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हिससा लेने क़ी सिर्फ औपचारिकता पूऱी करत़ी हुई दिखाई पड रह़ी है । ना तो उसक़ी सियास़ी आक्रामकता दिख रह़ी है और ना ह़ी आतमलिशिास । जम़ीन पर भ़ी कोई ऐसा कार्यक्रम करत़ी हुई नहीं दिख रह़ी है जिससे मतदाताओं के समक् बसपा का भ़ी विक्प हो । हालांकि ब्ाह्मण-दलित गठजोड के सहारे आगे बढ रह़ी बसपा 2007 के अपने हिट सोशल इंज़ीलनयरिंग के फॉर्मूले को ह़ी दोहराने क़ी बात कह रह़ी है लेकिन जम़ीन पर उतर कर िडते हुए दिखने से परहेज बरतने का नत़ीजा है कि वह चर्चा से भ़ी बाहर है ।
मतदवािवाओं के गुस्े के भरोसे
बसपा सुप्ऱीमो मायावत़ी क़ी ओर से पहले ह़ी घोषणा क़ी जा चुक़ी है कि उनक़ी पाटटी यूप़ी विधानसभा चुनाव 2022 में ' एकला चलो ' क़ी ऩीलत पर ह़ी आगे बढेग़ी । मायावत़ी अच्छी तरह से जानत़ी है कि यह विधानसभा चुनाव उनके लिए आखिऱी मौका है । अगर इस चुनाव में बसपा कोई कमाल नहीं दिखा सक़ी , तो पाटटी के सियास़ी भवि्य के साथ ह़ी मायावत़ी
क़ी साख पर भ़ी प्रश्न चिनह लग जाएगा । बावजूद इसके मायावत़ी किस़ी भ़ी तरह क़ी हडबड़ी में नजर नह़ी आ रह़ी हैं । सूबे के 18 मंडल के मुखय इंचाजमों और 75 जिलाधयक्ों के साथ क़ी गई बैठक के बाद मायावत़ी अभ़ी भ़ी चुनाव के लिए रणऩीलत पर ह़ी चर्चा कर रह़ी हैं । ऐसा लग रहा है कि मायावत़ी मानकर चल रह़ी हैं कि भाजपा , सपा के शासन से गुससाए मतदाता बसपा क़ी ओर ह़ी आएंगे । बसपा क़ी ओर से जाऱी प्रेस ररि़ीज में मायावत़ी के हवाले से यह़ी कहा जा रहा है कि यूप़ी क़ी जनता ने सभ़ी पार्टियों का शासनकाल देखा है । लेकिन , सबका यह़ी कहना है कि बसपा का शासनकाल बेहतऱीन था ।
गिरने िवािवा है बसपवा कवा ग्रवाफ
उत्र प्रदेश में ब़ीते कुछ समय से आजाद समाज पाटटी के चंरिशेखर आजाद बसपा वोटबैंक में सेंध लगाने क़ी कोशिश कर रहे थे । लेकिन , समाजवाद़ी पाटटी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ चंरिशेखर क़ी बात नह़ी बनने के बाद माना जा सकता है कि आजाद समाज
पाटटी अभ़ी भ़ी दलित समाज के मतदाताओं के ब़ीि अपऩी पकड बनाने में कामयाब नहीं हो पाई है । चंरिशेखर का युवा वर्ग में काऱी बोलबाला है , लेकिन उनके पास खुद को मायावत़ी से बडा दलित चेहरा साबित करने के लिए मंच नहीं है । इस लसथलत में मायावत़ी के कोर वोटबैंक में सेंध लगना मुलशकि है । आसान शबदों में कहा जाए , तो बसपा का वोटबैंक मायावत़ी के नाम पर ह़ी वोट करेगा । युवाओं का जो वोट चंरिशेखर आजाद क़ी वजह से छिटकने क़ी संभावना थ़ी वो अखिलेश यादव क़ी वजह से मायावत़ी के साथ ह़ी बना रहेगा । लेकिन ब़ीते कुछ समय से बसपा से प्रभावशाि़ी चेहरों का जाना लगातार जाऱी है । बसपा के विधायक हों या बडे पदाधिकाऱी बसपा सुप्ऱीमो मायावत़ी ने कई नेताओं को पाटटी से बाहर का रासता दिखा दिया है । हालांकि , मायावत़ी हर चुनाव से पहले ऐसा करत़ी रह़ी हैं । लेकिन , इस बार बसपा से निकलने वाले चेहरे पाटटी के लिए ओब़ीस़ी और मुलसिम मतदाताओं के ब़ीि बडे नेताओं के तौर पर धमक रखते थे । इनमें से जयादातर समाजवाद़ी पाटटी क़ी साइकिल पर सवार हो चुके हैं । मायावत़ी इन तमाम बाग़ी नेताओं को ' बरसात़ी मेंढक ' बताकर डरैमेज कंट्रोल करने क़ी कोशिश कर रह़ी हैं । लेकिन , अहम बात ये है कि मायावत़ी ने अपने चेहरे के बलबूते ह़ी हर चुनाव में अपने वोटबैंक को साधे रखा है । हो सकता है कि इस बार भ़ी मायावत़ी अपने वोट शेयर को बरकरार रखने में कामयाब हो जाएं । लेकिन , धरातल पर उनक़ी गैर- मौजूदग़ी बसपा के लिए भवि्य में मुलशकिें खड़ी करत़ी दिखाई दे रह़ी है ।
आसान शबदों में कहा जाए , तो मायावत़ी के लिए यूप़ी चुनाव 2022 क़ी राह बहुत कठिन है । बसपा सुप्ऱीमो पर पाटटी टिकट बेचने के आरोपों के साथ ह़ी उनके परिवार पर वित्तीय अनियमितता के ढेरों आरोप हैं । बसपा 2022 के विधानसभा चुनाव में वोटकटवा पाटटी बनने क़ी ओर बढ रह़ी हैं । अब इसका नफा-नुकसान किसे होगा , ये चुनाव नत़ीजे ह़ी तय करेंगे । �
tuojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 37