eMag_Jan2022_DA | Page 16

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हे्पिाइन टोल-फ्री नंबर ‘ 14566 ’ पर फोन करके जानकाऱी ि़ी जा सकेग़ी और उसके अनुरूप अपने अधिकारों क़ी मांग भ़ी क़ी जा सकेग़ी ।
पूरे देश कवा एक हेल्पिवाइन
खास तौर से अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जन जातियों पर होनेवाले अतयािार को रोकने के उद्ेशय से बनाए गए ‘ अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों ( अतयािार रोकथाम ) अधिनियम- 1989 ’ को उचित तऱीके से लागू किया जाना सुलनलशित करने के लिए जाऱी गए इस टोल-फ्री हे्पिाइन नंबर पर पूरे देश में किस़ी भ़ी दूरसंचार ऑपरेटर के मोबाइल या लैंडलाइन नंबर से वॉयस कॉल या ि़ीओआईप़ी कॉल के द्ारा दलित व आदिवास़ी समाज के लोग अपऩी समसयाएं व शिकायतें दर्ज करा सकते हैं । नेशनल हे्पिाइन अगेंसट एट्रोसिट़ी ( एनएचएए ) का टोल-फ्री हे्पिाइन नंबर और इसका वेब आधारित से्र सर्विस पोर्टल लॉनि करने के क्रम में केनरि़ीय सामाजिक नयाय और अधिकारिता मंत्री डॉ . ि़ीरेनरि कुमार ने इसके बारे में विसतार से जानकाऱी द़ी ।
भेदभवाि समवाप्त करनवा है प्रवाथमिकिवा
डॉ . ि़ीरेनरि कुमार ने बताया कि वेब आधारित से्र सर्विस पोर्टल के रूप में भ़ी उपलबि एनएचएए दलित व आदिवास़ी समाज के लोगों के साथ जातिगत व सामाजिक सतर पर होनेवाले भेद-भाव को समापत करने तथा सभ़ी को सुरक्ा
प्रदान करने के मकसद से बनाए व लागू किए गए अतयािार रोकथाम अधिनियम- 1989 तथा नागरिक अधिकारों क़ी रक्ा ( प़ीस़ीआर ) अधिनियम , 1955 के विलभन् प्रावधानों के बारे में लोगों को जागरूक बनायेगा । साथ ह़ी उनहोंने बताया कि एनएचएए यह सुलनलशित करेगा कि दलित व आदिवास़ी समाज के लोगों द्ारा इस टोल-फ्री हे्पिाइन नंबर या वेब आधारित से्र सर्विस पोर्टल पर दर्ज कराई गई सभ़ी शिकायतें एफआईआर के रूप में भ़ी पंज़ीकृत क़ी जाएं और प़ीलडत वर्ग को यथाश़ीघ्र हरसंभव मदद व राहत मुहैया कराई जाए ।
सभी समस्याओ ंकवा त्वरित समवाधवान
इसके अलावा यह भ़ी पूऱी ततपरता व कड़ाई से सुलनलशित कराया जाएगा कि एनएचएए के माधयम से दर्ज कराई गई सभ़ी पंज़ीकृत शिकायतों क़ी जांच क़ी जाए और अधिनियम में द़ी गई समय-स़ीमा के अंतर्गत दायर सभ़ी अभियोग पत्ों पर निर्णय के लिए मुकदमा चलाया जाये । एनएचएए पर शिकायत दर्ज कराने क़ी वयिसथा में पूऱी पारदर्शिता भ़ी सुलनलशित क़ी गई है और प़ीलडत पक् क़ी पूर्ण संतुष्ट के लिए दर्ज कराई गई हर शिकायत के लिए एक डॉकेट नंबर दिया जाएगा जिसके माधयम से दर्ज शिकायत पर होने वाि़ी कार्रवाई क़ी लसथलत ऑनलाइन देख़ी जा सकत़ी है । याऩी समग्ता में देखें तो दलित व आदिवास़ी समाज के लोगों को समाज में भेदभावरहित माहौल उपलबि कराने और बराबऱी का हक दिलाने के लिए हुई यह पहल सभ़ी समसयाओं का तिरित समाधान है ।

हेल्‍पलाइन करी क्र्शेषताएं :

शिकायत समाधान : पीसीआर अधिनियम , 1955 तथा पीओए अधिनियम 1989 के गैर- अनुपालन संबंधी पीडि़त / शिकायतकर्ता / एनजीओ से प्ाप्‍त प्त्‍येक शिकायत के लिए एक डॉके ट नंबर दिया जाएगा । ट्ैकिं ग प्णाली : शिकायतकर्ता / एनजीओ द्ारा शिकायत करी स्थिति ऑनलाइन देखी जा सकती है । अधिनियमों का स्‍वचालित परिपालन : पीडि़त से संबंधित अधिनियमों के प्त्‍येक प्ावधान करी निगरानी करी जाएगी और संदेश / ई-मेल के रूप में राज्‍य / के न्‍द्रशासित दरियान्‍वयन अधिकारियों को कम्‍युनिके शन / याद दिलाकर परिपालन सुनिश्चित किया जाएगा । जागरूकता सृजन : किसी भी पूछताछ का जवाब आईवीआर तथा ऑपरेटरों द्ारा हिन्‍दी , अं ग्ेजी तथा क्ेत्ीय भाषाओं में दिया जाएगा । राज्‍यों / के न्‍द्रशासित प्देशों के लिए डैश-बोर्ड : पीसीआर अधिनियम , 1955 तथा पीओए अधिनियम , 1989 लागू करने के लिए बनी के न्‍द्र प्ायोजित योजना के विज़न को लागू करने में उनके कार्य प्दर्शन को लेकर डैश-बोर्ड पर ही राज्‍यों / के न्‍द्र शासित प्देशों का के पीआई उपलब्‍ध कराया जाएगा ।
16 दलित आं दोलन पत्रिका tuojh 2022