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राष्ट्र ,
राष्ट्रीयता और भारत राष्ट्र
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भधी-कभधी समयाज कधी प्रयािधीनतया के सया् उतपन्न होने वयालधी रूढ़ि्यां , उस समयाज कधी गति को अवरुद्ध कर देतधी है । ऐसे में लोक लनियाशया और हतोत्साह में अपनया जधीवन जधीते रहते हैं और किसधी कधी आंखों में कोई सवप्न दिखलयाई नहीं पड़तया है । ऐसे समय में कोई व्सकत अपनधी अकलपनधी् संघर्ष शसकत से उस समयाज को झकझोर कर उठयातया है और आगे ्बिने कधी सयामथ््म उतपन्न करतया है । धधीिे-धधीिे समयाज सव्ं अपने सयामथ््म को पहियानतया है और उस व्सकत के कृतितव से प्रेरणया ग्हण करतया हुआ आगे ्बितया चलतया है । इसधी व्सकत को महयापुरुष कहया जयातया है । ्बया्बया सयाह्ब भधीम ियाव अम्बेडकर ऐसे हधी महयापुरुष थे , जिनहोंने अपने व्सकतगत जधीवन कधी सभधी महत्वाकयांक्षयाओं को ठोकर मयाि कर अपने दुिधी और पधीलडत जयानो के जधीवन में जयागपृत और प्रकयाश लयाने के सया् हधी उनमें उत्साह एवं सफूलत्म लयाने के लक्् को अपने जधीवन कया ध्े् ्बनया लल्या
और इस चिरंजधीवधी ियाषट् के नवलनमया्मण को हधी अपनया सयाध् समझया । ्बया्बया सयाह्ब कधी 129 वधी जयंतधी के अवसर पर ियाषट् , राष्ट्रीयतया एवं भयाित ियाषट् पर उनके लवियािों को समझने कधी आवश्कतया है । महयान ियाषट्वयादधी ्बया्बया सयाह्ब ने भयाित ियाषट् के प्रति जिस संवेदनया के सया् अपने लवियािों को सयामने ििया , उसे समझनया वर्तमयान परिप्रेक्् में आवश्क है ।
डॉ भधीम ियाव अम्बेडकर कया जधीवन ियाषट् त्या दधीन-हधीनों कधी सवयाल के लिए समर्पित ्या । एक और करोड़ों दुिधी , पधीलडत लोगों के अधिकयािों कधी ििया कया प्रश्न , वहधी दूसिधी और ियाषट् हित कया सतत समिण । हम जहयां भधी उनको देखते हैं , राष्ट्रीय हितों कया संरक्षण-संवर्धन करतया हुआ पयाते हैं । ्बम्बधी विधयान परिषद् द्यािया सयाइमन कमधीशन को दधी ग्धी रिपो ्ट पर डॉ अम्बेडकर ने हस्ताक्षर नहीं किये । 17 मई 1929 को उनहोंने अपनधी एक सवतनत् रिपो ्ट दधी । उस रिपो ्ट कया एक छो्टया सया अंश उनकधी अखंड-अक्षुणण
ियाषट्भसकत कया ्बोध कियातया है । रिपो ्ट में उनहोंने कहया ्या कि मैं कनया्म्टक को ्बम्बई से अलग करने के विरुद्ध हूँ क्ोंकि एक भयाषया एक प्रयानत कया लसद्धयांत अमल में लयाने के योग् नहीं है । आज कधी स्बसे ्बडधी आवश्कतया यह है कि लोगों में संयुकत राष्ट्रीयतया कया आभयास उतपन्न लक्या जयाए । उनमें यह भयावनया नहीं है कि वे सर्वप्रथम भयाितधी् और ्बयाद में हिनदू , मुसलमयान , सिंधधी और कनया्म्टकधी हैं , बल्कि यह भयावनया कि वह प्रथमत : और अंतत : भयाितधी् हैं , उतपन्न कधी जयाए । यदि यह आदर्श हो तो फिर ऐसधी कोई ्बयात नहीं करनधी ियालहए , जिससे क्षेत्रीयतयावयाद और पपृ्क-पपृ्क समूह चेतनयाओं कया उदय हो ।
डॉ अम्बेडकर के अनुसयाि ियाषट् के लनमया्मण के लिए भूमि , वहयां कया समयाज त्या समयाज कधी श्ेषठ परम्परा , यह तधीनों अनिवया््म अंग हैं । ियाषट् केवल भौतिक ईकयाई नहीं है । उनहोंने कहया कि ियाषट् एक जधीलवत आत्मा है । यह एक आसतमक लसद्धयांत है । इसके लिए आवश्क है कि स्मृतियों
8 twu 2023