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अभाव सप्ट महसूस किया जा सकता है । हालांकि इस लसथलत में बदलाव के लिए अब तक क़ी तमाम सरकारों ने कमो — बेश यथासंभव प्रयास अवशय किया लेकिन सरकाऱी प्रयासों को वयािहारिकता के धरातल पर पूऱी तरह सफल बनाने में कामयाब़ी नहीं मिल सक़ी । नत़ीजन दलित व आदिवास़ी समाज को विलभन् सतरों पर भेदभाव , अस्वीकार्यता , असममान और गैर — बराबऱी क़ी लसथलत का सामना करना पड रहा है ।
प्रधवानमंत्ी मोदी ने जगवाई आस
ऐसे समय में जब दलित समाज के लोगों को महज वोट बैंक के तौर पर देखा व समझा जा रहा था तब प्रधानमंत्री नरेनरि मोद़ी ने ह़ी यह एहसास कराया कि वे अंतिम पायदान पर खडे हर वयलकत को मुखयिारा में आगे लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं । हालांकि राजऩीलतक लाभ के लिए मोद़ी से दलितों को दूर करने क़ी तमाम कोशिशें व साजिशें हुईं । यहां तक कहा गया कि मोद़ी सरकार दलितों का अरक्ि समापत करने क़ी ऩीलत पर काम कर रह़ी है । दलितों को इस हद तक बरगलाने का प्रयास किया गया कि उनके
हितों क़ी रक्ा के लिए लागू अतयािार निरोधक कानून को भ़ी मोद़ी सरकार कमजोर करने क़ी कोशिश कर रह़ी है । लेकिन इन झूठे प्रलापों से इतर जब — जब मौका आया तब दलित समाज के हितों क़ी रक्ा के लिए प्रधानमंत्री मोद़ी खुद ह़ी ढाि बनकर खडे हो गए । बात चाहे शिक्ा व रोजगार में आरक्ि क़ी वयिसथा पर उठ रहे सवालों का बेलाग और सप्ट शबदों में यह कहकर जवाब देने क़ी हो कि दलित समाज को मिल रहे आरक्ि क़ी वयिसथा के साथ किस़ी भ़ी प्रकार का छेड — छाड हर्गिज नहीं किया जा सकता है । अथवा , अदालत द्ारा एट्रोसिट़ी एकट में आरोप सिद्ध होने के बाद ह़ी गिरफताऱी क़ी वयिसथा लागू क़ी गई तो मोद़ी सरकार ने बिना देर किए संसद के दोनों सदनों में संविधान संशोधन कराके अतयािार निरोधक कानून को पूर्ववत मजबूत़ी देने क़ी पहल क़ी । इस सबसे प्रधानमंत्री के प्रति समाज के वंचित तबके में यह आस बंि़ी है कि वे इनके हितों के सबसे ईमानदार पहरेदार हैं और इस बात का विशिास भ़ी मजबूत हुआ है कि वंचित वर्ग के उतथान और सशलकतकरण के लिए जिन कदमों को उठाए जाने क़ी आवशयकता है उसे अमल में लाने से मोद़ी सरकार कतई गुरेज नहीं करेग़ी ।
कृ तित्व में समर्पण कवा भवाि
कहने को तो हर कोई दलितों का उतथान करने और उनके साथ खडे होने क़ी बात कहता है । लेकिन जब करने क़ी बाऱी आत़ी है तो सबक़ी मति माऱी जात़ी है और दलित वर्ग को ठगे जाने के एहसास के अलावा और कुछ हासिल नहीं होता । लेकिन पहि़ी बार मोद़ी के रूप में दलित समाज ने ऐसा प्रधानमंत्री देखा है जो झूठे वायदे और बड़ी — बड़ी बातों के बजाय अपने वयलकतति और कृतिति से अपऩी उपयोगिता सिद्ध कर रहा है । प्रधानमंत्री मोद़ी के शबदों में कहें तो उनका पहला कार्यकाल देश क़ी आवशयकताओं को पूरा करने के लिए समर्पित था और दूसरा कार्यकाल जन — जन क़ी अपेक्ाओं को पूरा करने के लिए समर्पित है । इस लिहाज से देखें तो वाकई मोद़ी सरकार का अब तक का कार्यकाल गऱीबों , वंचितों और दलित व आदिवास़ी वर्ग के लोगों के लिए सिलि्थम काल से कम नहीं रहा है । मोद़ी पहले प्रधानमंत्री हैं जिनहोंने लालकिले क़ी प्राि़ीर से सिचछता क़ी बात करके समाज के उस वर्ग के कार्य को सिगोपरि सममान दिया है जो गि़ी से लेकर गटर , सडक से लेकर समुंदर और भोजनालय से लेकर शौचालय तक क़ी सफाई में रात — दिन लगा
tuojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 11