eMag_June2021_Dalit Andolan | Page 22

fcgkj

तरुण विजय

कथित दलित-मुस्लिम

के पूर्णिया जिले के मझु्वा गां्व में 19 मई करी रात महादलितों पर बिहार

हमला देश को झकझोरने ्वाला साबित होना चाहिए था । हिंदू समाज के जिस ्वग्य को दलितों से भरी अधिक पिछड़ा और ्वंचित मान कर महादलित का दर्जा दिया गया , उन पर मुससलम समुदाय करी भीड़ ने हमला किया । हमले में 50 से जरादा घर जला दिए गए और एक वरसकत को परीट-परीट कर हतरा कर दरी गररी । हमेशा करी तरह इस हमले के परीछे भरी जमरीन-जायदाद का मामला बताया गया । कुछ नेताओं का घटनासथल पर जाना हुआ और बस । दलितों का दर्द भरी अब सेकरुलर पाखंड और निर्मम सं्वेदनहरीनता का शिकार हो गया है । यदि यहरी घटना किसरी गैर हिंदू गां्व में घटरी होतरी तो हम देखते कि दलित नेताओं करी भीड़ ्वहां उमड़तरी । सभरी ल्वपक्षी नेता ्वहां मातमपुसटी के लिए एकत् होते , राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मरीलडरा के मार्मिक श्दों में रिपोलटिंग करने ्वाले ्वहीं खूंटा गाड़ कर रनिंग कंमेंट्ररी कर रहे होते । सभरी एक स्वर में नरीतरीश कुमार के इस्तीफे करी मांग कर रहे होते सो अलग , लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ ।
मैंने पहले भरी कहा है कि हिंदुसतान में हिंदू के नाते िरी्वन यापन करना आज भरी बहुधा त्ासदरी भरा होता है । कश्मीर से केरल और इसलालमसट-माओ्वादरी कमरुलनसट आतंकियों के प्रभा्व ्वाले इलाकों में रह रहे हिंदुओं से यह बात पूछरी जा सकतरी है । यदि महादलित मुससलम होते और उन पर अतराचार हुए होते तो करा ऐसा हरी सन्नाटा पसरा रहता ? मझु्वा गां्व बायसरी तहसरील के तहत आता है । यहां से असदुद्दीन ओ्वैसरी करी पाटटी के ल्वधायक हैं

एकता का पाखंड

22 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf twu 2021