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‘ प्रिरीकातमक-प्रतिनिधिति करी राजनरीति ’ करने में भाजपा का कोई जोड नहीं है । इसरी सोच और रणनरीति के तहत उसने पांच साल पहले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया था । इस बार द्ौपदरी मुर्मू को बना रहरी है ।
यशवंत की उम्ीदवारी पर सवाल
जहां तक विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिनहा का सवाल है , कोई नहीं जानता कि किन ठोस कारणों से उनहें उम्मीदवार बनाया गया ? ्रा इसलिए कि विपक्षरी खेमे को सुसंगत से्रुलर और जनपक्षरी सामाजिक-राजनरीतिक पृष्ठभूमि का कोई योगर वरक्ि नहीं मिला तो टरीएमसरी के दबाव में यशवंत सिनहा का नाम आ गया ? ्रा वह वाकई संयु्ि विपक्ष करी तरफ से ‘ अच्छे उम्मीदवार ’ माने जा सकते हैं , जैसा कुछ प्रमुख विपक्षरी दल दावा कर रहे हैं ? देश आज जिस तरह करी बड़ी राजनरीतिक और संवैधानिक चुनौतियों का सामना कर रहा है , उसमें यशवंत जरी ्रा सुसंगत से्रुलर सोच और संवैधानिक मू्रों के प्रति अपनरी असंदिगध प्रतिबद्धता का दावा कर सकते हैं ? ्रा वे विपक्षरी खेमे और आम लोगों में किसरी तरह का राजनरीतिक उतसाह जगा सकते हैं ?
सत्ा के शीर्ष पर रहने का शगल
संसदरीर राजनरीति में आने से पहले यशवंत सिनहा भारिरीर प्रशासनिक सेवा के अधिकाररी रहे हैं । सन् 1984 में वह प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर राजनरीति में दाखिल हुए । नौकरशाह के रूप में उनकरी अपेक्षाकृत बेहतर छवि थरी । प्रतिभाशालरी थे । अपने राजनरीतिक जरीिन के शुरुआिरी दौर में वह पूर्व प्रधानमंत्ररी चंद्शेखर से जुड़े । सन् 1988 में उनहें राजरसभा के लिए चुना गया । सन् 1990-91 के दौरान वह कांग्ेस-समर्थित चंद्शेखर करी चार महरीने करी सरकार में देश के वित् मंत्ररी भरी रहे । बाद में कांग्ेस ने समर्थन वापस ले लिया तो सजपा करी सरकार गिर गई । कुछ समय बाद वह भाजपा में आ गये और अटल बिहाररी वाजपेररी करी

“ महिलाओं और वंचितों की प्रतीक मुर्मू को समर्थन ”

'' अकालमी दल कभमी ऐसे उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकता जिसे कांग्ेस पाटशी ने समर्थन दिया है , क्ोंनर कांग्ेस ने न के वल श्री दरबार साहिब पर हमला किया बल्कि 1984 में सिखों के कत्ेआम की भमी जिम्ेदार है । बढ़ते विभाजनकारमी और सांप्रदायिक ध्ुवमीररण के मरौजूदा माहरौल में भाजपा के साथ हमारा गंभमीर विरोध है । अकालमी दल फिर भमी मुर्मू का समर्थन करता है क्ोंनर वह न के वल महिलाओं की गरिमा का प्रिमीर हैं बल्कि आदिवासमी वर्ग से भमी संबंधित हैं । वह अल्पसंख्यकों , शोषित और पिछड़े वगगों के साथ-साथ महिलाओं की प्रिमीर हैं और देश में गरमीब व आदिवासमी वगगों के प्रिमीर के रूप में उभरमी हैं । यहमी वजह है कि पाटशी राष्ट्रपति चुनाव में उनका समर्थन करेगमी ।''
— सुखबमीर सिंह बादल
अगुवाई वालरी एनडरीए सरकार में सन् 1998 से 2002 के बरीच वित् मंत्ररी रहे । फिर 2002 से 2004 के बरीच वह विदेश मंत्ररी भरी रहे । सन् 2018 के अप्रैल महरीने तक वह भारिरीर जनता पाटटी में थे । फिर उनके आम आदमरी पाटटी , कांग्ेस या जनता दल-यू में भरी शामिल होने करी अटकलें लगाई गईं । लेकिन मार्च , 2021 में वह ममता बनजटी करी अगुवाई वालरी तृणमूल कांग्ेस में शामिल हो गये ।
पुराना है विवादों से नाता
बताया जाता है कि इसमें चर्चित चुनाव- रणनरीतिकार प्रशांत किशोर करी अहम् भूमिका थरी । सिनहा करी तरह किशोर भरी बिहार से आते हैं । यशवंत जरी ने बाद के दिनों में बिहार करी बजाय झारखंड को अपना कार्यक्षेत्र बनाया । हजाररीबाग से वह कई बार सांसद चुने गये । इस समय उनके बेट़े और पूर्व वित्-राजरमंत्ररी जयंत
सिनहा हजाररीबाग से भारिरीर जनता पाटटी के सांसद हैं । जयंत ने 2014 और 2019 के संसदरीर चुनावों में भाजपा के टिकट पर लडकर चुनाव जरीिा । सन् 2018 में रामगढ़ के कुखराि लिंचिंग मामले के दोषियों को फूल-माला देकर लड्डू खिलाते हुए उनकरी तस्वीरें मरीतडरा में छाररी रहीं । भाजपा छोडने से पहले यशवंत सिनहा का भरी कई बार सांप्रदायिक-तनाव के मामलों में नामो्लेख हुआ । सन् 2017 के अप्रैल महरीने में रामनवमरी के दौरान एक प्रतिबंधित रूट पर जुलूस निकालने पर आमादा पूर्व केंद्रीय मंत्ररी को झारखंड पुलिस ने हजाररीबाग में हिरासत में लिया । बडकागांव के महूदरी गांव के पास सांप्रदायिक तनाव फैल गया । यशवंत के साथ ्थानरीर विधायक और भाजपा वह बजरंग दल के कई नेता-कार्यकर्ता भरी हिरासत में लिये गये थे । झारखंड पुलिस ने उस मौके पर संवाददाताओं द्ारा पूछ़े जाने पर बताया कि पिछले कई दशकों
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