eMag_July2021_Dalit Andolan | Page 37

किया जाता थिा । रामायण के रचितयिा ऋषि वालमीतक को अपना मानने वाले वालमीतक समाज के लोग मैला ढोने जैसा घृणित कार्य करते हैं कयोंकि इनहें किसी और जगह काम या नौकरी नहीं दी जाती थिी । दशकों से इन लोगों को घाटी की नागरिकता तक नहीं मिली है । जबकि इसकी शुरूआत अचछे जीवन के वादे से शुरू हुई थिी , लेकिन वो वादा कभी पूरा नहीं हुआ । ्ििंत्िा के बाद देश में कई दलित नेता पैदा हुए । लेकिन किसी ने भी दलितों की तरफ धयान देने की जरुरत नहीं महसूस की । दलित नेताओं ने राजय के दलितों की जिस तरह अनदेखी की , उसका नकारातमक परिणाम राजय
में रहने वाले दलितों को भुगतना पड़ा । उनहें आधार कार्ड तो मिला लेकिन उनहें अपने ही देश में एक शरणार्थी की तरह जीने के लिए बाधय होना पड़ा ।
प्धानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने जब दूसरी बार देश की कमान संभाली तो राजय की दलित जनता में एक नयी उममीद पैदा हुई । उनहें लगा कि शायद अब मोदी सरकार उनकी भी सुधि लेगी । और ऐसा ही हुआ । 5 एवं 6 अग्ि-2019 को संसद के उच्च सदन राजयसभा और फिर लोकसभा ने 370 और 35 ए को समापि करने पर अपनी अंतिम मोहर लगा दी । मोदी सरकार के इस निर्णय का पूरे देश के साथि ही राजय की पीड़ित जनता और दलित समाज के लोगों ने जमकर ्िागत किया । यह फैसला उन सभी नेताओं और लोगों पर बिजली बन कर गिरा , जो 370 और 35 ए की आड़ में दशकों से अपनी दुकान चिला रहे थिे ।
फ़िलहाल राजय में जारी परिसीमन की प्तरिया से दलित समाज उतसातहि है । माना जा रहा है कि नए परिसीमन के बाद राजय की कई सीटों का पूरा गणित बदल जायेगा और कई सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित हो सकेगी । इससे दलितों को भी सत्ा का पूरा साथि मिलेगा और वह भी संवैधानिक-राजनीतिक प्तरिया का एक तह्सा बन सकेंगे । राजय में पिछले दिनों हुए डीडीसी चिुनाव के परिणाम ने आम जनता में लोकतांतत्क वयि्थिा के प्ति जो वि्िास पैदा किया है , वह भारतीय लोकतंत् की बड़ी जीत है । राजय में पहली बार कोई ऐसा चिुनाव हुआ , जिसमें सैकड़ों ्ििंत् उममीदवारों ने लोकतंत् में वि्िास वयकि करते हुए भागीदारी की । इससे तुशषटकरण एवं परिवारवाद की राजनीति पर लगाम लगी है । राजय की जनता भी ्िीकार करने लगी है कि प्धानमंत्ी नरेंद्र मोदी की दूरदरजी नीतियां ही भारत के ्ितण्शम भविषय को निर्धारित करेगी । �
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