होगा । दलित समाज हिंदुओं करी रक्क भुजा है । राष्ट्रीय स्वयंसे्वक संघ के सरसंघचालक श्री गुरुिरी गोल्वलकर ने ' तू मैं एक रकत का संदेश करों दिया ? करोंकि उनका मानना था कि हिंदुओं में जातिगत ल्वद्ेर और भेदभा्व राषट्र को तोडऩे ्वाला सिद्ध होगा । हम एक रकत , एक समाज , एक धमटीर , एक हिंदू जाति ्वाले हैं । इसके अला्वा कुछ नहीं । यदि आज भरी हम नहीं चेते और दलितों को अपने घर में अपने रकत बंधु का स्ेह और समानता नहीं दरी तो फिर ईश्वर भरी हालात नहीं सुधार पाएगा । �
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