लरिश्चयन नाम दिया जाता था , लेकिन इससे धमाांतरण की पोल खुलने और पकड़े जाने के डर से मिशनरियों ने तरीका बदल लिया है । वे धमाांतरण तो उसी तरह कराती हैं । हिंदुओं के दिलों में उनके देवी-देवताओं के प्रति अनादर का भाव उतपन्न करती हैं । यीशू की प्रार्थनाओं पर जोर देती हैं , लेकिन कुछ जगह धमाांतरण के बाद उनके नाम नहीं बदलती हैं ।
हिंदू के घर में ही बनाया चर्च
नेपाल बॉर्डर से स्टे लखीमपुर जिले के निघासन कसबे में धमाांतरण के इस नए तरीके का खुलासा एक समाचार पत् की पड़ताल में हुआ है । नेपाल से स्टे उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धमाांतरण और लरिश्चयन-मुशसलम आबादी बढ़ने की खबरें सामने आती हैं । लखीमपुर के 30 गांवों में ईसाई मिशनरी एक्टिव हैं । ये गांव थारू जनजाति के हैं और चंदन चौकी से गौरीफं्टा बॉर्डर के करीब बसे हैं । ये एरिया पलिया तहसील में आता है । यहां की 15 ग्ाम
ध्ाांतरण को रोकने के लिए कानून
ओडिशाः पहला राजय है जहां जबरन धमाांतरण को रोकने के लिए कानून आया था । यहां 1967 से इसे लेकर कानून है . जबरन धमाांतरण पर एक साल की कैद और 5 हजार रुपये की सजा हो सकती है । वहीं , एससी-एस्टी के मामले में 2 साल तक की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है ।
मधय प्रदेशः यहां 1968 में कानून लाया गया था . 2021 में इसमें संशोधन किया गया । इसके बाद लालच देकर , धमकाकर , धोखे से या जबरन धमाांतरण कराया जाता है तो 1 से 10 साल तक की कैद और 1 लाख तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है ।
अरुणाचल प्रदेशः ओडिशा और एमपी की तर्ज पर यहां 1978 में कानून लाया गया था कानून के तहत जबरन धमाांतरण कराने पर 2 साल तक की कैद और 10 हजार रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है ।
छत्तीसगढ़ः 2000 में मधय प्रदेश से अलग होने के बाद यहां 1968 वाला कानून लागू हुआ . बाद में इसमें संशोधन किया गया । जबरन धमाांतरण कराने पर 3 साल की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माना , जबकि नाबालिग या एससी-एस्टी के मामले में 4 साल की कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है ।
गुजरातः यहां 2003 से कानून है । 2021 में इसमें संशोधन किया गया था . बहला- फुसलाकर या धमकाकर जबरन धमाांतरण कराने पर 5 साल की कैद और 2 लाख रुपये जुर्माना , जबकि एससी-एस्टी और नाबालिग के मामले में 7 साल की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सजा है ।
पंचायतों में 50 हजार से जयादा थारू आबादी रहती है । यहां पास के नझौ्टा गांव में एक चर्च है , जो दूर से दिखता है । यह चर्च घर में ही है और रमाकांत क्यप इसका पादरी भी हैं । यहां आसपास के 300 से 400 लोग प्रेयर के लिए आते हैं । पिछले साल ही लखीमपुर के तिकुनिया बॉर्डर से 25 किमी दूर निघासन में धमाांतरण का मामला सामने आया था । इसमें कुछ लोगों की गिरफतारी भी हुई थी । राजसथान में जबरन धर्म परिवर्तन
एक ओर नेपाल बॉर्डर पर खुलेआम धमाांतरण का खेल चल रहा है , दूसरी ओर राजसथान भी इससे अछूता नहीं है । दलित हिंदुओं को ईसाई बनाने का मामला यहां सुर्खियों में रहा है । ताजा मामला राजधानी जयपुर का ही है , जहां एक नाबालिग हिंदू लड़की का अपहरण करके धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की गई । किसी तरह अपहर्ताओं के चंगुल से छू्टकर घर वापस आई नाबालिग पागलों जैसी हरकत करने लगी । अपना बदला हुआ नाम बताकर खुद को मुशसलम बताने लगी । मानसरोवर थाने में पीड़िता के पिता ने रिपो्टटि दर्ज करवाई है । पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 18 जून को नाबालिग बे्टी सवाईमाधोपुर अपने मौसी के गई थी । मौसी की बे्टी भी पिंकी के साथ जयपुर आ गई । सहेली के बर्थ-डे में जाने की कहकर दोनों बहनें घर से चली गई । उसके बाद पिंकी घर नहीं आई । काफी ढूंढने के प्रयास के दौरान पता चला कि चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर निवासी सोहेल खान नाम का लड़का बहला-फुसलाकर पिंकी को किडनैप कर ले गया है । उसके बाद अब पिंकी घर वापस आई है । घर आने के बाद पागलों जैसी हरकत करने लगी । खुद का नाम चिंकी की जगह इसमायरा खान बताने लगी । वह हिंदू होने की बात से इनकार कर खुद को मुशसलम बता रही है । आरोप है कि किडनैप कर ले जाने वाला सोहेल खान ने नाबालिग बे्टी को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया है ।
प्रदेश में धमाांतरण को लेकर हिंदू जागरण मंच आरिोलशत है । मंच का आरोप है कि मिशनरी के संपर्क में आकर ईसाई धर्म के प्रचारक बने
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