जधीने के लिए एक सुसपष्ट मयाग्म लद्या । उनहें अपने विरूद्ध होने वयाले अत्याियािों , शोषण , अन्याय त्या अपमयान से संघर्ष करने कधी शसकत दधी । उनके अनुसयाि सयामयालजक प्रतयाडनया ियाज् द्यािया दिए जयाने वयाले दणि से भधी कहीं अधिक दुःखदयाई है । उनहोंने प्रयािधीन भयाितधी् ग्न्ों कया विशद अध््न कर यह ्बतयाने कधी चेष्टया भधी कधी कि भयाितधी् समयाज में वर्ण-व्वस्था , जयालत प्र्या त्या अस्पृश्तया कया प्रचलन समयाज में कयालयानति में आई विकृतियों के कयािण उतपन्न हुई है , न कि यह यहयां के समयाज में प्रयािमभ से हधी लवद्मयान ्धी ।
उनहोंने दलित वर्ग पर होने वयाले अन्याय कया हधी विरोध नहीं लक्या अपितु उनमें आतम-गौरव , स्वावलम्बन , आतमलवश्वास , आतम सुधयाि त्या आतम विशलेषण करने कधी शसकत प्रदयान कधी दलित उद्धयाि के लिए उनके द्यािया किए गए प्र्यास किसधी भधी दपृसष्टकोण से आधुनिक भयाित के लनमया्मण में भुलया्े नहीं जया सकते । पं . नेहरू के शबदों में ‘ डॉ . अम्बेडकर , हिनदू समयाज कधी दमनकयािधी प्रवृत्तियों के विरूद्ध किए गए विद्रोह कया प्रतधीक थे ।’
भयाितधी् आ्गों के सयामयालजक संगठन कया आधयाि चतुर्वर्ण व्वस्था रहया है । इस आधयाि पर समयाज को अपने कया््म के आधयाि पर ियाि भयागों में विभयालजत कर ििया ्या । डॉ अम्बेडकर ने इस व्वस्था को अवैज्ञानिक अत्याियािपूर्ण , संकधीण्म , गरिमयाहधीन ्बतयाते हुए इसकधी क्टु आलोचनया कधी । उनके अनुसयाि यह श्म के विभयाजन पर आधयारित न होकर श्लमकों के विभयाजन पर आधयारित ्याI उनके अनुसयाि भयाितधी् समयाज कधी चतुर्वर्ण व्वस्था यूनयानधी लवियािक प्लेटो कधी सयामयालजक व्वस्था के ्बहुत निक्ट है । प्लेटो ने व्सकत कधी कुछ विशिष्ट योग्तयाओं के आधयाि पर समयाज कया विभयाजन करते हुए उसे तधीन भयागों में विभयालजत लक्या । डॉ अम्बेडकर ने इन दोनों कधी व्वस्थाओं कधी जोरदयाि आलोचनया कधी त्या सपष्ट लक्या कि क्षमतया के आधयाि पर व्सकत्ों कया सुसपष्ट विभयाजन हधी अवैज्ञानिक त्या असंगत है ।
डॉ अम्बेडकर कया मत ्या कि उन्नत त्या कमजोर वगगों में जितनया उग् संघर्ष भयाित में है वैसया विशव के किसधी अन् देश में नहीं है ।
डॉ अम्बेडकर ने भयाित में जयालत-व्वस्था
कधी प्रमुख विशेषतयाओं और लक्षणों को सपष्ट करने कया प्र्यास लक्या जिनमें प्रमुख निम्न हैं- ियातुर्वर्ण पदसोपयानधी् रूप में वगतीकृत है । जयातधी् आधयाि पर वगतीकृत इस व्वस्था को व्वहयाि में व्सकत्ों द्यािया परिवर्तित करनया असमभव है । इस व्वस्था में कया््मकुशलतया कधी हयालन होतधी है , क्ोंकि जयातधी् आधयाि पर व्सकत्ों के कार्यो कया पूर्व में हधी लनधया्मिण हो जयातया है । यह लनधया्मिण भधी उनके प्रशिक्षण अथवया वयासतलवक क्षमतया के आधयाि पर न होकर जनम त्या मयातया पितया के सयामयालजक सति के आधयाि पर होतया है । इस व्वस्था से सयामयालजक स्ैलतकतया पैदया होतधी है , क्ोंकि कोई भधी व्सकत अपने वंशयानुगत व्वस्था कया अपनधी सवेच्छा से परिवर्तन नहीं कर सकतया । यह व्वस्था संकधीण्म प्रवपृलत्ों को जनम देतधी है , क्ोंकि हर व्सकत अपनधी जयालत के अससततव के लिए अधिक जयागरूक होतया है , अन् जयालत्ों के सदस्ों से अपने सम्बनध दपृि करने कधी कोई भयावनया नहीं होतधी है । नतधीजन उनमें राष्ट्रीय जयागरूकतया कधी भधी कमधी उतपन्न होतधी है । जयालत के पयास इतने अधिकयाि हैं कि वह अपने किसधी भधी सदस् से उसके नियमों कधी उललंघनया पर
twu 2023 27