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मतदाता आधार कम हो रहा है । पीएमके के साथ गठबंधन के कारण उत्तरी जिलों में एससी मतदाता भी हमसे दूर हो गए हैं । डीएमके सरकार का ्यह कदम हमारे लिए इन दोनों मतदाता आधारों को लुभाने के लिए एक और चुनौती पेश करेगा । हालांकि मुख्य विपक्ी दल एआईएडीएमके ने अभी तक इस मुद्े पर आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन पाटटी के एक वरर्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर सिीकार मक्या कि जब हम सत्ता में थे तब हमारे पास ्यह घोषणा करने के लिए एक अचछा मौका था । हालांकि हमने जोखिम नहीं उठा्या और अब द्रमुक फा्यदे में है क्योंकि ्यहां दलित आबादी की संख्या काफी अधिक हैं और वे राजनीतिक तौर पर बेहद जागरूक भी हैं । ्यहां के दलित समाज के मतदाता काफी बढ ्ढ कर अपने घरों से बाहर निकल कर वोट देते हैं ।
योग्य उम्ीदवारों की पहचान की मांग
जहां डीएमके सरकार की घोषणा का अनुसूचित जाति समुदा्य में सिागत मक्या ग्या , वहीं कुछ ने ्यह भी चेतावनी दी कि इसे सिर्फ राजनीतिक फा्यदे के लिए उठा्या ग्या कदम नहीं बनना चाहिए । प्देश की डीएमके सरकार के इस कदम को लेकर दलित समाज के चिंतकों में एक आशंका भी है और उतसाह भी । ्यही वजह है कि सरकार के इस फैसले के बाद सामने आ रही अधिकांश प्रतिक्रियाओं में कहा जा रहा है कि , इसका सिागत मक्या जाना चाहिए । लेकिन पामट्ट्यों को ऐसे ्योग्य उममीदवारों की पहचान करनी चाहिए जो इतने महतिपूर्ण पद पर अपनी क्मता साबित कर सकें । समीओहा समथवा पाडी के अध्यक् और पूर्व आईएएस अधिकारी पी . शिवकामी ने कहा ्यह एक शानदार निर्ण्य है जिसका पूरे दिल से सिागत
मक्या जाना चाहिए लेकिन उममीदवार को अचछा होना चाहिए , अन्यथा इस अचछे निर्ण्य का कोई अर्थ नही रहेगा । ्यमद उममीदवार अचछा नहीं है तो बाद में इसके बारे में बात की जाएगी कि ्यह एक गलती थी और ऐसा कभी नहीं होना चाहिए ।
दलित महिला नेताओ ंको मिलेगा आगे बढ़ने का
मौका दलित नेता और तमिलनाडछु राज्य दलित
महिला आंदोलन की अध्यक् के . आई . गंगा का इस फैसले के बारे में सप्ट तौर पर कहना है कि प्देश सरकार का ्यह निर्ण्य बहुत महतिपूर्ण है लेकिन सरकार को इस दिशा में ठीक से का्य्ण कर इसे सही तरीके से लागू करना चाहिए । इसी प्कार वर्ष 2006 में सेलम शहर की मे्यर के रूप में का्य्ण कर चुकीं रेखा प्रियदर्शिनी का भी कहना है कि , ' ्यहां तक कि
36 दलित आं दोलन पत्रिका iQjojh 2022