eMag_July2021_Dalit Andolan | Page 43

जयादा है । गुजरात के बनासकाठा जिले के करीब 80 फीसद इलाके में आदिवासी और ग्ामीण बसते हैं । वहां करीब 1700 गांव हैं और हर गांव में डेयरी है । राजय सरकार उन इलाकों में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए डेयरी उद्योग के लोगों की मदद ले रही है ।
डेयरी उद्योग में काम करने वाली महिलाएं
टीकाकरण के प्ति जारी जागरूकता अभियान को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं । महिलाएं अपने घरों में हरेक को ्ि्थि देखना चिाहती हैं , कयोंकि उनहें पता है कि घर में किसी के भी बीमार होने पर उस वयशकि की देखरेख की प्मुख जिममेदारी महिला के कंधों पर ही आती है । लिहाजा महिलाएं खुद तो टीका लगवा ही रही हैं , इसके साथि घर के अनय वय्कों को भी लगवाने में अहम भूमिका निभा रही हैं । इसी तरह दाहोद जिले के आदिवासियों को समझाने के वा्िे स्थानीय शिक्षकों की मदद ली गई है ।
आकदिधािी दूर-दरधाि के दुर्गम जगितों पर रहते हैं । अन्य लोगतों की तुलनधा में इनको मिधामधारी में अधिक खतरधा होतधा है , क्योंकि इनकी प्रभधािशधाली निगरधानी , जल्ी चेतधािनी देने िधाले तंत् तक कम पहंच होती है । स्वास्थ्य और िधामधाजिक सेिधाएं भी इन्ें आिधानी से उपलब्ध नहीं होतीं ।
आज इन दोनों जिलों के आदिवासी टीका लगवाने में आगे हैं । दरअसल जिन आदिवासी इलाकों में टीकाकरण के प्ति उतसाह दर्शाने वाले आंकड़ें जारी हो रहे हैं , उनके पीछे की रणनीति उन जिलों के स्थानीय प्रासन को बेहतर करने की राह दिखा सकती है , जो जिले इस मामले में पिछड़े हुए हैं । सुकमा के जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ . दिपेश चिंद्राकर का कहना है कि आदिवासियों के साथि भावातमक एवं सां्कृतिक संबंध जताने के लिए टीकाकरण के लिए बुलाई जाने वाली सभाओं में आदिवासी
मुखिया को सममानपूर्वक शाल भेंट की जाती है , फिर उनहें टीकाकरण की जरूरत समझाई जाती है और टीकाकरण के पंजीकरण में मदद करने के लिए विशेष इंतजाम भी किए जाते हैं ।
मधय प्देश के आदिवासी जिलों में आदिवासियों को टीकाकरण के लिए प्ोतसातहि करना , उनका भरोसा जीतना राजय सरकार के लिए बड़ी चिुनौती थिी । मधय प्देश के बैतूल जिले में 40 आदिवासी बहुल गांवों में टीकाकरण की र्िार को बढ़ाने के लिए वहां के प्रासन ने बीते दिनों आदिवासी पुजारियों की मदद लेनी शुरू की । इसी तरह महाराषट्र के कोरकरू जनजाति के बीचि बोली जाने वाली कोरकरू भाषा में कोविड-19 रोधी वैकसीन के महति को समझाने वाले पांचि वीडियो यू-ट्ूब चिैनल पर अपलोड किए गए । परिणाम्िरूप वहां टीकाकरण को लेकर आदिवासियों की शंकाएं कम होनी शुरू हो गई हैं ।
आदिवासी दूर-दराज के दुर्गम जगहों पर रहते हैं । अनय लोगों की तुलना में इनको महामारी में अधिक खतरा होता है , कयोंकि इनकी प्भावशाली निगरानी , जलदी चिेतावनी देने वाले तंत् तक कम पहुंचि होती है । ्िा्थय और सामाजिक सेवाएं भी इनहें आसानी से उपलबध नहीं होतीं । ऐसे लोग कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान में कहीं पीछे न छूट जाएं , इस दृशषट से उन तक पहुंचिने के प्यास किए जा रहे हैं । अब इसे संभव बनाने के लिए गांववासियों िथिा आदिवासी इलाकों में लगातार संपर्क साधने और संवाद बनाए रखने की जरूरत है । 21 जून से देशभर में नया टीकाकरण अभियान चिलाया जा रहा है । सरकारी आंकड़ें दर्शाते हैं कि टीका लगवाने वाले हर पांचि वयशकियों में से तीन ग्ामीण हैं । देश में कोविड-19 टीकाकरण केंद्रों में से 71 फीसद केंद्र गांवों में हैं । ऐसे में आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और गांव प्मुखों एवं सरपंचिों आदि का प्मुख लक्य टीकाकरण की राह में आने वाली चिुनौतियों के सामने घुटने टेकना नहीं , बशलक सबके साथि मिलकर और सबका सहयोग लेकर इनका सामना करना और सौ फीसद टीकाकरण सुनिश्चित करना है । �
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